अपडेटेड 9 November 2024 at 23:10 IST
'ऐसे कट्टरपंथियों को सरकार...', अंगदान पर मदरसा दारुल उलूम के फतवे पर भड़के स्वामी चक्रपाणी
प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर मदरसा दारुल उलूम देवबंद, उत्तर प्रदेश का एक फतवा शेयर किया है जिसमें अंगदान को इस्लाम की नजर हराम बताया गया है।
- भारत
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर मदरसा दारुल उलूम देवबंद, उत्तर प्रदेश का एक फतवा शेयर किया है जिसमें अंगदान को इस्लाम की नजर हराम बताया गया है।मदरसा दारुल उलूम देवबंद के फतवे पर अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्वामी चक्रपाणी ने निशाना साधा है। स्वामी चक्रपाणी ने कहा कि मदरसा दारुल उलूम देवबंद ने जिस प्रकार से फतवा जारी कर यह कहा है कि अंगदान गैर इस्लामिक है, अवैध है, यह अत्यंत निंदनीय है।
स्वामी चक्रपाणी ने कहा कि एक तरफ अनेक संस्थाएं और सरकार हैं अंगदान को प्रोत्साहित कर रही हैं। एक तरफ हिंदू अपने अंगदान करता है, ब्लड बैंक में ब्लड देता है, किसी को भी आपात स्थिति में उसको अंग मिल सके, जो व्यक्ति मर रहा है, वह भी परोपकार की भावना से अपनी आंख, अपनी किडनी, अपने अंग को दान करने के लिए बोलता है। दूसरी तरफ दारुल उलूम अंगदान को गैर इस्लामिक और अवैध बता रहा है।
अगर अंगदान अवैध है तो अंग लेना भी अवैध घोषित करो- स्वामी चक्रपाणी
खिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि जब तुमने अंगदान करना अवैध बताया है तो अंग लेना भी अवैध कर घोषित कर दो। वह हिंदू कान खोलकर सुने और उनके फतवे को पढ़ें, जो अंगदान देने के लिए आतुर रहते हैं। कोई भी यदि अंगदान करें या ब्लड बैंक में ब्लड दे तो यह जरूर लिख दे कागज में कि अंगदान भी उसी को करो, ब्लड उसी को दो जो हिंदू हो, जो सनातनी हो या जो इस परोपकार की भावना को मानता हो। जो स्वयं अंगदान करने के लिए तैयार रहता हो। जो ब्लड बैंक में ब्लड देने को तैयार रहता हो। इस तरह के निकम्मे में लोगों को बिल्कुल अंगदान ना दिया जाए जो जो इसको गैर इस्लामिक मानते हैं।
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प्रियांक कानूनगो ने की फतवे की निंदा
प्रियांक कानूनगो ने फतवे की निंदा करते हुए लिखा है, मदरसा दारुल उलूम देवबंद, उत्तर प्रदेश ने फतवे के द्वारा मानव अंगदान को अवैध करार दिया है, यह मुसलमानों द्वारा अंगदान किये जाने को अवैध ठहराता है। किसी की जान बचाने के लिए अंगदान से बड़ा इंसानियत का फर्ज क्या हो सकता है? परंतु मुस्लिम समाज को घोर अवैज्ञानिक बातें सिखाकर उनको अंधविश्वास की तरफ धकेलने वाली इस सोच को जिंदा रखना ही मदरसों का उद्देश्य बनता जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि मदरसों में बच्चों को यही सब पढ़ा कर मुसलमानों की ऐसी दकियानूसी पीढ़ी तैयार की जाती है जो कि हमेशा इन मौलानाओं की बात मानकर पिछड़ेपन का जीवन जीते रहें, गरीब और अनपढ़ बने रहें तथा कट्टरपंथी कठमुल्लों के सियासी मंसूबे कामयाब करते रहें। शर्मनाक है! मदरसों को सरकारी फंडिंग दे कर इस पिछड़ी सोच को बच्चों के दिमाग में पैबस्त करने के लिए कांग्रेस पार्टी के वकील इनको करदाता के पैसे से ग्रांट दिये जाने के पक्ष में कोर्ट में दलीलें देते हैं।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 9 November 2024 at 23:10 IST