अपडेटेड 13 February 2025 at 14:30 IST
Waqf Bill: नए कानून में महिलाओं की भागीदारी और संपत्ति पर बड़े बदलाव, जाने वक्फ बोर्ड के नए और पुराने कानून में क्या अंतर ?
राज्यसभा में BJP सांसद मेधा कुलकर्णी ने वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की है। आइये जानते हैं वक्फ बोर्ड कानून के नए और पुराने कानून में क्या कुछ बड़े अंतर है।
- भारत
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Waqf Bill Rajya Sabha: राज्यसभा में BJP सांसद मेधा कुलकर्णी ने वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की है। विपक्ष ने इस पर हंगामा किया। इस विधेयक का मकसद वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता लाना और इनमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। विपक्षी दलों ने नारेबाजी की और सरकार पर वक्फ बोर्डों को कमजोर करने का आरोप लगाया। आइये जानते हैं वक्फ बोर्ड कानून के नए और पुराने कानून में क्या कुछ बड़े अंतर है।
वक्फ बोर्ड पुराना कानून
- 1. सेक्शन 40 में रीजन टू बिलीव के तहत अगर वक्फ बोर्ड किसी प्रॉपर्टी पर दावा करता है तो उस जमीन पर दावा करने वाला सिर्फ ट्रिब्यूनल में ही अपील कर सकता है।
- 2. वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी माना जाता है। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती।
- 3. किसी जमीन पर मस्जिद हो या उसका उपयोग इस्लामिक उद्देश्यों के लिए हो तो वो ऑटोमैटिक वक्फ की संपत्ति हो जाती है।
- 4. वक्फ बोर्ड में महिला और बतौर सदस्य अन्य धर्म के लोगों की एंट्री नहीं होगी।
वक्फ बोर्ड का नया प्रस्तावित बिल
- 1. नए बिल के अनुसार जमीन पर दावा करने वाला ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाई कोर्ट में अपील कर सकेगा।
- 2. अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी।
- 3. जब तक किसी ने वक्फ को दान में जमीन नहीं दी हो। उस पर भले ही मस्जिद बनी हो पर वह वक्फ की संपत्ति नहीं होगी।
- 4. वक्फ बोर्ड में 2 महिलाओं और बाकी धर्म के 2 सदस्यों को एंट्री मिलेगी।
राज्यसभा में वक्फ बिल पर JPC रिपोर्ट पेश
राज्यसभा में BJP सांसद मेधा कुलकर्णी ने वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की। विपक्ष ने इस पर हंगामा किया। JPC ने 30 जनवरी को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी थी। यह रिपोर्ट 655 पन्नों की हैं। 16 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला। वहीं 11 मेंबर्स ने विरोध किया। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई।
जेपी नड्डा ने कहा- सदन के अंदर वाद विवाद और विषयों एक बार में चर्चा, प्रजातांत्रिक तरीके से हमें हाउस की कार्यवाही को चलाया जाना चाहिए, मुझे दुःख है की आपके बार बार समझने के बावजूद विपक्ष ने जिस तरीके की भूमिका अदा की है वो गैरज़िम्मेदाराना है। इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है। मैं ऑन रिकॉर्ड लाना चाहता हूं की राष्ट्रपति जी का मेसेज जब पढ़ा जाए तो सदन की गरिमा को बनाये रखा जाना चाहिए था।
असहमति ठीक लेकिन कूड़ेदान में क्यों फेंके- संजय सिंह
जेपीसी रिपॉर्ट पर राज्यसभा में आप सांसद संजय सिंह ने कहा- हमने अपना पक्षा रखा। इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन कूड़ेदान में कैसे डाल सकते हैं। आज वक्फ की संपत्ति पर कब्जा कर रहे हैं। कल गुरुद्वारे की करेंगे, फिर मंदिर की करेंगे।
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विपक्ष के सदस्यों ने रिपोर्ट को फर्जी बताया
विपक्ष के सदस्यों ने वक्फ विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट को असंवैधानिक और फर्जी बताया है। काफी देर तक सदन में चले हंगामे को शांत करने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने की इजाजत दी। खड़गे ने कहा कि वक्फ बोर्ड पर जेपीसी रिपोर्ट में कई सदस्यों की असहमति रिपोर्ट है। उन नोटों को हटाना और हमारे विचारों को दबाना ठीक नहीं है। ये लोकतंत्र विरोधी है। असहमति रिपोर्ट को हटाने के बाद जो भी रिपोर्ट पेश की गई है, निंदा करते हैं। हम ऐसी फर्जी रिपोर्ट को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कई आरोप लगाए
