अपडेटेड 17 January 2024 at 19:36 IST
जिसकी रामभक्त करते आ रहे पूजा, प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रीराम की पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
Ram Mandir: नई मूर्ति की स्थापना के साथ कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि अब रामलला की पुरानी प्रतिमा का क्या होगा?
- भारत
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Ayodhya Ram Temple: इंतजार की घड़ियां अब खत्म होने को हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही घंटों का समय बाकी रह गया। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है। देश ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें इस वक्त अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर हो रहे भव्य आयोजन पर टिकीं हैं।
स्टोरी से जुड़ी तीन बड़ी बातें…
- अरुण योगीराज ने बनाई है नई मूर्ति
- जानिए क्या है इसकी खासियत
- रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
51 इंच की हैं बाल स्वरूप मूर्ति
राम मंदिर में कर्नाटक के शिल्पकार अरुण योगीराज की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना गया है। यह मूर्ति पांच साल के बालस्वरूप में है। इस मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच होगी। इसमें ललाट के ऊपर का हिस्सा अलग है। मूर्ति 1.5 टन वजनी है। इसके साथ ही अन्य एक पुरानी और दो हाल ही में निर्मित मूर्तियों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ट्रस्ट की तरफ से भी इसपर स्थिति साफ कर दी गई है।
श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि तीन मूर्ति में से एक मूर्ति का चयन हुआ गया है। उन्होंने बताया कि जिस मूर्ति की स्थापना होगी, उसे गहरे रंग के पत्थर से बनी मूर्ति है। इसमें एक पांच के बच्चे की मासूमियत दिखती है। साथ ही भगवान विष्णु की दिव्यता और एक शाही बेटे की झलक भी नजर आती है। चंपत राय के अनुसार सर, मुकुट को भी बारीकी से बनाया गया है।
पुरानी प्रतिमा का क्या होगा?
रामलला की नई मूर्ति की स्थापना के साथ कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि अब पुरानी प्रतिमा का क्या होगा? प्रभु श्रीराम की पुरानी मूर्तियों को भी गर्भगृह में ही स्थापित किया जाएगा। इसे उत्सव मूर्ति कहा जाएगा। जबकि नई मूर्ति को अचल प्रतिमा कहा जाएगा। आइए जानते हैं क्या है अचल और उत्सव मूर्ति का मतलब?
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‘अचल’ और ‘उत्सव’ मूर्ति का मतलब क्या?
अचल का मतलब होता है स्थाई। अचल मूर्ति का मतलब है कि इस नई मूर्ति को गर्भगृह से कभी नहीं हटाया जाएगा और इसे बाहर भी नहीं निकाला जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर राम भक्त रामलला की जिस प्रतिमा की पूजा अस्थाई मंदिर में कर रहे हैं, उसे उत्सव मूर्ति कहा जाएगा। इस मूर्ति का उपयोग सभी उत्सव में किया जा सकेगा। मूर्ति को उत्सव या परिक्रमा के दौरान बाहर निकाला जा सकेगा। श्री राम से जुड़ा कोई उत्सव होने पर पुरानी मूर्ति को बाहर निकाला जाएगा।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 17 January 2024 at 19:36 IST