अपडेटेड May 7th 2025, 23:00 IST
6 और 7 मई की रात भारत ने आतंक के खिलाफ एक अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए, भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान के अंदर गहराई में जाकर नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस ऑपरेशन को खास बनाता है इसका क्षेत्रीय विस्तार। अब तक भारत की सैन्य कार्रवाई सीमित रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) तक होती रही है, लेकिन इस बार सीधे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों को निशाना बनाया गया।
सिर्फ लश्कर और जैश ही नहीं, बल्कि इस कार्रवाई में हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो प्रमुख अड्डों को भी पूरी तरह तबाह कर दिया गया। यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम था क्योंकि यह आतंकवाद के पूरे नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में निर्णायक प्रहार माना जा रहा है। 1971 युद्ध के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि भारत की तीनों सेनाओं ने एक साथ पाकिस्तान के अंदर किसी सैन्य ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह भारत की सैन्य क्षमताओं, समन्वय और रणनीति का प्रदर्शन था। सबसे दिलचस्प बात यह रही कि भारतीय वायुसेना ने इस हमले के दौरान अपनी वायुसीमा का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी, सटीक मिसाइल हमलों के ज़रिए आतंकी ठिकानों को खत्म कर दिया गया। इसका अर्थ है कि भारत की सैन्य तकनीक इतनी सटीक और परिष्कृत हो चुकी है कि वह बिना सीमा लांघे भी दुश्मन को भीतर तक हिला सकता है।
यह ऑपरेशन केवल बदले की कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब संयम से नहीं, निर्णायक सैन्य शक्ति से देगा।
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब कुछ इस तरह दिया, जिसे अब तक का सबसे साहसी और तकनीकी रूप से परिष्कृत सैन्य अभियान माना जा रहा है। इस बार भारतीय सेना ने न सिर्फ पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को जड़ से हिलाया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि उसे ऐसा करने के लिए सीमा पार करने की भी ज़रूरत नहीं। उच्च-मारक क्षमता वाली मिसाइलों ने सीमाओं के पार जाकर अपने लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बनाया, और आतंकियों के ठिकाने पूरी तरह तबाह कर दिए।
भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) ने इस अभियान के लिए 21 आतंकी ठिकानों की एक सूची तैयार की थी। इनमें से 9 प्रमुख ठिकानों पर एक साथ मिसाइल स्ट्राइक की गई, जिससे आतंकी नेटवर्क को गहरा नुकसान पहुंचा। ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य उद्देश्य स्पष्ट था—इस बार सामान्य लॉन्च पैड या प्रशिक्षण शिविर नहीं, बल्कि सीधे आतंकी संगठनों के हेडक्वॉर्टर को निशाना बनाना। इसी के तहत लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय मुरीदके (पंजाब, पाकिस्तान) को टारगेट किया गया और जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वॉर्टर बहावलपुर (पंजाब, पाकिस्तान) पर हमला किया गया।
यह पूरी कार्रवाई कोई अचानक फैसला नहीं थी। 3 मई को एक उच्चस्तरीय बैठक में इस ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार की गई थी। रणनीति, लक्ष्य और टाईमिंग तय कर ली गई थी कि इस बार वार आतंकी संगठनों की रीढ़ पर होगा। 'ऑपरेशन सिंदूर' एक ऐसी सैन्य कार्रवाई थी, जो तकनीक, खुफिया जानकारी और सैन्य समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण बनी। भारत ने यह दिखा दिया कि अब वह सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देगा, बल्कि पूर्व-नियोजित, सटीक और निर्णायक हमला करेगा वो भी बिना अपनी सीमा लांघे।
वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद सबसे बड़ा और प्रभावशाली हमला करार दिया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक सीमित जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि रणनीतिक स्तर पर सोची-समझी सैन्य योजना थी, जिसने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की रीढ़ को तोड़ने का काम किया।
इस ऑपरेशन में जिस तरह से पाकिस्तान के भीतर कई राज्यों में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया—जैसे पंजाब प्रांत का मुरीदके और बहावलपुर वह इसे पहले की सभी स्ट्राइक्स से अलग और बड़ा बनाता है। यह महज़ PoK तक सीमित कार्रवाई नहीं थी। इस हमले में 9 ठिकानों को एक साथ निशाना बनाया गया, जबकि खुफिया एजेंसी रॉ की ओर से 21 टारगेट की सूची दी गई थी। इतनी बड़ी संख्या में एकसाथ किए गए सटीक हमले इस बात का संकेत हैं कि भारत अब अपनी सैन्य क्षमताओं और खुफिया नेटवर्क के दम पर गहराई से मार करने की स्थिति में है।
ऑपरेशन सिंदूर की सबसे निर्णायक बात यह थी कि इस बार सीधे जैश-ए-मोहम्मद (बहावलपुर) और लश्कर-ए-तैयबा (मुरीदके) के मुख्यालयों को टारगेट किया गया। ये वही संगठन हैं जिन्होंने पिछले दो दशकों में भारत में पुलवामा, मुंबई 26/11, उरी और पठानकोट जैसे भीषण आतंकी हमले किए हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक जवाब नहीं, बल्कि भारत की बदलती सैन्य सोच का प्रतीक है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव स्ट्रेटेजी के तहत आतंकी ठिकानों पर हमला करेगा वो भी तकनीकी श्रेष्ठता और सटीक इंटेलिजेंस के दम पर।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। पहली बार हमला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत बहावलपुर, सियालकोट और शेखुपुरा में हुआ, जहां जैश और लश्कर जैसे संगठनों के मुख्यालय थे। यह हमला भारत की वायुसीमा के भीतर रहते हुए किया गया। इससे पहले ऐसी कार्रवाइयाँ सिर्फ पीओके और खैबर-पख्तूनख्वा तक सीमित थीं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह 1971 के बाद की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई है।
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में फैले 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया। ये ठिकाने बहावलपुर, मुरीदके (शेखपुरा), मुजफ्फराबाद और कोटली जैसे इलाकों में स्थित थे, जहां जैश, लश्कर और हिजबुल के मुख्यालय मौजूद थे। यह कार्रवाई आतंकी नेटवर्क के खिलाफ अब तक की सबसे व्यापक और सटीक स्ट्राइक मानी जा रही है।
सिर्फ 25 मिनट में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में फैले 9 बड़े आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इसमें बहावलपुर (जैश HQ), मुरीदके (लश्कर HQ), सियालकोट और चक अमरू के अड्डों के साथ-साथ पीओके के मुजफ्फराबाद, कोटली, भीमबर, बाग और गुलपुर में स्थित जैश, लश्कर और हिजबुल के शिविर शामिल थे। यह ऑपरेशन भारत की सैन्य क्षमता और रणनीति का बड़ा उदाहरण बना।
पहलगाम नरसंहार का जवाब देते हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने जैश, लश्कर और हिजबुल जैसे संगठनों के ठिकानों पर सटीक हमले किए। बहावलपुर (जैश HQ), मुरीदके (लश्कर HQ) और हिजबुल के शिविरों को निशाना बनाकर उन नेटवर्क्स पर वार किया गया, जो 2008 के मुंबई और 2019 के पुलवामा हमलों में शामिल थे। यह ऑपरेशन सिर्फ बदला नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक संदेश था।
ऑपरेशन सिंदूर में बड़ी संख्या में आतंकियों के मारे जाने की सूचना है, जिससे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को बड़ा झटका लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बहावलपुर में हमले में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और उसके 4 करीबी मारे गए। जबकि कुल लगभग 100 आतंकियों के मारे जाने की खबर है। पीओके के मुजफ्फराबाद में स्थित सैयदना बिलाल कैंप भी तबाह कर दिया गया, जहां से पहलगाम हमले की साजिश रची गई थी।
पब्लिश्ड May 7th 2025, 22:45 IST