अपडेटेड 6 March 2025 at 08:53 IST
Hathras stampede: न्यायिक समिति ने आयोजकों के कुप्रबंधन और अधिकारियों की लापरवाही को ठहराया जिम्मेदार
Hathras stampede: हाथरस भगदड़ मामले में न्यायिक समिति ने आयोजकों के कुप्रबंधन और अधिकारियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।
- भारत
- 6 min read

Hathras stampede: पिछले साल जुलाई में हाथरस में हुई भगदड़ की जांच कर रहे एक न्यायिक आयोग ने इस हादसे के कारण के तौर पर अत्यधिक भीड़भाड़, आयोजकों के कुप्रबंधन और अनुमति देने में अधिकारियों की लापरवाही की पहचान की।
दो जुलाई को सिकंदराराऊ के फुलराई गांव में हुई घटना में कथावचक नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के प्रवचन के बाद भगदड़ मच गई थी, जिसमें अधिकतर महिलाओं और बच्चों समेत 121 लोगों की मौत हो गई थी जबकि लगभग 150 अन्य घायल हो गए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी गई समिति की रिपोर्ट बुधवार को राज्य विधानसभा में पेश की गई जिसमें श्रद्धालुओं को आयोजन स्थल से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए कोई नियोजित योजना नहीं होने समेत कार्यक्रम के बुनियादी ढांचे में कई सुरक्षा खामियों को उजागर किया गया।
पैनल ने आपराधिक साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया और विशेष जांच दल (एसआईटी) से गहन जांच कराने की सिफारिश की।
Advertisement
रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम में 80,000 लोगों के आने की संभावना थी, लेकिन ढाई से तीन लाख लोग वहां पहुंचे। जब प्रवचन खत्म हुआ तो पूरी भीड़ को एक साथ छोड़ दिया गया, जिससे हालात बेकाबू हो गए।
राज्य सरकार द्वारा तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बृजेश कुमार श्रीवास्तव थे, जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी हेमंत राव और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी भावेश कुमार सदस्य थे।
Advertisement
भगदड़ के बाद स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में कथावाचक को आरोपी के रूप में उल्लेखित नहीं किया गया, जिसका वास्तविक नाम सूरजपाल है।
जांच में इस बात पर भी इशारा किया गया कि आयोजन स्थल पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। भीड़ काफी बढ़ने से लोग पंडाल से बाहर तक फैल गए जिससे हजारों लोग भीषण गर्मी और उमस में फंसे रहे। पंखे और कूलिंग सिस्टम केवल मंच तक ही सीमित थे।
पेयजल सुविधा भी अपर्याप्त थी, जिसके कारण घंटों से बैठे लोगों में बेचैनी बढ़ गई। आयोग ने कहा कि ऐसे में जैसे ही कार्यक्रम समाप्त हुआ तो लोगों की भीड़ अचानक बाहर की तरफ उमड़ पड़ी।
राजमार्ग से सटे ढलाने वाले रास्ते पर भगदड़ बची जिस पर कीचड़ ही कीचड़ थी और सुरक्षा के लिए अवरोध भी नहीं थे। इसके अलावा, टैंकरों से पानी सड़क पर फैल गया, जिससे सतह और फिसलन भरी हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि इन सभी कारणों के चलते पूरा क्षेत्र जोखिम भरा हो गया उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में बदल दिया, जहां कई लोगों ने अपना संतुलन खो दिया और भीड़ से बचने की कोशिश करते समय कुचले गए।
रिपोर्ट में स्थिति को खराब करने में सेवादारों (स्वयंसेवकों) की भूमिका का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। ‘भोले बाबा’ को बाहर निकलने की सुविधा के लिए उनके सेवादारों ने भीड़ को रोकने के लिए राजमार्ग के दोनों ओर एक मानव श्रृंखला बनाई।
एक बार जब कथावाचक चले गए तो स्वयंसेवक अचानक तितर-बितर हो गए, जिससे लोगों की भीड़ उनके वाहनों की ओर बढ़ गई। राजमार्ग पर पहले से ही भीड़भाड़ होने के कारण, फिसलन और कीचड़ भरे ढलाने वाले रास्ते के पास भगदड़ और भी बढ़ गई।
समिति ने कहा माना जा रहा है कि कुछ लोग आशीर्वाद के रूप में धूल इकट्ठा करने के लिए झुके होंगे, जिससे उन्हें बचने का मौका नहीं मिला होगा।
