अपडेटेड 17 May 2024 at 15:07 IST
केदारनाथ धाम में रील्स बनाने का सपना नहीं होगा पूरा, इतने मीटर के दायरे में मोबाइल यूज पर लगा बैन
चारधाम की यात्रा के दौरान अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। अगर आप रील्स बनाने का सपना देख रहे हैं, तो वो पूरा नहीं हो सकेगा।
- भारत
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चारधाम की यात्रा पर जाकर अगर आप रील्स बनाने का सपना देख रहे हैं, तो ये एक सपना बनकर रह जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चारधाम की यात्रा में कुछ मीटर की दूरी तक मोबाइल पर बैन लगा दिया गया है। चारों धामों में मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल ले जाने पर बैन लगा दिया गया। यानि कि केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में मंदिरों के अंदर अब श्रद्धालु अपना मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे। ये बैन मंदिर की 50 मीटर की रेंज तक लगाया जा रहा है। उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी राधा रतूड़ी की ओर से ये आदेश जारी किए हैं।
उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने चारों धामों में मंदिर परिसर के 50 मीटर के दायरे में वीडियोग्राफी/सोशल मीडिया के लिए रील बनाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। उन्होंने यह आदेश सचिव पर्यटन, आयुक्त गढ़वाल मंडल और संबंधित जिलों के डीएम और एसपी को दिया है।
10 मई से खुले केदारनाथ के कपाट
केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार 10 मई को खुल रहे हैं। इसी क्रम में भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली ने आज गुरुवार 8 मई को प्रात 8.30 बजे गौरामाई मंदिर गौरीकुंड से श्री केदारनाथ थाम की ओर प्रस्थान कर गई। यह प्रक्रिया हर साल दोहराई जाती है। जिसमें सैकड़ों देश-विदेश के श्रद्धालु भी डोली यात्रा संग केदारनाथ जाते हैं।
भगवान केदारनाथ की चलविग्रह उत्सव पंचमुखी मूर्ति की देवडोली को कई दशकों से श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के स्वयं सेवक एवं हक- हकूकधारी पांवों में बिना कुछ पहने पैदल चलकर शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से श्री केदारनाथ धाम तक पहुंचाते हैं।
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आज पंचमुखी डोली के केदारनाथ प्रस्थान होते समय श्रद्धालुजनों तथा गौरीगांव के स्कूली बच्चों ने बाबा केदार का जय घोष कर पुष्प वर्षा की है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर जिला प्रशासन, पुलिस, गढवाल मंडल विकास निगम और स्थानीय दुकानदारों ने देव डोली का स्वागत किया। इससे पहले आठ मई को प्रात: 8.45 बजे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली फाटा से तीसरे पड़ाव गौरामाई मंदिर गौरीकुंड की ओर निकली थी। बीते छह मई को देवडोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रवास हेतु पहुंची और मंगलवार सात मई को दूसरे पड़ाव फाटा पहुंची थी।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 17 May 2024 at 10:45 IST