Published 13:05 IST, September 14th 2024
'सफाई देने की जरूर नहीं थी', अखिलेश-मायावती के झगड़े में कूदे सपा नेता; BSP चीफ को नसीहत भी दे डाली
मायावती और अखिलेश यादव में तकरार के बीच फखरुल हसन चांद ने कहा कि सपा का रास्ता बसपा का रास्ता नहीं है। हम किसी दूसरे के प्लेटफॉर्म पर राजनीति नहीं कर रहे हैं।
Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती पुरानी बातों को लेकर इन दिनों आमने सामने हैं। एक दूसरे पर वार-पलटवार के दौर में अब समाजवादी पार्टी के दूसरे नेता भी टीका टिप्पणी करने लग गए हैं। इसी क्रम में अखिलेश यादव की पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने ऐसा बयान दे डाला है, जिससे तकरार और बढ़ सकती है। फखरुल हसन चांद का कहना है कि अखिलेश यादव को मायावती के आरोपों पर सफाई देने की जरूरत नहीं थी। इतना ही नहीं, सपा नेता ने मायावती को नसीहत भी दे डाली है।
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि अखिलेश यादव पहले ही सफाई दे चुके हैं। अखिलेश बसपा सुप्रीमो का सम्मान करते हैं, इसलिए सफाई दी। उस पर सफाई देने की जरूर भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का अपना लक्ष्य है, अपने कार्यक्रम हैं। हम पीडीए के नारे पर चुनाव लड़ रहे हैं। समाजवादी पार्टी का रास्ता बसपा का रास्ता नहीं है। हम किसी दूसरे के प्लेटफॉर्म पर राजनीति नहीं कर रहे हैं।
फखरुल हसन चांद ने दी नसीहत
नसीहत के तौर पर फखरुल हसन चांद ने कहा, 'समाजवादी पार्टी समझती है कि अगर मायावती को कोई शिकायत है तो सार्वजनिक तौर पर कहने से बेहतर था कि उस पर बातचीत कर लेतीं।' सपा प्रवक्ता ने ये भी कहा कि जब गठबंधन हुआ तो मायावती ने जो भी सीटें मांगी थी वो समाजवादी पार्टी ने देने का काम किया। उस समय भी सपा के अंदर बात उठी थी कि हमने वो सारी सीटें बसपा को दी हैं, जो हमारी सीटें थीं। क्योंकि गठबंधन करना था, इसलिए समाजवादी पार्टी ने त्याग करने का काम किया था। सम्मान के साथ सपा ने गठबंधन को निभाया था। इतने सालों बाद मायावती उन बातों को लेकर आरोप लगाती हैं तो ये उचित नहीं है।
यह भी पढ़ें: 'ज्ञानवापी को दुर्भाग्य से लोग मस्जिद कहते हैं', गोरखपुर दौरे पर गए योगी ने दिया बड़ा बयान
हालांकि अखिलेश यादव की पार्टी के नेता ये भी कहा कि सपा ने हमेशा मायावती का सम्मान किया है और आगे भी सम्मान करते रहेंगे। वो (मायावती) कुछ भी कह सकती हैं, उन्हें कहने का पूरा अधिकार है। फखरुल हसन चांद ने आगे कहा कि एक टीवी डिबेट में जब बीजेपी नेता ने मायावती पर टिप्पणी की थी तो सबसे पहले अखिलेश ने आवाज उठाई थी। इस पर मायावती ने भी धन्यवाद दिया था।
अखिलेश-मायावती की लड़ाई में दूसरे दलों की एंट्री
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा कहते हैं, 'सपा शासन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं और दलितों ने सबसे अधिक अत्याचार झेले। अगर आप इंटरनेट पर खोजेंगे, तो पाएंगे कि दलितों पर अत्याचार के सबसे अधिक मामले सपा शासन के दौरान दर्ज किए गए थे। सपा और बसपा दोनों के कार्यकर्ताओं ने दोनों दलों के बीच (2019 के लोकसभा चुनावों में) गठबंधन को स्वीकार नहीं किया। जब बसपा को 10 सीटें मिलीं और सपा को केवल पांच (उत्तर प्रदेश में) तो सपा को लगा कि बसपा को उसके वोट मिले, लेकिन सपा को बसपा के वोट नहीं मिले। शायद इसके बाद दोनों नेताओं (सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती) के बीच मतभेद हो गए। वैसे भी सपा दलित विरोधी पार्टी है।'
कांग्रेस नेता अजय राय कहते हैं कि मायावती को वर्तमान स्थिति पर बात करनी चाहिए। आज दलितों पर अत्याचार हो रहा है, इन लोगों को सताया जा रहा है और कोई रोजगार नहीं मिल रहा है, इन मुद्दों पर मायावती को बात करनी चाहिए। बेरोजगारी और महंगाई कैसे खत्म हो इसको लेकर काम करना चाहिए। जो बातें बीत चुकी हैं, मायावती को उन बातों को भूलकर वर्तमान में जो स्थिति है, उस पर स्टैंड लेना चाहिए।
यूपी सरकार में मंत्री अनिल राजभर कहते हैं कि अवसरवादी राजनीति का यही हश्र होता है। सच कहें तो नरेंद्र मोदी के विरोध ने इन लोगों को पागल बना दिया है। मोदी जी की स्वीकारता और लोकप्रियता लोगों के बीच में है, उसकी वजह से ये लोग ऐसा कुछ करते रहते हैं। तमाम संभावनाएं हैं, उन पर काम करते रहते हैं और सपना टूटता है तो एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं।
Updated 13:05 IST, September 14th 2024