अपडेटेड 29 December 2024 at 18:56 IST
'गैर मजहब के त्योहार में ना हों शामिल', नए साल के जश्न पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का फतवा; बताया शरीयत के खिलाफ
बरेली के मौलाना और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष शहाबुद्दीन रजवी ने फतवा जारी कर नए साल के जश्न को शरीयत में नाजायज करार दिया है।
- भारत
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Fatwa on New Year Celebration: पूरी दुनिया नए साल के जश्न की तैयारी में डूब गई। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस जश्न को मनाने के लिए अपने डेस्टिनेशन पर निकल भी गए हैं। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi) ने मुसलमानों से कहा है कि वो नया साल का जश्न ना मनाए। उन्होंने मुस्लिमों के लिए नए साल का जश्न मनाना नाजायज बताया और इसे लेकर फतवा भी जारी किया है।
बरेली के मौलाना और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Tanzeem Ulama-e-islam) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शहाबुद्दीन रजवी ने फतवा जारी कर नए साल के जश्न को शरीयत में नाजायज करार दिया है। फतवा में कहा गया है नए साल को लेकर लड़के और लड़कियां जो जश्न मानती हैं वो इस्लाम में शरीयत के खिलाफ है। मौलाना ने देशभर के मुसलमानों से अपील की है कि वो नया साल ना मनाए क्यों कि शरियत में ये काम मुजरिमों वाला है।
नए साल के जश्न पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का फतवा
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने नए साल के जश्न पर कहा, "चश्मे दरफ्ता बरेली शरीफ ने नए साल के जश्न को लेकर एक फ़तवा जारी किया गया है। नए साल पर जो नौजवान युवा और युवती जश्न मनाते हैं इस फ़तवे में उन्हें हिदायत दी गई है कि नए साल का जश्न मनाना फक्र की बात नहीं है और न ही ये जश्न मनाया जाना चाहिए और इसकी बधाई दी जानी चाहिए।
इस्लाम में नाचना-गाना हराम-मौलाना रजवी
इसकी पीछे मौलाना रजवी ने तर्क दिया है कि नए साल से ईसाईयों का नया साल यानी अंग्रेजी साल शुरू होता है। किसी भी गैर-मज़हबी प्रथाओं को मनाना मुसलमानों के लिए सख्त नाजायज है। इस्लाम में नाचना-गाना पूरी तरह से हराम है। नए लड़के और लड़कियों को ये हिदायत दी गई है कि नए साल का जश्न ना मनाएं। मुसलमानों को नए साल का जश्न मनाने से बचना चाहिए।
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फतवे में कही गई ये बात
फतवे में कहा गया है कि नया साल जनवरी में शुरू होता है जो गैर-मुसलमानों का धार्मिक कार्यक्रम है। इस्लामी शरीयत की रोशनी में नए साल का जश्न मनाना, शुभकामनाएं देना और कार्यक्रम आयोजित करना नाजायज है। फतवे में मुसलमानों से कहा गया है कि वे दूसरों के धार्मिक त्योहारों में शामिल होने, उन्हें खुद मनाने या उनके जश्न को देखने से बचें और दूसरे मुसलमानों को भी ऐसा करने से रोकें। अगर कोई व्यक्ति ऐसा गैर-शरीयत काम करता है तो वह गंभीर अपराधी होगा क्योंकि शरियत में ये काम मुजरिमों वाला है।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 29 December 2024 at 18:53 IST