अपडेटेड 9 December 2024 at 17:24 IST

संभल के बाद विवादों में जौनपुर की अटाला मस्जिद, याचिका लगाकर मंदिर होने का दावा, क्या है पूरा मामला?

अटाला मस्जिद को लेकर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर जिला कोर्ट में दावा किया है कि ये अटाला देवी का मंदिर हुआ करता था।

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संभल के बाद विवादों में जौनपुर की अटाला मस्जिद | Image: Facebook

उत्तर प्रदेश में अयोध्या, काशी, मथुरा और संभल में शाही जामा मस्जिद विवाद के बाद अब देश की पूर्व राजधानी रही जौनपुर की अटाला मस्जिद पर अब विवाद शुरू हो गया है। ये विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है, आज (9 दिसंबर) इस मामले की सुनवाई हो रही है। जौनपुर की अटाला मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा करने वाला स्वराज वाहिनी संगठन हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेगा। वहीं इस मामले में अटाला मस्जिद की वक्फ कमेटी की तरफ से भी जौनपुर के जिला जज द्वारा दोबारा जांच की याचिका के आदेश को चुनौती दी गई है। जौनपुर के डिस्ट्रिक जज ने 12 अगस्त 2024 को आदेश जारी कर जौनपुर की जिला कोर्ट में दाखिल मुकदमे की सुनवाई को मंजूरी दी थी।


इसके पहले 29 मई को जौनपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सिविल जज ने मुकदमे को अपने यहां रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू किए जाने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल की गई याचिका में 29 मई और 12 अगस्त के दोनों आदेशों को चुनौती दी गई है। आज हो रही सुनवाई में हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता राम सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट में सुनवाई हमारे पक्ष में हो गई। साथ ही कहा कि  जवाबदेही के लिए समय लिया जाएगा और मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आपत्ति दाखिल की जाएगी। यह दावा किया कि हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका ख़ारिज कर दी जाएगी।


क्या है पूरा मामला?

जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने जौनपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा दर्ज करवा कर इस बात का दावा किया है कि जौनपुर की अटाला मस्जिद अटाला देवी मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। उन्होंने इस बात का दावा किया है कि ये मस्जिद जिस जगह बनाई गयी है वहां पर पहले अटाला देवी का मंदिर हुआ करता था। वहां पर अटाला देवी के मंदिर होने के ऐतिहासिक तथ्य भी मौजूद हैं। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने बनवाया था ये बात ऐतिहासिक तथ्यों से मिले प्रमाणों से पता चलती है, लेकिन फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर कब्जा करने के बाद अटाला देवी के मंदिर को तोड़कर उसी जगह पर अटाला मस्जिद का निर्माण करवाया था। स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने अपनी याचिका में मस्जिद को मंदिर बताते हुए वहां पर पूजा अर्चना करने की इजाजत मांगी है।  


अटाला मस्जिद पर मंदिर होने के दावे पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी

वहीं AIMIM चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुदीन ओवैसी जौनपुर की अटाला मस्जिद के मंदिर होने का दावा किए जाने के मामले पर भड़क उठे और सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफार्म पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है जहां उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे। प्रत्येक 'वाहिनी' 'परिषद' 'सेना' आदि के पीछे सत्ताधारी दल का अदृश्य हाथ होता है। पूजा स्थल अधिनियम की रक्षा करना और इन झूठे विवादों को समाप्त करना उनका कर्तव्य है।'

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जौनपुर का इतिहास

ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक जौनपुर शहर की स्थापना 11वीं शताब्दी में हुई थी। गोमती नदी में आई बाढ़ की वजह से ये शहर पूरी तरह से डूब गया था। साल 1359 में फिरोज शाह तुगलक ने एक बार फिर से जौनपुर शहर को बसाया। मध्यकाली इतिहास के मुताबिक जौनपुर भारत के शर्की शासकों की राजधानी हुआ करती थी शर्की शासकों ने जौनपुर में बहुत सी ऐसी बेहतरीन इमारतों का निर्माण करवाया है जिसमें हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्यकला का बेहतरीन मिश्रण की झलक दिखाई देती है। इसके पहले जौनपुर को यवनपुर के नाम से जाना जाता था। ये शिक्षानगरी के रूप में भी मशहूर था। यहां पर परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि रहा करते थे इसी वजह से यहां का नाम जमदग्नि पुरी भी हुआ करता था। महर्षि दधीचि का नाम भला किसने नहीं सुना वो भी जमदग्नि पुरी (जौनपुर) में रहते थे। जब देवराज इंद्र वृत्तासुर नामक राक्षस को पराजित नहीं कर पाए तब उन्होंने महर्षि दधीचि की अस्थियां मांगी और उससे बने वज्र से राक्षस का वध किया था। 

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 9 December 2024 at 17:24 IST