अपने बयान में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- 'जेपीसी की रिपोर्ट है, जिस पर अनेक सदस्यों ने डिस्टेंस नोट दिया है। उसके बावजूद भी कार्यवाही से निकालना और सत्ताधारी सदस्यों के विचार उसमें रखकर इसे बनाना ठीक नहीं है।' खड़गे ने आरोप लगाए- 'नॉन स्टेज होल्डर, बाहर से बुलाकर उनको लोगों को खड़ा करके उनके स्टेटमेंट ले रहे। इतने लोग संसद में जो भी डिस्टेंस नोट दिए हैं, क्या उनमें कोई एक पढ़ा लिखा नहीं है। अगर कुछ करना भी है तो डिस्टेंस नोट के व्यूज को प्रिंट करके या अपनी रिपोर्ट में डालकर बोलना चाहिए। उसके बजाय उसे डिलीट करके अगर कोई रिपोर्ट होती है, मैं उसका खंडन करता हूं। हम ऐसी रिपोर्ट को कभी नहीं मानेंगे। विनती कर रहा हूं कि जो भी रिपोर्ट आई है, अगर उस रिपोर्ट में डिस्टेंस व्यूज नहीं तो उसे वापस भेज दिया जाए। बाद में फिर से विचार करके डिस्टेंस व्यूज के साथ रिपोर्ट पेश कीजिए। उसके बाद क्या होता है, तब देखते हैं।'
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सदस्य गुस्सा क्यों होते हैं, क्योंकि ये उनके घर का सवाल नहीं है। ये पूरे समाज के लिए है, जिनके साथ अन्याय हो रहा है, ये अन्याय के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। अगर रिपोर्ट में असहमति के विचार नहीं हैं, तो उसे वापस भेजकर दोबारा पेश किया जाना चाहिए। राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि संविधान के खिलाफ ऐसी चीजें करते हैं तो गड़बड़ होता है और लोग प्रोटेस्ट करेंगे। इस रिपोर्ट को फिर से जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए।
विपक्ष के आरोपों पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने दिया जवाब
विपक्ष के आरोपों के बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने राज्यसभा में जवाब दिया है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि कानून के बारे में बता रहे हैं। नियम के तहत अध्यक्ष को पावर है। कोई गलत तरीका नहीं है। इनके समय के बनाए हुए रूल हैं और विपक्ष के द्वारा जो विषय उठाया जा रहा है वो पूरी तरह गलत और तथ्यहीन है। उसके बाद भी ये डिस्टर्ब करना चाहें तो इनकी मर्जी है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष झूठे आरोप लगा रहा है। कोई नियम नहीं तोड़ा गया है। रिजिजू ने कहा कि ये सदन को गुमराह नहीं कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप किस आधार पर ये दावा कर रहे हैं कि असहमति जताने वाले नोट हटा दिए गए हैं? जेपीसी के सभी सदस्यों ने रिपोर्ट में भाग लिया, ये दुर्भाग्यपूर्ण है।
विपक्ष एक दावे पर सभापति ने क्या कहा?
डिस्सेंट नोट हटने के विपक्ष एक दावे पर सभापति जगदीप धनखड़ ने भी अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि कोई भी असहमति नोट हटाया नहीं गया। ये समिति की तरफ से साफ कर दिया गया है। जगदीप धनखड़ ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने ये साफ कर दिया है कि असहमति नोट का कोई भी हिस्सा हटाया नहीं गया।
विपक्ष के हंगामे पर सभापति ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि जब हम सदन को शालीनता से चला सकते हैं तो दो या तीन सदस्य यहां आकर जो आचरण कर रहे हैं, वो चिंता का विषय है। ये सदस्य आखिर क्या दिखाना चाहते हैं। जगदीप धनखड़ ने कहा कि ये जो विषय है, इससे पूरा देश जुड़ा हुआ है। एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लोगों के मत होंगे और अनेक मत होंगे, ये सदन उन विचारधाराओं का संगम बनेगा। सदन जो फैसला करेगा, वो प्रजातांत्रिक व्यवस्था के हिसाब से होगा। सभापति ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि आप सबको पता होगा कि जेपीसी की जो रिपोर्ट है, उनकी असहमियत क्या है। ये सदन में आती है, उस पर समय पर बहस और मंथन होगा। यदि अगर एक समानता नहीं आएगी तो एक विधिक प्रतिक्रिया के तहत फैसला होगा। लेकिन ये फैसला हंगामे से नहीं होगा, बल्कि ये विचारों की ताकत और आखिर में प्रजातांत्रिक व्यवस्था में पद्धति के तहत ही फैसला होना है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 13 February 2025 at 14:30 IST