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Published 14:45 IST, October 2nd 2024

56 सालों से तड़प रहा परिवार...अब होगा 23 की उम्र में शहीद हुए जवान का अंतिम संस्कार, कहां दफन था शव?

UP News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नानौता क्षेत्र के रहने वाले वायु सेना के एक जवान का शव 56 साल बाद उनके गांव पहुंचेगा।

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rites of the soldier who was martyred at the age of 23 will be performed after 56 years of wait
rites of the soldier who was martyred at the age of 23 will be performed after 56 years of wait | Image: ANI

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नानौता क्षेत्र के रहने वाले वायु सेना के एक जवान का शव 56 साल बाद सियाचिन ग्लेशियर के पास से बरामद होने के बाद बृहस्पतिवार को उनके गांव पहुंचेगा। परिवार के सदस्य इस तसल्ली के साथ उन्हें अंतिम विदाई देने की तैयारी कर रहे हैं कि कम से कम अब वे उनका पूरे रीति—रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार कर सकेंगे और दिवंगत आत्मा को 'सच्ची मुक्ति' मिलेगी।

अपर पुलिस अधीक्षक (देहात क्षेत्र) सागर जैन ने बुधवार को बताया कि नानौता थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव के निवासी मलखान सिंह वायु सेना में थे। वह सात फरवरी 1968 को हिमाचल प्रदेश के सियाचिन ग्लेशियर के पास सेना के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना में शहीद हो गये थे। इस हादसे में 100 से अधिक जवान शहीद हुए थे।

56 साल बाद होगा जवान का अंतिम संस्कार

उन्होंने बताया कि बर्फीले पहाड़ होने के कारण घटना के फौरन बाद शवों की बरामदगी भी नहीं हो पाई थी। वर्ष 2019 तक पांच ही शव मिले थे और अभी हाल में चार शव और बरामद हुए थे। इन्हीं में एक जवान की पहचान मलखान सिंह के रूप मे हुई है। बर्फ में दबे होने के कारण उनका शव अभी तक पूरी तरह क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। मलखान का शव बृहस्पतिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचेगा।

मलखान के छोटे भाई ईसम सिंह ने 'पीटीआई—भाषा' को बताया कि मलखान 20 साल की उम्र में वायुसेना में चयनित हुए थे और 23 साल की आयु में शहीद हो गये थे। उनके परिवार में पत्नी शीला देवी और डेढ़ साल का बेटा राम प्रसाद थे।

जब मलखान का पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा तो उनकी पत्नी और बेटा दोनों ही उन्हें अंतिम बार देखने के लिए वहां नहीं होंगे क्योंकि दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं। हालांकि अंतिम संस्कार करने के लिए उनके पौत्र मौजूद रहेंगे।

छोटे भाई ने बताया कि मलखान की पत्नी शीला का दूसरा विवाह मलखान की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई चंद्रपाल से कर दिया गया था और उनसे उनके दो बेटे सतीश, सोमप्रसाद और एक बेटी शर्मिला है।

ईसम ने कहा, ''गांव के बुजुर्ग मलखान के बारे में किस्से और कहानियाँ सुनाते थे लेकिन अब वे उसे अंतिम श्रद्धांजलि देने का इंतज़ार कर रहे हैं। यह भगवान का आशीर्वाद है कि हमें पितृ पक्ष में उनका शव बरामद होने की जानकारी मिली। पितृ पक्ष में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं। अब जब हम अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं, तो उन्हें आखिरकार सच्ची मुक्ति मिलेगी।''

अपने बड़े भाई मलखान को याद करते हुए ईसम की आंखें नम हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर मलखान जीवित होते तो अब 79 वर्ष के होते। ईसम ने बताया कि मलखान के भाई सुल्तान सिंह और चंद्रपाल की भी मौत हो चुकी है। अब इस पीढ़ी में वह खुद और उनकी बहन चंद्रपाली जीवित हैं।

उन्होंने बताया कि शहीद मलखान सिंह का अंतिम संस्कार परिवार द्वारा ही किया जाएगा। इसकी तैयारियां की जा रही हैं। पूरा परिवार, रिश्तेदार और उनके बच्चे जो अपने दादा-परदादाओं से मलखान की शहादत की कहानियां सुनते थे, उन्हें अब आखिरकार शहीद के दर्शन करने का मौका मिलेगा।

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग क्षेत्र में बर्फ से ढके पहाड़ों पर 1968 में विमान दुर्घटना में लापता हुए मलखान सिंह का शव भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के कर्मियों की एक संयुक्त टीम ने हाल ही में बरामद किया है। एएन-12 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के लगभग 56 साल बाद चार जवानों के पार्थिव अवशेष बरामद किए गए। यह 102 लोगों को ले जा रहा ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप परिवहन विमान सात फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय लापता हो गया था।

एक अधिकारी ने बताया, ''जवानों के शव और विमान का मलबा दशकों तक बर्फीले इलाके में दबा रहा। वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने मलबे की खोज की। इसके बाद भारतीय सेना, विशेष रूप से डोगरा स्काउट्स द्वारा कई वर्षों तक कई अभियान चलाए गए। खतरनाक परिस्थितियों और दुर्गम इलाका होने की वजह से साल 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद किए गए थे।

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Updated 14:45 IST, October 2nd 2024