अपडेटेड 30 March 2024 at 15:22 IST
मुख्तार अंसारी के IS-191 गैंग के लिए जेल बनी कब्रगाह, एक-एक 'टॉपगन' का ऐसे हुआ द एंड
गैंग IS - 191 के सभी 'टॉपगन' का अंत भी जेल में ही हुआ। यूपी में योगी की सरकार आने के बाद कई गैंगस्टरों पर कार्रवाई की गई। Mukhtar Ansari IS 191 Gang
- भारत
- 3 min read

Mukhtar Ansari IS 191 Gang: मुख्तार अंसारी की बांदा मेडिकल कॉलेज में बीते गुरुवार मौत हो गई। शनिवार को गाजीपुर की कालीबाग कब्रिस्तान में उसे सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। मुख्तार की मौत के बाद चार दशक से ज्यादा समय से चल रहे जरायम के एक अध्याय का समापन हो गया। एक समय था जब जेल मुख्तार अंसारी के लिए 'ऐशगाह' हुआ करता था। वो जेल में रहकर सिस्टम का मनमाफिक इस्तेमाल करता था। अब जेल में ही उसकी मौत हुई।
इतना ही नहीं उसके गैंग IS - 191 (Mukhtar Ansari IS 191 Gang: ) के सभी 'टॉपगन' का अंत भी जेल में ही हुआ। यूपी में योगी की सरकार आने के बाद कई गैंगस्टरों पर कार्रवाई की गई। कई गैंगेस्टर्स ने तो कार्रवाई के डर से पुलिस थाने में सरेंडर भी कर दिया। तो आइए आपको बताते हैं IS - 191 गैंग के गुर्गों के लिए जेल कैसे कब्रगाह में बदलता गया।
अन्नू त्रिपाठी (बनारस जेल में गोलियों से भुनकर हत्या)
अन्नू त्रिपाठी मुख्तार गैंग का सबसे खतरनाक शूटर था। या यूं कहें कि IS-191 गैंग में लोग उसे 'टॉपगन' कहा करते थे। साल 2002 में मलदहिया में अनिल राय की हत्या के बाद खुद मुख्तार ने उसे 'यमराज' की उपाधी दी थी। साल 2004 में बनारस जिला जेल में घुसकर बंशी यादव की हत्या की थी। इस मामले में दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार कर उसे बनारस सेंट्रल जेल भेज दिया गया। 2 मार्च 2005 को उसके जन्मदिन के ठीक अगले दिन जेल में ही दूसरे कैदी ने उसे गोलियों से भून दिया।
Advertisement
मुन्ना बजरंगी (बागपत जेल में गोली मारकर हत्या)
मुख्तार का राइट हैंड कहे जाने वाले मुन्ना बजरंगी का आतंक हुआ करता था। एक एनकाउंटर में एसटीएफ ने उसे नौ गोलियां मारी लेकिन फिर भी वो बचकर निकल गया। उसने नए शूटरों की फौज बना ली और अवधेश राय, सुनील राय, और कृष्णानंद राय हत्याकांड को अंजाम दिया। उस दौर में वो AK 47 से गोलियां बरसाता था। जब मुख्तार के गैंग पर शिकंजा कसना शुरू हुआ तो बजरंगी ने जेल में शरण ली। सुल्तानपुर जेल से उसे बागपत जेल में शिफ्ट किया गया। यहां जुलाई 2018 को उम्रकैद की सजा काट रहे गैंगस्टर सुनील राटी ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी।
Advertisement
मेराज भाई (चित्रकूट जेल में हत्या)
मेराज भाई मुख्तार का आर्थिक साम्राज्य संभालता था। 2021 में जैतपुरा पुलिस ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में उसे गिरफ्तार किया। तीन महीने वाराणसी जिला कारागार में रखने के बाद प्रशासनिक आधार पर उसका ट्रांसफर चित्रकूट जिला कारागार में कर दिया गया। 14 मई-2021 को भाई मेराज को जेल में ही अंशुल दीक्षित नामक कैदी ने गोली मार दी।
संजीव जीवा (जेल से लखनऊ कोर्ट में पेशी पर आने के दौरान हत्या)
पुलिस से बचने के लिए जेल में ठिकाना बनाने की आखिरी कोशिश मुख्तार के विश्वस्त शूटर संजीव जीवा ने की। जीवा कृष्णानंद राय हत्याकांड में सात अन्य शूटरों के साथ बसनिया चट्टी में एके-47 से फायरिंग की थी। 7 जून 2023 को पुलिस हिरासत में पेशी के दौरान लखनऊ कोर्ट परिसर में अज्ञात शूटर ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 30 March 2024 at 14:29 IST