अपडेटेड 30 October 2023 at 07:53 IST

Somwar Vrat: कब और कैसे शुरू करें 16 सोमवार का व्रत, जानें इससे जुड़ी हर बात

Somwar Fast अक्सर कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर और मनोकामनापूर्ति के लिए करती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह व्रत कब और कैसे शुरू करना चाहिए।

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Somwar Vrat Kab Aur Kaise Kare

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Somwar Vrat Kab Aur Kaise Kare image- shutterstock | Image: self

Somwar Vrat Kab Aur Kaise Kare: सप्ताह का सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित है। इस दिन भोलेनाथ की विधिवत पूजा अर्चना के साथ व्रत करने का विधान है। अक्सर कुंवारी कन्याएं सोमवार का व्रत इच्छित वर और मनोकामनापूर्ति के लिए करती हैं। मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से शिव साधक के सारे कष्ट दूर होते हैं और उनकी कामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस व्रत को कब और कैसे शुरू करना चाहिए और पूजा विधि क्या है। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

स्टोरी में आगे ये पढ़ें...

  • सोमवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?
  • सोमवार का व्रत कैसे करना चाहिए क्या है पूजा विधि?
  • सोमवार व्रत का लाभ क्या है?

सोमवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?

वैसे तो 16 सोमवार का व्रत सावन माह के किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं, लेकिन अगर आप किसी कारणवश श्रावण मास से इस व्रत को न शुरू कर सकें तो आप इसे चैत्र, वैशाख, कार्तिक और मार्गशीर्ष के महीने में भी उठा सकते हैं। 16 सोमवार का व्रत हमेशा इन महीनों के शुक्लपक्ष के पहले सोमवार से शुरू करना अत्यंत ही शुभ माना गया है।

सोमवार का व्रत कैसे करना चाहिए क्या है पूजा विधि?

  • अगर आप सोमवार का व्रत करने जा रहे हैं, तो इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें और फिर नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • फिर पूरे घर में गंगा जल या पवित्र जल का छिड़काव करें। 
  • इसके बाद घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें।
  • फिर पूजन की तैयारी के बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • फिर विधिवत शिव और पार्वती की पूजा करें और उनकी पसंद का भोग लगाएं।
  • आखिरी में शिव आरती करके प्रसाद बांट दें। 

सोमवार व्रत का लाभ क्या है?

  • भगवान शिव को समर्पित सोमवार का व्रत रखने से मनुष्य की दुःख और चिंताएं दूर होती हैं और शरीर के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • इसके अलावा इस व्रत को करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
  • कुंवारी लड़कियां द्वारा इस व्रत को करने से उनको मनोकूल जीवन साथी मिलता है वही सुहागन महिलाओं का सौभाग्य अखंड रहता है, घर में सुख-शांति बनी रहती है।  

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 30 October 2023 at 07:53 IST