अपडेटेड 28 January 2023 at 20:48 IST
भारतीय वायुसेना में कब शामिल हुए Sukhoi-30 & Mirage 2000, जानिए पूरी कहानी...
सुखोई-30 और मिराज 2000 लड़ाकू विमानों (Sukhoi-30 & Mirage 2000) का भारतीय वायु सेना व्यापक रूप से इस्तेमाल करती आ रही है।
- भारत
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Sukhoi-30 & Mirage 2000 Crash: मध्य प्रदेश के मुरैना में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के दो लड़ाकू विमान क्रैश हो गए, जिनमें एक सुखोई -30 और एक मिराज 2000 विमान (Sukhoi-30 & Mirage 2000 Crash) शामिल है। शुरुआती जांच रिपोर्ट के मुताबिक दोनों विमान हवा में आपस में टकरा गए। बताया गया कि सुखोई में दो और मिराज में एक पायलट सवार थे। हादसे में दोनों विमानों के पायलट गंभीर रुप से घायल हो गए, हालांकि बाद में खबर मिली कि एक पायलट शहीद हो गया। हादसे के वजहों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इनक्वायरी के आदेश दे दिए हैं।
सुखोई-30 और मिराज 2000 लड़ाकू विमानों (Sukhoi-30 & Mirage 2000) का भारतीय वायु सेना व्यापक रूप से इस्तेमाल करती आ रही है। सात मिराज 2000 विमानों के पहले बेड़े को साल 1985 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। वहीं सुखोई-30 को बहुत बाद में भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किया गया। सुखोई 30 एमकेआई रूस में बने सुखोई-27 का एडवांस वर्जन है।
मिराज 2000 का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Mirage 2000)
1970 के दशक के अंत में फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने सिंगल-इंजन, मल्टीरोल, चौथी पीढ़ी के जेट फाइटर, मिराज 2000 का निर्माण किया था। भारत ने मिराज 2000 विमाों की खरीद पाकिस्तान के F-16 A/B लड़ाकू विमानों का मुकाबले के लिए की। साल 1985 में मिराज की पहली खेल मिलने के बाद दो विमान 1994 में भारत आए। साल 2000 तक भारतीय वायुसेना के पास मिराज 2000 की संख्या बढ़कर 45 हो गई। मिराज 2000 लड़ाकू विमानों को यूएस पावेवे-2 लेजर गाइडेड बम किट से लैस किया गया था, जो उन्हें पारंपरिक गाइडेड बम के अलावा लेजर-गाइडेड बम गिराने में सक्षम बनाता है।
मिराज 2000 की क्षमता को भारत ने कारगिल युद्ध के दौरान देखने को मिली थी। कारगिल युद्ध में मिराज ने युद्ध का पासा ही पलट दिया था। भारतीय वायु सेना के ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ में मिराज ने अपने अद्भुत युद्ध कौशल से 2 महीने से चल रहे संघर्ष को निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया।
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इसके अलावा, 2001-2002 के भारत-पाकिस्तान गतिरोध (India-Pakistan standoff) के बीच, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बंकरों को नष्ठ करने के लिए मिराज 2000 का इस्तेमाल किया। हाल ही में साल 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों पर बम वर्षा करने के लिए भी मिराज 2000 का प्रयोग किया गया था।
सुखोई-30 का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Sukhoi-30)
सुपर मैन्युएवरेबल फाइटर प्लेन के रूप में दुनिया में जाना जाने वाला Su-30 रूस के सुखोई एविएशन कॉर्पोरेशन का बनाया हुआ, डबल इंजन का टू-सीटर विमान है। Su-30 किसी भी मौसम में मिशन को अंजाम देने के लिए तैनात किया जा सकता है। सुखोई के रूस से पहला सौदा 28 दिसंबर 2000 में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में किया गया।
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अभी भारत में भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) Su-30 विमानों का उत्पादन करती है। रक्षा उत्पादों में भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हए साल 2004 के बाद से सुखोई-30 का उत्पादन एचएएल करता है।
मूल रूप से रूसी सुखोई-27 का अपग्रेडेड वर्जन सुखोई-30MKI भारतीय वायुसेना की ओर से कई मौकों पर उपयोग किया जाता है। Su-30MKI को विभिन्न हवाई युद्धाभ्यासों में अपनी ताकत को दिखाया है। अक्टूबर 2006 में, ब्रिटिश रॉयल एयर फ़ोर्स (RAD) एयर वाइस मार्शल क्रिस्टोफर हार्पर ने Su-30MKI की डॉगफाइटिंग की क्षमता की तारीफ करते हुए इसे ‘डॉगफाइटिंग के लिए परफेक्ट’ बताया था।
आपको बता दें कि 26 फरवरी 2019 को Su-30 MKI ने बालाकोट हवाई हमले के दौरान मिराज 2000 को एस्कॉर्ट किया। 27 फरवरी को गश्त के दौरान दो Su-30MKI पर कई पाकिस्तानी F-16 ने हमला किया। हालांकि ये उन्हें चकमा देने में सफल रहा।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 28 January 2023 at 20:47 IST