रिपोर्ट निष्कर्षों में से एक यह है कि सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन की सभी जिम्मेदारियां पूरी तरह से कार्यक्रम आयोजकों और उनके सेवादारों को सौंप दी गई थीं, जबकि स्थानीय पुलिस और प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय भूमिका में रहा।
आयोग ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना कानून प्रवर्तन का एक मौलिक कर्तव्य है और इसे निजी लोगों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।
इसने पाया कि सेवादारों ने विशेष रूप से सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण का काम संभाला और कार्यक्रम की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और मीडिया कवरेज को भी प्रतिबंधित किया।
रिपोर्ट में कहा गया कि पारदर्शिता की कमी के कारण समय पर स्थिति नहीं संभालने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
जांच में पता चला कि कार्यक्रम के मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर ने 18 जून 2024 को सिकंदराराऊ के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को एक औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें 80,000 लोगों की भीड़ के लिए अनुमति मांगी गई थी।
आवेदन के साथ स्थानीय प्रतिनिधियों के समर्थन पत्र भी थे, जिनमें फुलराई मुगलगढ़ी के ग्राम प्रधान, जिला परिषद सदस्य तथा सिकंदराराऊ निर्वाचन क्षेत्र के विधायक वीरेंद्र सिंह राणा शामिल थे।
एसडीएम ने उसी दिन पुलिस सत्यापन के लिए आवेदन को आगे बढ़ा दिया। हालांकि, सत्यापन प्रक्रिया जल्दबाजी में की गई, सुरक्षा आकलन की जिम्मेदारी अलग-अलग हाथों में दी गई और कुछ ही घंटों में अंतिम मंजूरी दे दी गई।
गंभीर बात यह है कि अनुमति देने से पहले आयोजन स्थल का कोई भौतिक निरीक्षण नहीं किया गया। अनुमोदन प्रक्रिया पूरी तरह से यांत्रिक थी, जिसमें अधिकारी आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों की जांच करने या आयोजकों द्वारा किए गए दावों को सत्यापित करने में नाकाम रहे।
औपचारिक अनुमति आदेश में उपस्थित लोगों की अपेक्षित संख्या के बारे में कुछ नहीं लिखा गया था जो 18 जून 2024 को जारी किया गया था जबकि मूल आवेदन में 80,000 लोगों के पहुंचने का उल्लेख किया गया था। इसके अतिरिक्त, अनुमति पत्र में एक गलती के चलते पुलिस सत्यापन तिथि को 18 जून 2024 के बजाय गलत तरीके से 18 दिसंबर 2024 दिखाया गया जिससे जांच प्रक्रिया के बारे में और चिंताएं खड़ी हो गईं।
इसके बाद 19 जून 2024 को संशोधित अनुमति जारी की गई, लेकिन इसमें केवल लाउडस्पीकर के उपयोग के संबंध में संशोधन जोड़े गए, जबकि प्रारंभिक स्वीकृति से अन्य सभी विवरण बरकरार रखे गए।
समिति ने भीड़ प्रबंधन पर अनिवार्य सरकारी निगरानी, आयोजकों और स्वयंसेवकों का आयोजन से पहले सत्यापन, पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती और निर्बाध निकास योजनाओं की सिफारिश की है।
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, मामले में आरोपियों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि समिति ने अपने निष्कर्षों में साजिश के पहलू से इनकार नहीं किया है और इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि भविष्य में इस तरह के आयोजन कैसे होने चाहिए ताकि दुर्घटनाएं न हों।
सिंह ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में हर चीज का विस्तार से उल्लेख किया गया है, हम इसका अध्ययन करेंगे और इसका अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। नारायण साकर हरि कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, उन्हें न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है और कानून के अनुसार काम करने की कोशिश करते हैं।’’
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार, न्यायिक आयोग और जांच में शामिल सभी अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘रिपोर्ट में बताई गई खामियों और कमियों से भविष्य के लिए सबक लिया जाएगा और कोशिश की जाएगी इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो।’’
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 6 March 2025 at 08:53 IST