अपडेटेड 15 March 2025 at 22:24 IST
प्रयागराज : DM ने खेली कपड़ा फाड़ होली, जानें 1957 से चली आ रही ये परंपरा कैसे शुरू हुई?
Kapdafaad Holi in Prayagraj : प्रयागराज के लोकनाथ चौराहे पर दो दिन तक कपड़ा फाड़ होली खेली जाती है। जिसमें चौक ही नहीं, पूरे शहर से लोग शामिल होने आते हैं।
- भारत
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प्रयागराज, 15 मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश में अपनी तरह की अनोखी कपड़ा फाड़ होली का शनिवार को जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ और पुलिस उपायुक्त (नगर) अभिषेक भारती ने भी आनंद उठाया। नगर के प्रसिद्ध लोकनाथ चौराहे के पास स्थित कोतवाली के बाहर डीसीपी (नगर) अभिषेक भारती के साथ कपड़ा फाड़ होली देखने आए मांदड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैंने पहली बार ऐसी होली देखी, जिसमें हर कोई मस्ती के रंग में सराबोर होकर एक-दूसरे के कपड़े फाड़ता है।”
उन्होंने बताया कि इस होली में खास बात देखने को मिली कि कपड़े फाड़े जाने से कोई भी आहत नहीं होता और हर कोई रंग और पानी की बौछार में नाचता-गाता है। लोकनाथ चौराहे पर आभूषण की दुकान चलाने वाले कुलदीप यादव ने बताया कि दो दिन तक चलने वाली कपड़ा फाड़ होली में चौक ही नहीं, पूरे शहर से लोग शामिल होने आते हैं और होली खेलने के बाद अर्धनग्न स्थिति में वापस घर जाते हैं।
1957 में शुरू हुई परंपरा
उन्होंने बताया कि होली खत्म होने के बाद हर तरफ बिजली के तारों पर आपको कपड़े टंगे दिखेंगे और कपड़ों की संख्या बताती है कि लोगों ने कितनी जमकर होली खेली है। इस आयोजन के लिए चौक के युवा और व्यापारी हफ्तों से तैयारी करते हैं। वरिष्ठ समाजसेवी अभय अवस्थी बताते हैं कि चौक की कपड़ा फाड़ होली की परंपरा 1957 में शहर के दक्षिणी क्षेत्र से विधायक छुन्नन गुरु के समय शुरू हुई। कहा जाता है कि कांग्रेस नेता सुनीत व्यासजी एक बार धोती-कुर्ता पहनकर छुन्नन गुरु से होली मिलने आए।
अवस्थी ने बताया कि होली के जोश में छुन्नन गुरु के चेलों ने व्यासजी का धोती-कुर्ता फाड़कर बिजली के तार पर टांग दिया। इसके बाद व्यासजी के समर्थकों ने भी गुरु की धोती और बंडी फाड़कर तार पर टांग दी। उन्होंने बताया कि दोनों नेता केले का पत्ता लपेटकर अपने-अपने घर को लौटे।
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 15 March 2025 at 22:24 IST