अपडेटेड 8 April 2024 at 19:09 IST
हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह के नए उत्तराधिकारी नियुक्त, पीरजादा अरशद फरीदी को मिली जिम्मेदारी
ऐतिहासिक कचहरी खानकाह में उर्स की महफिल के दौरान नए उत्तराधिकारी की घोषणा की गई। इस मौके पर सूफियों और सज्जदानशीनों समेत हजारों लोगों ने शिरकत की।
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सूफी संत हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह के सज्जदानशीन हजरत पीरजादा रईस मियां चिश्ती ने अपने उत्तराधिकारी के नाम का ऐलान कर दिया है। ऐतिहासिक कचहरी खानकाह मे उर्स की महफिल के दौरान ये घोषणा की गई। इस मौके पर सूफियों और सज्जदानशीनों समेत हजारों लोगों ने शिरकत की।
अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जदानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदींन्न अली खान ने बधाई दी है। एक बयान के मुताबिक, सज्जादानशीन पीरजादा अयाजुद्दीन चिश्ती उर्फ रईस मियां ने अपने संबोधन मे कहा कि 1943 में उनके पिता पीरजादा अजीजुद्दीन चिश्ती के निधन के बाद उन्हें सज्जादानशीन बनाया गया था, तब उनकी उम्र सात वर्ष थी। उन्होंने कहा कि इसी कचहरी में उनकी दस्तारबंदी (पगड़ी की रस्म) हुई थी। उन्होंने खुशी जताई कि वह अपने बड़े बेटे पीरजादा अरशद फरीदी की 17वें सज्जदानशीन (उत्तराधिकारी) के रूप में दस्तारबंदी कर रहे हैं।
81 साल तक की खिदमत
उन्होंने कहा कि 81 साल तक इस चौखट की खिदमत की और उम्मीद करता हूं कि अरशद फरीदी दरगाह की परम्पराओं, धार्मिक व सामाजिक नियमों का पालन करेंगे। यह भी उम्मीद जताई कि वह शाही फरमान में वर्णित नियमों के अनुसार पवित्र दरगाह के प्रबंधन को चलायेंगे।
पिछले 454 सालों से चल रहा उर्स
गौरतलब है कि बाबा शेख सलीम चिश्ती अजमेर शरीफ के ख्वाजा गरीब नवाज की चिश्ती परंपरा के सर्वमान्य सूफी थे। वह प्रसिद्ध सूफी हजरत बाबा फरीद के परिवार से थे। शेख सलीम चिश्ती का उर्स पिछले 454 वर्षों से यहां हर साल हो रहा है। इस अवसर पर मौजूद बाबा शेख सलीम चिश्ती के तमाम श्रद्धालुओं ने इस घोषणा का स्वागत किया। बाद में लोगों को संबोधित करते हुए पीरजादा अरशद फरीदी ने कहा कि अपने पिता के सानिध्य में रहते हुए वह खानकाही परंपराओं से भली भांति परिचित हैं और आगे भी उनके आदर्शों पर चलेंगे।
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उन्होंने कहा, ‘‘इस दरगाह पर सिर्फ एक धर्म विशेष के नहीं बल्कि हर धर्म के लोग आते हैं, इसलिए हमारा दायित्व है कि हम सबका ख्याल रखें, भाईचारे को बढ़ावा दें और सबकी श्रद्धा व आस्था का ख्याल रखें। हमारा मक़सद अल्लाह की कृपा और दया हासिल करना है, देश के विकास के लिए प्रार्थना करना और प्रेम तथा आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना है।’’
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 8 April 2024 at 18:33 IST