अपडेटेड 5 May 2025 at 21:51 IST

NCERT किताबें न पढ़ाने पर प्राइवेट स्कूलों पर 1 लाख रुपए का जुर्माना, यूपी में संभल के DM ने उठाया बढ़ा कदम

उत्तर प्रदेश के संभल में जिला अधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

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Sambhal DM Rajendra Pensia
राजेंद्र पेंसिया | Image: @DmSambhal

Education News: उत्तर प्रदेश के संभल में जिला अधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने निर्देश दिया कि क्लास 8वीं तक NCERT की किताबें पढ़ाना अनिवार्य है, जबकि क्लास 9वीं से 12वीं तक सिर्फ NCERT की किताबें ही पढ़ाई जाएं। जांच में पाया गया कि ज्यादातर स्कूलों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया, जिससे बच्चों के परिवार को महंगी किताबें खरीदनी पड़ीं। इसके चलते प्रशासन ने ऐसे स्कूलों पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है और फीस बढ़ाने को लेकर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और साल में सिर्फ 5 प्रतिशत बढ़ोतरी का आदेश दिया है।

दरअसल, ज्यादा पैसे कमाने के लालच में कुछ स्कूल बच्चों के शोषण पर उतर आए हैं, ऐसे सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूलों के खिलाफ DM ने एक्शन लिया है। जिलाधिकारी डा. राजेंद्र पैंसिया के इस कदम से छात्र-छात्राएं और अभिभावक काफी प्रसन्न हैं, तो वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों का प्रबंधन काफी सहम गया है।

33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना

NCERT की पुस्तकों को लेकर आंख-मिचौली खेल रहे  सीबीएसई और आइसीएसई स्कूलों पर सख्त रुख अपनाया गया है। डीएम डा. राजेंद्र पैंसिया ने 33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि एक सप्ताह में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) कार्यालय में जमा करनी होगी। कार्रवाई 12 अप्रैल, 2025 को की गई जांच की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। रिपोर्ट में स्कूलों में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें पढ़ाने की जानकारी दी गई थी। स्कूल संचालक निर्धारित पुस्तक विक्रेताओं से ही पुस्तकें खरीदने को मजबूर कर रहे थे।

निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने पर एक्शन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाने पर जोर दिया गया है। जिला प्रशासन भी लगातार स्कूल संचालकों से इन्हीं पुस्तकों से पढ़ाई कराने को कह रहा है। इसके पीछे तर्क है कि एनसीईआरटी की पुस्तकें सस्ती होने के साथ ही शिक्षा नीति के पाठयक्रम के अनुकूल हैं। लेकिन, जिले के अधिकांश स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने पर ही जोर दिया जा रहा है।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 5 May 2025 at 21:51 IST