Updated March 29th, 2024 at 10:34 IST
मुख्तार अंसारी की अनसुनी कहानी- गुरु ने मांगी लाश, दो दीवारों की सुराख से लगाया निशाना और फिर...
यूपी का एक और कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी हमेशा के लिए सो चुका है। 28 मार्च की रात अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई।
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Mukhtar Ansari: यूपी का एक और कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी हमेशा के लिए सो चुका है। 28 मार्च की रात अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। मुख्तार की मौत के बाद से उसके करतूतों की कहानियां हर तरफ छाई हुई है। उसपर 65 से ज्यादा मामले दर्ज थे तो जाहिर है अपराधों की फेहरिस्त काफी लंबी होगी।
मुख्तार यूं ही माफिया नहीं बना, बल्कि जरायम की दुनिया पर राज करने के सारे हुनर उसके अंदर थे। वो अचूक निशानेबाज था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण रंजीत सिंह हत्याकांड में देखने को मिली थी। मुख्तार ने एक दीवार की सुरखा से दूसरे दीवार की सुराख के पार गोली चलाकर दबंग रंजीत को ढेर कर दिया था। मुख्तार से ये हत्या अपने राजनीतिक गुरू कहे जाने वाले साधु और मकनू सिंह के कहने पर की थी।
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दरअसल गाजीपुर (Gazipur) जिले के सैदपुर कोतवाली क्षेत्र के मुड़ियार गांव के ही रहने वाले थे साधु सिंह और मकनू सिंह। इन्होंने अपने चाचा रामपत सिंह और उनके तीन बेटों को बर्बर तरीके से मौत के घाट उतारकर अपराध की दुनिया में नाम कमाया था। 80 के दशक में मुख्तार अंसारी कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ इलाके में दबंगई की शुरुआत कर चुका था।
पिता के अपमान का बदला लेने के लिए मुख्तार से की हत्या
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मुख्तार अंसारी के पिता मोहम्मदाबाद से नगर पंचायत के चेयरमैन थे। इसी इलाके में एक और प्रभावशाली शख्स था सच्चिदानंद राय। किसी बात को लेकर सच्चिदानंद और मुख्तार के पिता के बीच विवाद हो गया। सच्चिदानंद ने मुख्तार के पिता को भरे बाजार काफी भला बुरा कहा।
इस बात की खबर जब मुख्तार को लगी तो उसने सच्चिदानंद राय की हत्या का फैसला कर लिया, लेकिन मोहम्मदाबाद में राय बिरादरी प्रभावशाली थी इसलिए मुख्तार के लिए उनकी हत्या कर देना आसान नहीं था। उसने अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए साधु और मकनू सिंह से मदद मांगी। दोनों ने मुख्तार की पीठ पर हाथ रखा और सच्चिदानंद राय की हत्या हो गई। इसके बाद से मुख्तार अंसारी साधु और मकनू को गुरू मानने लगा और जीवन भर निभाया भी।
अब बारी थी गुरु को दक्षिणा देने की
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अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी नाम बना चुका था। अब वक्त था अपने आपराधिक गुरु साधु और मकनू सिंह को दक्षिणा देने का। मुख्तार के इसी गिफ्ट ने पूर्वांचल में सबसे खौफनाम आपराधिक इतिहास की नींव तैयार कर दी। सैदपुर के पास मेदनीपुर के छत्रपाल सिंह और रंजीत सिंह दो भाई थे। दोनों दबंग थे। इन दोनों से साधु और मकनु सिंह को चुनौती मिल रही थी। दोनों ने एक दिन मुख्तार अंसारी को बुलाया और कहा कि रंजीत की हत्या कर दो। एक बार तो मुख्तार भी यह सुनकर कांप गया लेकिन गुरुओं की इस डिमांड को मुख्तार ने पूरा कर दिया।
फिल्मों में भी नहीं हो सकती है ऐसी कल्पना जो मुख्तार ने कर दिया
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रंजीत सिंह को मारने के लिए मुख्तार ने एक प्लान तैयार किया। यकीन मानिए ये प्लान सोच पाना भी नामुमकिन था। मुख्तार ने रंजीत सिंह के घर के ठीक सामने रहने वाले रामू मल्लाह से दोस्ती की। रामू मल्लाह के घर की बाहरी दीवार पर मुख्तार ने अंदर से बाहर तक एक सुराख किया। ठीक ऐसा ही सुराख रंजीत के घर में करवाया। अब वो रामू मल्लाह के घर वाले सुराख से सीधे रंजीत के आंगन में देख सकता था।
एक दिन रंजीत अपने आंगन में घूम रहा था। मुख्तार ने मौका देखा। रामू के घर की दीवार में बनी सुराख से निशाना साधा। गोली उस सुराख से निकलती हुई रंजीत के घर में बनी सुराख को पार कर सीधे सीने में लगी और वो ढेर हो गया।
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Published March 29th, 2024 at 10:21 IST
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