अपडेटेड 29 December 2025 at 18:18 IST

Unnao Rape Case: 'थकी हूं, डरी हूं, लोग धमकी देते हैं कि मेरा रेप किया जाना चाहिए', कुलदीप सेंगर की डॉक्‍टर बेटी का छलका दर्द

इशिता ने लिखा है, 'मैं यह पत्र एक ऐसी बेटी के रूप में लिख रही हूं जो थकी हुई, डरी हुई और धीरे-धीरे विश्वास खो रही है, लेकिन फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है क्योंकि अब कहीं और जाने की जगह नहीं बची है।

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Unnao Rape Case Kuldeep Sengar Daughter Writes Open Letter says Still Waiting for Justice
Unnao Rape Case: 'थकी हूं, डरी हूं, लोग धमकी देते हैं कि मेरा रेप किया जाना चाहिए', कुलदीप सेंगर की डॉक्‍टर बेटी का छलका दर्द | Image: X

उन्नाव रेपकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। 29 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई अब चार सप्ताह बाद होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को कुलदीप सेंगर को जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुलदीप सेंगर की बेटी डॉ. इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट साझा किया।

इशिता ने यह तक कह दिया कि वो कुलदीप सिंह सेंगर की बेटी हैं, इसलिए लोग चाहते हैं कि उनके साथ भी रेप जैसी घटना होनी चाहिए, हत्या कर देनी चाहिए। वहीं कुलदीप सिंह सेंगर की दूसरी बेटी ऐश्वर्या सेंगर ने कहा है कि 'लड़ेंगे, हारेंगे नहीं'।

डॉ. इशिता सेंगर ने X पर क्या लिखा

इशिता ने लिखा है, 'मैं यह पत्र एक ऐसी बेटी के रूप में लिख रही हूं जो थकी हुई, डरी हुई और धीरे-धीरे विश्वास खो रही है, लेकिन फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है क्योंकि अब कहीं और जाने की जगह नहीं बची है। आठ वर्षों से, मेरा परिवार और मैं चुपचाप, धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह मानते हुए कि यदि हम सब कुछ ‘सही तरीके से’ करेंगे, तो अंततः सच्चाई स्वयं सामने आ जाएगी। हमने कानून पर भरोसा किया। हमने संविधान पर भरोसा किया। हमने भरोसा किया कि इस देश में न्याय शोर-शराबे, हैशटैग या जन आक्रोश पर निर्भर नहीं करता। मगर, अब मेरा विश्वास टूट रहा है।’

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इशिता ने आगे कहा, 'मेरी पहचान एक लेबल तक सीमित रह गई है। वो है- भाजपा विधायक की बेटी। जैसे कि यह मेरी इंसानियत को खत्म कर देता है। जैसे कि सिर्फ इसी वजह से मैं निष्पक्षता, सम्मान, या बोलने के अधिकार की हकदार नहीं हूं। जिन लोगों ने मुझसे कभी मुलाकात नहीं की, कभी कोई दस्तावेज नहीं पढ़ा, कभी कोई कोर्ट रिकॉर्ड नहीं देखा, उन्होंने तय कर लिया है कि मेरी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है। 

इन सालों में, मुझे सोशल मीडिया पर अनगिनत बार कहा गया है कि मैं जिंदा क्यों हूं। अगर जिंदा हूं तो उसके लिए मेरा रेप किया जाना चाहिए, मुझे मार दिया जाना चाहिए, या सजा दी जानी चाहिए। यह नफरत काल्पनिक नहीं है। यह रोज की बात है। यह लगातार है। जब आपको एहसास होता है कि इतने सारे लोग मानते हैं कि आप जीने के भी लायक नहीं हैं, तो यह आपके अंदर कुछ तोड़ देता है।'

‘सच्‍चाई को तमाशे की जरूरत नहीं’

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इशिता आगे लिखती हैं, 'धमकियों और टिप्पणियों के बाद भी हमने मौन इसलिए नहीं चुना क्योंकि हम ताकतवर थे बल्कि इसलिए कि हम संस्थाओं में विश्वास रखते थे। हमने विरोध प्रदर्शन नहीं किया। हमने मीडिया में शोर नहीं मचाया, पुतले नहीं फूकें और न ही हैशटैग ट्रेंड किए। हमने इंतजार किया क्योंकि हमारा मानना था कि सच्चाई को तमाशे की जरूरत नहीं होती है।

Dr. Ishita Sengar PC- X



हमारी गरिमा को धीरे-धीरे छीन लिया गया है। आठ सालों तक हर दिन हमारा अपमान किया गया, हमारा उपहास किया गया और हमें अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा। एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय भागते-भागते, पत्र लिखते, फोन करते, अपनी बात सुनाने की गुहार लगाते हुए हम आर्थिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से थक चुके हैं। ऐसा कोई दरवाजा नहीं था जिस पर हमने दस्तक न दी हो। ऐसा कोई नहीं था जिससे हम संपर्क न कर सकें। ऐसा कोई मीडिया हाउस नहीं था जिसे हमने पत्र न लिखा हो। इसके बाद भी हमारी किसी ने नहीं सुनी। लोगों ने इसलिए हमारी नहीं सुनी क्योंकि हमारा सच इनकन्वेनिएंट (असुविधाजनक) था।'

‘एक ताकतवर परिवार 8 साल तक चुप रह सकता है क्या?’

