अपडेटेड 7 March 2025 at 20:07 IST

मुजफ्फरनगर को लक्ष्मीनगर और मेरठ को अग्रसेननगर करने की मांग, जानें शहरों के नाम क्यों बदलती हैं सरकारें?

Up Politics : 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया था। इसके बाद से यूपी के अलग-अलग जिलों में नाम बदलने की मांग तेज हुई है।

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why governments change names of cities
शहरों के नाम क्यों बदलती हैं सरकारें? | Image: Republic

Name Change Politics : बीजेपी एमएलसी मोहित बेनीवाल ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर 'लक्ष्मीनगर' करने की मांग रखी है। इसके बाद मेरठ का नाम बदलकर ‘अग्रसेन नगर’ करने की मांग भी तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक कई जिले नाम बदलने वाली लिस्ट में शामिल होते जा रहे हैं।

दरअसल, साल 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया था। इसके बाद से ही यूपी के अलग-अलग जिलों में नाम बदलने की मांग तेज हुई है। शहरों को अपनी सनातनी पहचान वापस दिलाने के लिए रह रहकर ऐसी मांगे उठती रही हैं। मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर करने की मांग पर यूपी विधान परिषद के सदस्य मोहित बेनीवाल ने कहा कि हमारी परंपराओं के प्रति सम्मान के लिए जरूरी है कि हमारी भूमि और नगरों का नाम भी उसी के अनुरूप हो।

'मेरठ का नाम हो अग्रसेन नगर'

मुजफ्फरनगर से ही सटे मेरठ में BJP से जुड़े व्यापारी नेता विनीत कुमार अग्रवाल ने मेरठ का नाम बदलकर अग्रसेन नगर रखने की मांग की है। दरअसल, मेरठ में 100 करोड़ की लागत से महाराज अग्रसेन का मंदिर बनने वाला है। इसी मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में मेरठ को नई पहचान देने की मांग सामने आई और कार्यक्रम के मंच से ही बीजेपी नेता ने सरकार से मेरठ का नाम बदलने की मांग रख डाली।

  • मुजफ्फरनगर - लक्ष्मीनगर
  • मेरठ - अग्रसेननगर

फैजाबाद और इलाहाबाद का बदला नाम

आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ सरकार यूपी में कई शहरों के नाम बदल चुकी है। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद मुगलिया नामों को बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सीएम योगी ने फैजाबाद जनपद का नाम अयोध्या और जनपद इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया था। योगी सरकार ने इन दोनों शहरों को उनकी असल सनातनी पहचान के आधार पर नया नाम दिया था। इसके बाद से ही पूर्वी यूपी से लेकर पश्चिमी यूपी तक शहरों के नाम बदलने की मांग लगातार हो रही है।

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इन शहरों ने नाम बदलने की मांग

  • अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ करने की मांग 
  • संभल का नाम कल्कि नगर या पृथ्वीराज नगर 
  • बदायूं का नाम वेद मऊ करने की मांग 
  • फिरोजाबाद का नाम चंद्रनगर करने की मांग
  • आजमगढ़ का नाम आर्यमगढ़ करने की मांग
  • गाजीपुर का नाम गढ़ीपुरी करने की मांग 
  • आगरा का नाम अग्रवन करने की मांग

किसके नाम कितने गांव?

भारत विविधता और आस्था का देश है। जहां अलग-अलग धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और रीति-रिवाजों को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं। जनगणना के मुताबिक भारत में कुल गांवों की संख्या 6,77,459 है। इसमें सबसे अधिक गांवों के नाम भगवान राम के नाम पर हैं। इसके बाद भगवान कृष्ण के नाम से जुड़े गांवों की संख्या है।

  • 3,626 गांव - भगवान राम के नाम पर
  • 3,309 गांव - भगवान कृष्ण के नाम से जुड़े हैं
  • 234 गांव - मुगल बादशाह अकबर के नाम पर 
  • 62 गांव - बाबर के नाम पर 
  • 51 गांव - शाहजहां के नाम पर 
  • 30 गांव - हुमायूं के नाम पर 
  • 8 गांव - औरंगजेब के नाम पर

दिल्ली में भी नाम बदलने की मांग

यूपी ही नहीं, दिल्ली में भी कई इलाकों का नाम बदलने की मांग उठ रही है। BJP विधायकों ने विधानसभा में नाम बदलने की मांग की थी। BJP विधायकों की मांग है कि मोहम्मदपुर का नाम बदलकर माधोपुरम, मुस्तफाबाद को शिवपुरी और नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ कर दिया जाए। चुनावों के दौरान भी नेताओं ने नाम बदलने का वादा किया था।

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  • 2015 - औरंगजेब रोड का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया
  • 2016 -  रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग
  • 2017 - डलहौजी रोड को दीन दयाल उपाध्याय मार्ग किया गया
  • 2022 - राजपथ को कर्तव्य पथ कर दिया गया

केंद्र की मंजूरी जरूरी, कैसे होगी प्रक्रिया पूरी?

दिल्ली में नाम बदलने के लिए MCD को प्रस्ताव भेजना पड़ता है। MCD से होते हुए यह प्रस्ताव सरकार के पास जाता है और प्रस्ताव पारित करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए दिल्ली के केस में केंद्र की मंजूरी जरूरी है। सरकार जब गजट में प्रकाशित करती है तब प्रक्रिया पूरी होती है।

शहरों के नाम क्यों बदलती है सरकार?

सरकारों द्वारा शहरों के नाम बदलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, और ये वजहें राजनीतिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या सामाजिक हो सकती हैं। भारत में कुछ शहरों के नाम औपनिवेशिक काल (Colonial Period) या मुगल शासन के दौरान बदले गए थे। सरकार मानती हैं कि पुराने नामों को वापस लाकर अपनी संस्कृति और इतिहास के साथ न्याय किया जा सकता है। जैसे- इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करना। इसके पीछे दावा किया गया कि यह शहर का मूल नाम था।

राजनीतिक विचारधारा या धार्मिक कारण?

कई बार शहरों के नाम बदलने के पीछे राजनीतिक एजेंडा भी हो सकता है। सरकारें अपनी विचारधारा के अनुसार नाम बदलकर अपने समर्थकों को संदेश देना चाहती हैं कि वे ऐतिहासिक गलतियों को सुधार रही हैं। कुछ नाम बदने के पीछे धार्मिक भावनाएं भी होती हैं। खासकर जब किसी शहर का नाम किसी धर्म, परंपरा या धार्मिक स्थल से जुड़ा होता है।

आधुनिक पहचान और जनता की मांग

कई बार शहरों के नाम इसलिए भी बदले जाते हैं ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा पहचान मिल सके या नाम को सरल और आकर्षक बनाया जा सके। इतिहास में इसका उदहारण भी मिलता है। जैसे- बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया, यह मराठी संस्कृति को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों से जुड़ाव दिखाने का प्रयास था।

लोगों की अलग-अलग राय

नाम परिवर्तन कभी-कभी एक विशेष वर्ग, जाति या धर्म को खुश करने के उद्देश्य से भी किया जाता है, ताकि उनका समर्थन हासिल किया जा सके। कई लोग इसे अपनी पहचान और संस्कृति से जुड़ने का जरिया मानते हैं, तो कुछ इसे अनावश्यक खर्च और राजनीति कहकर आलोचना करते हैं।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 7 March 2025 at 19:29 IST