अपडेटेड 19 June 2025 at 23:22 IST

न्यूरोग्रिट गोल्ड ने खोला पार्किंसंस बीमारी के उपचार का द्वार!

पतंजलि के वैज्ञानिकों द्वारा C. elegans पर किए गए नवीन शोध ने यह पुष्टि की है कि आयुर्वेदिक औषधि न्यूरोग्रिट गोल्ड न केवल पार्किंसंस बीमारी के कारण हुए स्मृति लोप को सुधारने में मदद करती है, अपितु यह जीवों की आयु को बढ़ाने में भी सहायक है, वहीं इनकी लम्बाई और प्रजनन क्षमता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालती है।

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पतंजलि के वैज्ञानिकों द्वारा C. elegans पर किए गए नवीन शोध ने यह पुष्टि की है कि आयुर्वेदिक औषधि न्यूरोग्रिट गोल्ड न केवल पार्किंसंस बीमारी के कारण हुए स्मृति लोप को सुधारने में मदद करती है, अपितु यह जीवों की आयु को बढ़ाने में भी सहायक है, वहीं इनकी लम्बाई और प्रजनन क्षमता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालती है। यह अनुकरणीय शोध अंतरराष्ट्रीय Wiley प्रकाशन के रिसर्च जर्नल CNS Neuroscience & Therapeutics में प्रकाशित हुआ है।

इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पार्किंसंस बीमारी में व्यक्ति मानसिक रूप से तो अस्वस्थ्य होता ही है, उसका सामाजिक दायरा भी छोटा होने लगता है। परन्तु, क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे अस्वस्थ्य व्यक्ति पुनः ठीक हो सके और अपने दैनिक कार्यकलाप भली भांति बिना किसी सहायता के कर सके। अब हम पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हाँ, अब यह संभव है।

आचार्य जी ने कहा कि न्यूरोग्रिट गोल्ड हमारी धरोहर आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का अनुपम मेल है। यह शोध प्रदर्शित करता है कि अगर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाए तो इस आधुनिक युग की समस्याओं को दूर करने में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि न्यूरोग्रिट गोल्ड ज्योतिष्मती और गिलोय आदि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के साथ ही एकांगवीर रस, मोती पिष्टी, रजत भस्म, वसंत कुसुमाकर रस, रसराज रस आदि से निर्मित है जोकि मस्तिष्क विकारों में लाभकारी मानी गई है।

पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि C. elegans पर यह अभिनव प्रयोग पहली बार किसी आयुर्वेदिक औषधि के साथ किया गया है, और इसके परिणाम न केवल विज्ञान जगत के लिए रोमांचक हैं, बल्कि आने वाले समय में मानव स्वास्थ्य पर इसके गहरे प्रभाव पड़ सकते हैं।

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उन्होंने बताया कि Dopamine हमारे मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण Neurotransmitter और Hormone है, जो हमारे Body Functions और Movements को कण्ट्रोल करता है। लेकिन, जब यह Dopamine किसी कारणवश अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाता है, तब शरीर अपना संतुलन खो देता है, और हमारा मस्तिष्क वह कार्य भी भूलने लगता है जिनको हम भली–भांति कर पाते थे। इस अवस्था को पार्किंसंस कहते हैं।

न्यूरोग्रिट गोल्ड के सेवन से इन जीवों में Oxidative Stress के स्तर को कम किया, साथ ही Mitochondrial Autophagy के कारक pink–1, pdr–1, और Dopamine synthesis के कारक cat-2  genes के Expression को बढ़ाया जोकि पार्किंसंस बीमारी के कारण कम हो गए थे।

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नवीन अनुसन्धान के विषय में अधिक जानने के लिए, इस लिंक पर क्लिक करें:

https://onlinelibrary.wiley.com/doi/full/10.1111/cns.70401

DOI: https://doi.org/10.1111/cns.70401

Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 19 June 2025 at 23:22 IST