अपडेटेड 25 July 2024 at 17:37 IST

'15 गोलियां खाकर लहराया तिरंगा, 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र', कहानी वीर सपूत योगेंद्र यादव की

Kargil Vijay Diwas: योगेंद्र यादव महज 16 साल और 5 महीने की छोटी उम्र में सेना की 18 ग्रेनेडियर में भर्ती हो गए थे। 18 ग्रेनेडियर ने टाइगर हिल को फतह किया था।

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Kargil Vijay Diwas 2024
19 साल की उम्र में योगेंद्र यादव को मिला परमवीर चक्र | Image: Republic

(रिपोर्ट- लोमस झा)

25 Years of Kargil War: 26 जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। ये दिन साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में हासिल विजय के वीर जवानों को याद कर उनके शौर्य और असाधारण बलिदान पर सीना तानकर गर्व करने का है। भारत की जीत की 'रजत जयंती' के अवसर पर कारगिल जिले समेत देश भर में भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा और याद किया जाएगा उन सपूतों को जो देश की खातिर लड़े और दुश्मनों को ढेर कर दिया। ऐसा ही एक नाम है परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव।

कारगिल के युद्ध में भारत के जवानों का हौसला इतना बुलंद था कि जब उनके पास गोलियां खत्म हो गई, तो उन्होंने दुश्मन की गोलियाों का सामना अपने सीने से किया। वो लड़े, मरे लेकिन अपनी मातृभूमि को नहीं छोड़ा। ऐसा ही एक नाम बुलंदशहर जिले में औरंगाबाद अहीर के योगेंद्र सिंह यादव का है। उनकी शादी की मेहंदी फीकी भी नहीं पड़ी थी कि कारगिल से बुलावा आ गया था। 15 गोली खाने के बाद भी इस वीर ने तिरंगा लहराया।

16 साल की उम्र से देश सेवा

10 मई, 1980 को जन्मे योगेंद्र यादव महज 16 साल और 5 महीने की छोटी उम्र में सेना की 18 ग्रेनेडियर में भर्ती हो गए थे। कारगिल में दुश्मनों के हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन विजय के दौरान योगेंद्र 18वीं ग्रेनेडियर्स की घातक प्लाटून के सदस्य थे। इस प्लाटून को जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में टाइगर हिल टॉप कब्जाने का जिम्मा मिला था। इसी द्रास में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस का भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। 3 जुलाई, 1999 को जब दुश्मन ऊपर बैठा भारी गोलाबारी कर रहा था, उसकी परवाह किए बिना योगेंद्र यादव ने बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई शुरू की और देखते ही देखते दुश्मन के बंकर को नेस्तानाबूत कर दिया।

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15 गोलियां खाकर लहराया तिरंगा

बर्फीली चट्टानों में गोलिबारी के बीच दुश्मनों का सामना बेहद मुश्किल काम था। युद्ध क्षेत्र की हर स्थिति भारतीय सेना के विपरीत थी। बावजूद इसके हर मुश्किल को पार कर भारत के वीर जवान आगे बढ़ते गए। इस ऑपरेशन में योगेंद्र यादव को कुल 15 गोलियां लगीं, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। टाइगर हिल फतह करने पर योगेंद्र यादव को महज 19 साल की छोटी उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।

शादी को हुए थे 15 दिन

साल 1999 में ही योगेंद्र यादव की शादी हुई थी, वो छुट्टी पर अपने गांव गए हुए थे। घर में खुशी का माहौल था। शादी को 15 दिन भी नहीं हुए थे कि कमांड से बुलावा आ गया और पता चला कि दुश्मनों ने हमला कर दिया है सीमा पर युद्ध छिड़ने वाला है। अपनी नवविवाहिता और परिजनों को छोड़कर योगेंद्र यादव देश सेवा के लिए निकल गए। योगेंद्र उस 18 ग्रेनेडियर का हिस्सा थे, जिस द्रास सेक्टर की सबसे ऊंची चोटी पर ऑपरेशन के लिए भेजा गया था।

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4 पाकिस्तानी सैनिकों को किया ढेर

इस ऑपरेशन में योगेंद्र के ज्यादातर साथी वापस घर नहीं लौटे, उन्होंने देश के लिए अपनी जान सीमा पर देदी। वो खुद खून से लथपथ थे, लेकिन मन में तिरंगा फहराने का भाव बार-बार उबाले मार रहा था। एक पैर टूटने के बावजूद वो जैसे-तैसे दुश्मनों की बंकर तक पहुंचे और घुसकर चार पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया। इसके बाद योगेंद्र यादव के पीछे चल रही बाकी टुकड़ी के हौंसले भी बुलंद हुए और देखते ही देखते टाइगर हिल को फतह कर दिया। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 25 July 2024 at 17:37 IST