अपडेटेड 10 January 2025 at 12:20 IST
EXCLUSIVE/ 'हिंदू पीड़ित, मुसलमान प्रभावी', 'संभल' पर जवाहर लाल नेहरू ने एक सदी पहले किया था दावा, 1924 में दी थी 13 पन्नों की रिपोर्ट
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने महात्मा गांधी को संभल दंगों को लेकर 1924 में भेजी गई अपनी इस रिपोर्ट में संभल की जमीनी सच्चाई की हकीकत बयां की है।
- भारत
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Pandit Jawahar Lal Nehru Report on Sambhal Violence in 1924: संभल को लेकर आज उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दावा कर रही है कि यहां पर हिन्दुओं को पलायन करने के लिए मजबूर किया गया। उनके घरों को जला दिया गया दंगों में हिन्दू परिवारों की हत्या की गई। उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। उन्हें मजबूर किया गया कि वो या तो इस्लाम धर्म स्वीकार कर लें या फिर यहां से पलायन कर जाएं। इसके बाद हुआ भी ऐसा ही या तो हिन्दू धर्मांतरित हो गए या फिर पलायन को मजबूर हो गए। ऐसा नहीं कि ये संभल में कोई नया मामला हो। अब से 100 साल पहले भी संभल में यही स्थिति थी वहां तब भी हिन्दू पीड़ित थे और मुसलमान प्रभावी इस बात का दावा हम नहीं बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का है।
जवाहर लाल नेहरू ने साल 1924 में हुए हिन्दू मुस्लिम दंगों के बाद वहां के ग्राउंड पर जाकर तैयार की थी। इस रिपोर्ट में नेहरू ने दावा किया था कि यहां पर मुसलमान पक्ष प्रभावी है और वो आए दिन हिन्दुओं पर अत्याचार करता रहता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने महात्मा गांधी को भेजी गई अपनी इस रिपोर्ट में संभल की जमीनी सच्चाई की हकीकत बयां की है। नेहरू ने रिपोर्ट में लिखा, 'मैं 8, 9 और 10 सितंबर को तीन दिन के लिए मुरादाबाद और संभल में था, ताकि मोहर्रम के दौरान वहां हुए हिंदू-मुस्लिम उपद्रव की जांच कर सकूं। मेरे अनुरोध पर शेख बदरुजजमां लखनऊ से मुझसे दो दिन पहले आ गए थे और मेरे पहुंचने से पहले उन्होंने मुरादाबाद में कई लोगों से बातचीत की थी। फिर हम दोनों साथ में संभल गए। यह रिपोर्ट अभी तक श्री बदरुजजमां ने नहीं देखी है, क्योंकि वे लखनऊ में हैं और मैं इसे इलाहाबाद में लिख रहा हूं।'
कभी कांग्रेस के लिए भी संभल हिंसा थी गहरी चिंता
नेहरू की रिपोर्ट के मुताबिक संभल के सांप्रदायिक हिंसा का स्पष्ट शिकार हिंदू थे। नेहरू ने अपनी 13 पन्नों की रिपोर्ट में लिखा था कि "हिंदू पीड़ित पक्ष हैं।"यह रिपोर्ट 2024 में प्रकाशित नहीं हुई, बल्कि 1924 की है, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था। अब से एक सदी पहले, जब संभल सांप्रदायिक हिंसा के लिए राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बना, तब भी यह महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी के लिए गहरी चिंता का विषय था। गांधीजी ने नेहरू को इस घटना की जांच के लिए संभल भेजा। 'संभल में मुसलमानों की बड़ी आबादी और अन्य कारणों से, वे हमेशा से प्रभावी स्थिति में रहे हैं।' नेहरू ने अपनी 13-पृष्ठीय रिपोर्ट में लिखा, जो सितंबर 1924 में तैयार की गई थी। नेहरू ने आगे बताया कि हालांकि, हमने पूरे मामले पर चर्चा की है और साक्ष्यों पर मिलकर विचार किया है और मुख्य बिंदुओं पर एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
'संभल की जामा मस्जिद' पर नेहरू की अंतिम टिप्पणियां
नेहरू ने संभल को भारत के सबसे प्राचीन नगरों में से एक बताया। उन्होंने लिखा कि 'आधुनिक कथाओं के अनुसार जामा मस्जिद एक 'सुंदर मंदिर' थी, जिसे पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था।' रिपोर्ट के अंत में नेहरू ने निष्कर्ष निकालते हुए लिखा था, 'इस हिंसा के पीछे किसी बाहरी उकसावे का कोई प्रमाण नहीं है। 'स्थानीय लोग खुद इस घटना को अंजाम देने में सक्षम थे।' नेहरू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ' यहां पर हिन्दू पक्ष पीड़ित है उनमें से कई हिन्दुओं को बुरी तरह से पीटा गया है उनके दो मंदिरों को अपवित्र किया गया है जबकि मुस्लिम पक्ष दावा तो कर रहा था कि उनके पक्ष में भी लोग घायल हुए हैं लेकिन वो इस बात का सबूत नहीं दे पाए उनका कहना था कि हम ऐसी बातों को मीडिया के सामने नहीं रखना चाहते हैं।'
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 10 January 2025 at 12:20 IST