अपडेटेड 20 June 2025 at 08:51 IST
मैं क्या करूं, मरने दो...नशे में धुत्त चड्डी-बनियान पहन सोता रहा यूपी का सरकारी डॉक्टर, सड़क हादसे में घायल सिपाही की हो गई मौत
यूपी के ललितपुर जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही और अमानवीय चेहरे का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे सिस्टम को झकझोर कर रख दिया है।
- भारत
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UP News: यूपी के ललितपुर जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही और अमानवीय चेहरे का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे सिस्टम को झकझोर कर रख दिया है। यहां ड्यूटी पूरी कर घर लौट रहे 51 वर्षीय होमगार्ड मोहनलाल को एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। बुरी तरह घायल मोहनलाल को परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बार लेकर पहुंचे, जहां उन्हें लगा कि अब शायद मोहनलाल बच जाएंगे।
लेकिन जो हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं था। न कोई डॉक्टर आया, न कोई जवाब मिला। अंत में जब दरवाजा किसी तरह खुलवाया गया, तो अंदर का नजारा सन्न कर देने वाला था। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर साहब शराब के नशे में धुत्त होकर चड्डी और बनियान पहने हुए अपने कमरे में ही पड़े रहे। डॉक्टर की पहचान वंश गोपाल गुप्ता के रूप में हुई है। वो मोबाइल पर गेम खेल रहे थे। वहीं, इस मामले में अब ललितपुर के CMO ने एक कमेटी बनाकर जांच करने की बात कही है।
मैं क्या करूं, मर जाने दो...डॉक्टर ने परिजनों को दिया ये जवाब
कमरे के भीतर तैनात चिकित्सक शराब के नशे में धुत मोबाइल पर व्यस्त थे। न तो उसे किसी की चीख सुनाई दी, न किसी की जान की कीमत समझ में आई। जब परिजनों ने गुस्से में कहा कि "आपके कारण हमारे मरीज की जान चली गई", तो डॉक्टर वंश गोपाल गुप्ता का जवाब था- "तो मैं क्या करूं, मर जाने दो। ज्यादा खून बह जाने के चलते मोहनलाल की मौत हो गई।
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उनके बेटे राजकुमार ने आरोप लगाया है कि अगर वक्त रहते इलाज मिल गया होता, तो आज उनके पिता जिंदा होते। पूरे घटनाक्रम का वीडियो किसी ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। वीडियो वायरल होने के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने अस्पताल का घेराव किया और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
CMO ने क्या कहा
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इस गंभीर मामले को लेकर ललितपुर CMO ने पूरे मामले में एक कमेटी बनाकर जांच के निर्देश देने की बात कही। उन्होंने कहा है कि जांच के बाद आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इस मामले को लेकर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ शासन को पत्र लिखने की भी बात सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करती है बल्कि सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 20 June 2025 at 08:51 IST