इशिता ने कहा है कि लोग हमें ताकतवर कहते हैं, लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि क्या एक ताकतवर परिवार 8 साल तक चुप रह सकता है क्या? हम एक ऐसी व्यवस्था पर भरोसा करते रहे जो आपके अस्तित्व को भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है जबकि आपके नाम को रोजाना बदनाम किया जाता रहा। एक ऐसा भय जो इतना प्रबल है कि न्यायाधीश, पत्रकार, संस्थाएं और आम नागरिक सभी चुप रहने के लिए मजबूर हैं। एक ऐसा डर बनाया गया कि कोई भी हमारे साथ खड़ा होने की हिम्मत न करे।

‘एक ऐसा डर जिसे जानबूझकर पैदा किया गया’

उन्होंने कहा कि आज मुझे सिर्फ अन्याय से नहीं, बल्कि डर से डर लगता है। एक ऐसा डर जिसे जानबूझकर पैदा किया गया है। एक ऐसा डर जो इतना ज़ोरदार है कि जज, पत्रकार, संस्थाएं और आम नागरिक, सभी पर चुप रहने का दबाव है। एक ऐसा डर जिसे यह पक्का करने के लिए बनाया गया है कि कोई हमारे साथ खड़े होने की हिम्मत न करे, कोई हमारी बात सुनने की हिम्मत न करे और कोई यह कहने की हिम्मत न करे- चलो तथ्यों को देखते हैं। यह सब होते हुए देखकर मैं अंदर तक हिल गई हूं। अगर सच्चाई को गुस्से और गलत जानकारी से इतनी आसानी से दबाया जा सकता है, तो मुझ जैसे लोग कहां जाएं? अगर दबाव और लोगों का उन्माद सबूतों और सही प्रक्रिया पर हावी होने लगे, तो एक आम नागरिक के पास सच में क्या सुरक्षा है?

PC- Instagram

उन्होंने आगे कहा कि मैं यह चिट्ठी किसी को धमकी देने के लिए नहीं लिख रही हूं। मैं यह चिट्ठी सहानुभूति पाने के लिए नहीं लिख रही हूं। मैं यह इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मैं बहुत डरी हुई हूं और क्योंकि मुझे अब भी विश्वास है कि कोई, कहीं, इतना ध्यान जरूर देगा कि हमारी बात सुने। हम कोई एहसान नहीं मांग रहे हैं। हम इसलिए सुरक्षा नहीं मांग रहे हैं कि हम कौन हैं। हम न्याय मांग रहे हैं क्योंकि हम इंसान हैं। कृपया कानून को बिना किसी डर के बोलने दें। कृपया सबूतों की जांच बिना किसी दबाव के होने दें। कृपया सच्चाई को सच्चाई ही माना जाए, भले ही वह लोकप्रिय न हो। मैं एक बेटी हूं जिसे अब भी इस देश पर विश्वास है। कृपया मुझे इस विश्वास पर पछतावा न करवाएं।

उन्नाव रेपकांड में कब क्या और कैसे हुआ?

उन्नाव गैंगरेप मामला साल 2017 से शुरू होकर देश की न्याय व्यवस्था और राजनीति पर गहरे सवाल छोड़ गया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि 4 जून 2017 को तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद वह इंसाफ की गुहार लेकर कई दफ्तरों के चक्कर काटती रही, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। आरोप है कि दबाव बनाने के लिए उसके पिता को पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा गया, जिसमें सेंगर का भाई अतुल और उसके सहयोगी शामिल थे।

Aishwarya Sengar PC- X

इंसाफ न मिलने से हताश होकर 8 अप्रैल 2018 को पीड़िता लखनऊ पहुंची और मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने उसे बचा लिया, लेकिन अगले ही दिन उसके पिता की पुलिस हिरासत में मौत की खबर सामने आई। इस घटना ने पूरे मामले को देशव्यापी बना दिया। बाद में सेंगर, उसके भाई, एक थाना प्रभारी समेत कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ और 12 अप्रैल 2018 को जांच CBI को सौंप दी गई।

जांच के दौरान पीड़िता के चाचा, जो उसकी मदद कर रहे थे, पुराने मामले में जेल भेज दिए गए, जिससे वह और अकेली पड़ गई। जुलाई 2019 में एक सड़क हादसे में उसकी मौसी और चाची की मौत हो गई, जबकि वह खुद गंभीर रूप से घायल हुई। इस हादसे में भी साजिश के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद केस दिल्ली ट्रांसफर हुआ और लगातार सुनवाई के बाद दिसंबर 2019 में कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 29 December 2025 at 18:18 IST