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Published 18:04 IST, November 28th 2024

Sambhal Violence: बाबरनामा समेत वो दो किताब, जिसमें है जामा मस्जिद की जगह हरिहर मंदिर होने का प्रमाण

संभल का हरिहर मंदिर अब अस्तित्व में नहीं है। इसकी अब एक मस्जिद है जिसे जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है। दावा है कि मंदिर को 1529 में बाबर ने तोड़ा था।

Reported by: Sagar Singh
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Sambhal Harihar Temple and Jama Masjid History
किताबों में जामा मस्जिद की जगह हरिहर मंदिर होने का प्रमाण | Image: Republic

Sambhal Jama Masjid History: रविवार को संभल में हुई हिंसा के बाद पुलिस की कार्रवाई जारी है। देश की संसद तक संभल की जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद की चर्चा है। इस विवाद की नींव 1529 में पड़ी थी, जब देश में मुगलों का राज था और बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदल दिया था। इसका जिक्र मंडलीय गजेटियर में भी आता है। जिसमें बताया गया है कि पुराने संभल शहर के बीच में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर था, यहीं हरिहर मंदिर था।

संभल का हरिहर मंदिर अब अस्तित्व में नहीं है। इसकी जगह अब एक मस्जिद है, जिसे जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है। इस मस्जिद को बाबर के आदेश पर हदू बेग ने बनवाया था। हरिहर मंदिर का जिक्र मुगलकालीन दो किताबों में भी मिलता है। हिन्दू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने अपनी याचिका में बाबर की आत्मकथा तुजुक ए-बाबरी जिसे बाबरनामा और बाबर की यादें भी कहा जाता है और अबुल फजल की आइन-ए-अकबरी किताबों का उल्लेख किया है।

1529 में बाबर ने तोड़ा मंदिर

वकील गोपाल शर्मा के मुताबिक सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में दाखिल याचिका में उन्होंने बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी किताब का भी उल्लेख किया है, जिसमें हरिहर मंदिर होने की पुष्टि होती है। उन्होंने दावा किया कि इस मंदिर को 1529 में बाबर द्वारा तोड़ा गया था। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर दशावतार में से कल्कि का अवतार यहां से होना है। बाबर ने 1529 में मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी।

बाबरनामा के मुताबिक बाबर जुलाई, 1529 में संभल आया था। बाबर के आदेश पर उसके सेनापति ने श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद मंदिर का इस्तेमाल कब्जा कर मस्जिद के रूप में होने लगा। संभल का श्री हरिहर मंदिर भगवान कल्कि को समर्पित है।

सर्व के लिए एडवोकेट कमीशन गठित

विष्णु शंकर जैन के मुताबिक जामा मस्जिद में बहुत सारे निशान और संकेत हैं, जो हिन्दू मंदिर के हैं। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने यह आदेश जारी किया है कि मस्जिद का सर्व किया जाए।  उन्होंने कहा था कि इस मामले में एएसआई, उत्तर प्रदेश सरकार, जामा मस्जिद कमेटी और संभल के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमीशन गठित करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वेक्षण कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए। अब इस मामले की 29 जनवरी को सुनवाई है।

प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला

संभल की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष दावा करता है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद बनाई गई थी। मुस्लिम पक्ष जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष के दावों को खारिज करता है। मुस्लिम पक्ष भी मानता है कि जामा मस्जिद बाबर ने बनवाई थी और आज तक मुसलमान इसमें नमाज पढ़ते आ रहे हैं। हालांकि मुस्लिम पक्ष कानूनी विवाद में सुप्रीम कोर्ट के 1991 के उस ऑर्डर को आधार बनाकर अपना विरोध दर्ज कराता है, जिसमें अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी स्थिति में हैं, वो अपने स्थान पर बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर फैसले के समय भी इस पर जोर दिया था।

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Updated 18:04 IST, November 28th 2024