अपडेटेड 24 October 2023 at 12:26 IST
Ravan Dahan: रावण दहन से पहले क्यों की जाती है पुतले की पूजा? क्या है पूजा की विधि
Dussehra: देश के कोने-कोने में आज दशहरे की धूम देखने को मिल रही है, लेकिन क्या आप लोग जानते हैं कि रावण दहन से पहले पुतले की पूजा की जाती है। नहीं तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।
- भारत
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Ravan Dahan Se Pehle Kyu Ki Jati Hai Puja Kya Hai Vidhi: हर साल दशहरे का त्योहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। ठीक उसी तरह से इस बार भी हर तरफ विजयादशमी की धूम देखने को मिल रही है। 24 अक्टूबर 2023 की शाम को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक को दर्शाते हुए रावण का पुतला जलाया जाता है, लेकिन यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि रावण दहन से पहले पुतले की पूजा की जाती है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर दशहरे पर रावण को फूंकने से पहले उसकी पूजा क्यों करते हैं और पूजा विधि क्या है?
स्टोरी में आगे ये पढ़ें...
- किस मुहूर्त में होगा 2023 रावण दहन?
- रावण दहन से पहले क्यों की जाती है पुतले की पूजा?
- दशहरा पर बन रहे हैं ये मुहूर्त
- रावण दहन पूजा की विधि क्या है?
किस मुहूर्त में होगा 2023 रावण दहन?
Ravan Dahan 24 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को है, लेकिन रावण का पुतला जलाने से पहले शुभ मुहूर्त का होना बेहद जरूरी होता है। इस साल रावण दहन का समय शाम 6 बजकर 35 से रात में 8 बजककर 30 मिनट तक है।
रावण दहन से पहले क्यों की जाती है पुतले की पूजा?
ऐसी मान्यता है कि रावण दहन से पहले रावण की विधिवत पूजा करनी चाहिए, क्योंकि रावण को एक प्रकांड ब्राह्मण के रूप में भी जाना जाता है और यही वजह है कि लंकापति की हत्या के बाद श्रीराम पर भी ब्रह्महत्या का पाप लग गया था। इसलिए रावण दहन से पहले लंकापति रावण की पूजा करनी चाहिए ताकि ब्रह्महत्या का पाप व्यक्ति पर न लगे।
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दशहरा पर बन रहे हैं ये मुहूर्त
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 44 मिनट से हो चुकी है जिसका समापन 24 अक्टूबर 2023 की दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगी। ऐसे में इस दौरान कुछ शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं।
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:43 से दोपहर 12:28 तक
- विजय मुहूर्त- दोपहर 1:58 से दोपहर 2:43 तक
- अपराह्र पूजा का समय- दोपहर 1:13 से दोपहर 3:28 तक
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:43 से शाम 6:09 तक
रावण दहन पूजा की विधि क्या है?
- दशहरा की पूजा अभिजित मुहूर्त, अपराह्र काल या विजय मुहूर्त में ही की जाती है।
- दशहरा पूजा घर के ईशान कोण में की जाती है। इसके लिए इसको अच्छी तरह साफ करें। फिर वहां चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र बनाएं।
- इसके बाद अष्टदल चक्र के बीच में अपराजिताय नमः मंत्र के साथ मां देवी अपराजिता का आह्वान करें।
- फिर दायीं ओर क्रियाशक्त्यै नमः मंत्र के साथ मां जया का आह्वान करें।
- बायीं ओर मां विजया का उमायै नमः मंत्र के साथ आह्वान करें।
- तीनों देवियों की षोडोपचार विधि से पूजा करें।
- फिर श्रीराम और हनुमान जी का भी पूजन करें।
- इस दिन अस्त्र-शस्त्र पूजा का विधान भी है इसके लिए शस्त्रों की साफ सफाई कर विधि अनुसार पूजन करें।
- इस दिन देवी अपराजिता की पूजा होती है, कहते हैं श्रीराम ने भी लंका पर विजय प्राप्ति के लिए मां अपराजिता की पूजा की थी।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 24 October 2023 at 12:21 IST