अपडेटेड 29 March 2024 at 15:00 IST

अतीक से मुख्तार अंसारी तक...योगी राज में पूर्वांचल के एक-एक माफिया का ऐसे हो गया अंत, पूरी कहानी

एक समय था जब यूपी में माफिया मुख्‍तार अंसारी की तूती बोलती थी। गाजीपुर, मऊ, वाराणसी सहित यूपी-बिहार के कई जिलों में उसका असर होता था।

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अतीक से मुख्तार अंसारी तक...योगी राज में पूर्वांचल के एक-एक माफिया का ऐसे हो गया अंत
अतीक से मुख्तार अंसारी तक...योगी राज में पूर्वांचल के एक-एक माफिया का ऐसे हो गया अंत | Image: Republic/PTI

Mukhtar Ansari Death: एक समय था जब यूपी में माफिया मुख्‍तार अंसारी की तूती बोलती थी। गाजीपुर, मऊ, वाराणसी सहित यूपी-बिहार के कई जिलों में उसका असर होता था। वो खुली जीप में घुमता था और हथियार लहराता था। राजनीति में एंट्री ली तो 5 बार विधायक चुना गया। इतना ही नहीं, दबदबा ऐसा रहा कि उसने भाई अफजाल अंसारी को सांसद बनवा दिया। गुरुवार की शाम बांदा जेल में हार्ट अटैक से मुख्‍तार अंसारी की मौत हो गई।

यूपी में बीते कुछ सालों में योगी राज में पूर्वांचल के एक-एक माफिया का अंत हो गया। मुख्‍तार से पहले बीते साल 15 अप्रैल को पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अतीक की तो सरेआम हत्या हुई थी, लेकिन मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। परिवार का कहना है कि उन्हें धीमा जहर दिया गया था।

हालांकि 2017 से अब तक का आंकड़ा देखें तो लिस्ट काफी लंबी है। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी तो अपराध की दुनिया के बड़े नाम थे और राजनीति में आने के चलते ज्यादा चर्चित थे। लेकिन कई ऐसे गैंगस्टरों की भी एनकाउंटरों में मौत हो गई, जो कई जिलों की पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे।

मुन्ना बजरंगी

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मुन्ना बजरंगी की भी बागपत की जेल में जुलाई 2018 में हत्या हो गई थी। उसकी हत्या में गैंगस्टर सुनील राठी का नाम सामने आया था। बड़ी बात यह है कि मुन्ना बजरंगी भी मुख्तार अंसारी गैंग का ही सदस्य था। जौनपुर में जन्मे मुन्ना का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। शुरुआती दिनों में कालीन बुनने का काम करने वाले मुन्ना बजरंगी ने वापाणसी में सर्राफा व्‍यापारी की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद बाहुबली और नेता मुख्तार अंसारी के गैंग में एंट्री कर ली।

संजीव जीवा

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संजीव जीवा मुख्तार अंसारी गैंग से ही जुड़ा था। पश्चिम यूपी में अपराध का बड़ा नाम रहे संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बीते साल जून में हत्या कर दी गई थी। उसकी यह हत्या कोई सुनसान इलाके में नहीं बल्कि भरी अदालत में हुई थी। उसे लखनऊ सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। इसी दौरान उस पर हमला हुआ था।

विकास दूबे

अपराध की दुनिया में विकास दुबे भले ही कानपुर और उसके आसपास में बड़ा नाम हो गया था, लेकिन उसकी चर्चा पूरे यूपी और देश में तब हुई, जब उसने अपने गांव में सीओ समेत 8 पुलिस वालों की हत्या करा दी थी। यह कांड तीन जुलाई 2020 को हुआ था। इसके बाद विकास दुबे फरार हो गया और पूरे सूबे में लोगों में उबाल था। 9 जुलाई को उसे उज्जैन से पुलिस ने अरेस्ट किया था। फिर 10 तारीख को कानपुर पहुंचने से ठीक पहले वह पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश करने लगा। पुलिस के मुताबिक ऐसा तब हुआ, जब उसे लेकर आ रही गाड़ी पलट गई थी। वह जब भागने की कोशिश करने लगा तो पुलिसकर्मियों से मुठभेड़ में मारा गया।

अतीक अहमद का बेटा असद

अतीक की हत्या से ठीक पहले 13 अप्रैल को ही उसके बेटे असद को भी यूपी पुलिस ने झांसी में एनकाउंटर में मार गिराया था। उमेश पाल हत्याकांड में वह वांछित और उस पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। अतीक अहमद के पूरे परिवार पर दर्ज मामलों को जोड़ा जाए तो उनकी संख्या 160 के करीब है।

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 29 March 2024 at 14:53 IST