अपडेटेड 25 January 2024 at 22:41 IST
कैसे तैयार हुई रामलला की पोशाक? डिजाइनर ने बताई पूरी कहानी, बोले-बड़ा जिम्मेदारी का काम था, लेकिन...
डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि रामलला की पोशाक पूरी तरह से हैंडमैड है। प्राण प्रतिष्ठा के दिन रामलला ने जो पोशाक पहनी थी उसका नाम शुभ वस्त्रम रखा है।
- भारत
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लोमस झा
Ram Mandir Ayodhya: रामभक्तों का इंतजार खत्म हुआ। 500 सालों के बाद रामलला अपने भव्य महल में विराजमान हो चुके हैं। रामलला की मूर्ति ने हर किसी का मन मोह लिया। जितनी तारीफ उनकी प्रतिमा की हो रही है, उतनी ही तारीफ रामलला की पोशाक की भी हो रही है। उनकी इस खूबसूरत पोशाक को मनीष त्रिपाठी नाम के डिजाइनर ने तैयार किया है।
पोशाक बनाने वाले मनीष त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने किस तरह से इसे बनाया है। उन्होंने बताया कि पोशाक पर जो कढ़ाई की गई है, उसमें वैष्णव प्रतीक हैं। कपड़ों के साथ ही उस पर सोने-चांदी के धागों से कढ़ाई की गई। उन्होंने बताया कि पोशाक बनाते समय उन्होंने इस बात का खास ध्यान रखा कि यह मुलायम हो, जिससे कपड़े भगवान को चुभे नहीं।
'जब मन में आते थे सवाल, तब...'
मनीष त्रिपाठी ने आगे बताया कि पोशाक बनाते समय उनके मन में कई तरह के सवाल आते थे। जब जब मन में सवाल आए मैंने भगवान से सवाल किया कि क्या आपको यह रंग पसंद है, क्या यह पोशाक ठीक है और उनका आर्शीवाद मिला। मेरा एक यह उद्देश्य था कि मैं इन सब चीजों को हाथ से बनाकर ही तैयार करूंगा। उन्होंने बताया कि एक महीने बिना रुके बिना समय देखे कपड़ों को लेकर काम किया।
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'भक्तों की परिकल्पना पर खड़े उतरना था…'
मनीष ने कहा कि लोगों को भगवान राम के वस्त्र पसंद आ रहे हैं, इसके लिए मैं सभी का शुक्रगुजार हूं। यह विषय डिजाइनिंग और पोशाक को लेकर के नहीं था, यह विषय उन करोड़ों लोगों कि जो आस्था और उनका विश्वास था। भक्त प्रभु श्री राम का 500 साल से भी ज्यादा समय से इंतजार में थे। हर कोई यही सोच रहा था कि जब राम भगवान आएंगे वह कैसे दिखेंगे, कैसे लगेंगे। भगवान को लेकर जो एक इमेजिनेशन थीं, भक्तों की परिकल्पना थीं, उसे पर खड़े उतरना था। यह अपने आप में बहुत बड़ा जिम्मेदारी का काम था। एक मनुष्य के लिए संभव नहीं है। इसके लिए मुझे ईश्वर का साथ चाहिए था, जो मुझे मिला।
मनीष त्रिपाठी ने बताया कि यह कपड़े पूरी तरीके से हैंडमैड थे। कुछ हाथ से बना हुआ था कुछ हैंडलूम से। पीतांबरी कपड़े जो प्राण प्रतिष्ठा के दिन इस्तेमाल किए गए थे, बाकी जो भी कपड़े बने वह भी हैंडलूम पर बनाए गए सिल्क ब्रोकरेज है। उन्होंने कहा कि जो प्राण प्रतिष्ठा के दिन भगवान राम ने पहने थे इसका नाम शुभ वस्त्रम मैंने दिया है। काशी से एक पीतांबरी (पीला) कपड़ा तैयार किया था, जिसमें जरी गोल्ड और सिल्वर पतली वायर का इस्तेमाल किया। जो इसमें कढ़ाई हमने की है उसमें वैष्णव पद्धति के हैं। संख, चक्र, मयूर का इस्तेमाल किया गया है। गोल्ड और सिल्वर तार से इन्हें बनाया गया है।
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मनीष ने कहा कि सबकुछ भगवान के चरणों में बैठकर किया गया है। कोई भी सामान बाहर से बनकर नहीं आया है। हमने वहीं पर भगवान श्री राम के साथ बैठकर टीम के साथ मिलकर यह काम किया। इसमें एक महीने का समय लगा। उन्होंने आगे यह भी बताया कि पोशाक बनाते समय उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मनीष के मुताबिक रामलला की जो प्रतिमा थी उनके पैटर्न को सेट करना बहुत बड़ा एक चैलेंज था, लेकिन फिर भी उनके आशीर्वाद से वह हुआ चैलेंज पूरा हुआ।
‘ईश्वर का आशीर्वाद था…’
उन्होंने कहा कि जब किसी भव्य प्रतिमा के लिए कपड़े डिजाइन करने होते हैं वहां पर संवाद स्थापित करना एक अलग ही जर्नी होती है। मुझे एक अलग सौभाग्य मिला कि मैं कुछ किसी तरीके से भगवान से संवाद स्थापित कर पाया और उनके चरणों पर यह मैं सवाल हरदम करता था कि आपको क्या पहनना है, क्या अच्छा लगता है, उसका मुझे मार्गदर्शन करिए। अगर आज आप कह रहे हैं कि सबको अच्छा लगा है और मैं यह देख रहा हूं कि लोगों के कॉल और मैसेज आ रहे हैं यह बहुत अच्छा लग रहा है यह पूरा ईश्वर का आशीर्वाद था जो उन्होंने मुझे यह सौभाग्य प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद दिया है।
पोशाक बनाते समय चप्पल नहीं पहनीं
मनीष ने यह भी बताया कि पोशाक बनाने में उनकी जो 12 से 15 लोगों की टीम लगी हुई थी, वह इतनी समर्पित थीं कि बिना टाइम देखें, दिन रात इसी काम में लगी रहती। केवल इतना ही नहीं पोशाक बनाते समय किसी ने भी चप्पल नहीं पहनी। उन्होंने कहा कि हमने नंगे पांव रहकर ही भगवान की सेवा की।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 25 January 2024 at 22:41 IST