अपडेटेड 28 September 2024 at 20:46 IST
EXPLAINER/ गर्भवती महिलाओं को बनाता शिकार, सरकार ने रखा था 5 रु का इनाम; जानिए शर्मीला भेड़िया कैसे बना आदमखोर?
1970 के दशक में ऐसा भी समय आया जब भेड़ियों ने गर्भवती महिलाओं को पसंदीदा शिकार चुन लिया था। इस दौरान गर्भवती महिलाओं पर भेड़िए के हमले के कई मामले सामने आए।
- भारत
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Bhedia Kaise Bana Aadamkhor: बहराइच सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भेड़ियों का खौफ लोगों को चैन की नींद से सोने नहीं दे रहा है। बहराइच जिले की महसी तहसली में ही भेड़िए ने 50 से भी ज्यादा गांवों को अपनी दहशत से प्रभावित कर रखा है। वैसे तो भेड़िए के रात्रिचर और शर्मीला जानवर हुआ करते थे, लेकिन देश में कटते जंगलों की वजह से अब इनके छिप कर रहने के स्थान खत्म होते जा रहे हैं और इनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय भारत में भेड़ियों की संख्या टाइगर से भी कम हो गई है।
भेड़िया आमतौर पर अपनी मांद में छिपकर रहता है और रात को ही अपनी मांद से शिकार के लिए बाहर निकलता है। भेड़िए एक ऐसे शिकारी जानवर हैं जो अपने शिकार को छुपकर करते हैं। भेड़िए जंगलों और खेतों में अपना आशियाना बनाते हैं वो इन जगहों पर बड़ी-बड़ीं मांदें बनाकर उसमें रहते हैं। एक समय ऐसा भी आया था जब भेड़िए जंगलों से निकलकर आबादी की ओर बढ़ने लगे थे। लगातार हो रहे जंगलों के कटाव की वजह से उन्हें शिकार करने के लिए मानव बस्तियों की ओर कदम बढ़ाने पड़े थे। भेड़ियों के सबसे ज्यादा हमलों के मामले गर्भवती महिलाओं पर हो रहे थे।
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गर्भवती महिलाएं बन गईं थी भेड़ियों की पसंदीदा शिकार
1970 के दशक में एक ऐसा दौर भी आया था जब भेड़ियों ने सबसे पसंदीदा शिकार गर्भवती महिलाओं को ही चुन लिया था। इसी दशक में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए थे जब भेड़िए ने गर्भवती महिला पर हमला किया हो, गर्भवती महिला का पीछा किया हो और गर्भवती महिला को शिकार बनाया हो या फिर उस पर हमला करके उसे घायल कर दिया हो। जब भारत में भेड़ियों के इतिहास पर रिसर्च किया गया तो पता चला कि एक दौर ऐसा भी आया था जब बाघों की तुलना में भेड़ियों ने इंसानों को ज्यादा शिकार बनाया था। ये साल 1875 बात है जहां इस साल बाघों ने 828 इंसानों को अपना शिकार बनाया तो वहीं भेड़ियों ने बाघों को पीछे छोड़ते हुए 10,18 इंसानों की जान ली थी।
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भेड़ियों पर काबू पाने के लिए सरकार ने रखा था इनाम
साल 1871 से लेकर साल 1916 के बीच इन चार दशकों में भेड़ियों की बढ़ती आबादी ने इतना उत्पात मचा दिया था कि सरकार ने भेड़ियों का खात्मा करने के लिए भेड़िए के शिकार पर इनाम घोषित कर दिया था। सरकार ने भेड़िए के बच्चे को मारने के लिए 8 आने और वयस्क भेड़िए को मारने के लिए 12 आने का पुरस्कार रखा था। इन्हीं चार दशकों के बीच सरकार ने भेड़ियों को मारने के लिए बड़ा अभियान शुरू किया। पूर्वांचल के जौनपुर में तो ये ईनामी राशि कई गुना बढ़कर 5 रुपये तक थी। इसका नतीजा ये हुआ कि इन 4 दशकों में लगभग एक लाख से भी ज्यादा भेड़िए मार दिए गए।
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भेड़िए के झुंड को कैसे करें काबू?
भेड़िए का झुंड अगर आदमखोर बन जाता है तो इसे काबू करने के लिए एक ही तरीका है कि इसके सरदार यानि कि अल्फा भेड़िए को किसी भी तरह से पकड़ा जाए या कंट्रोल में किया जाए। जैसे ही अल्फा भेड़िया काबू में आ जाता है झुंड के बाकी भेड़िए डर जाते हैं वो छिप जाते हैं वो इलाका छोड़कर भी भाग जाते हैं उन्हें समझ में नहीं आता है कि अब वो क्या करें? सरदार के काबू में आने के बाद भेड़िए का झुंड तो काबू में आ जाता है लेकिन अगर आप झुंड के कई भेड़ियों को पकड़ लें तो अल्फा यानि कि भेड़ियों का सरदार खूंखार हो जाता है और वो पहले से भी तेज हमलने करना शुरू कर देता है।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 28 September 2024 at 20:46 IST