Published 11:29 IST, September 6th 2024
BREAKING: बहराइच में दिन दहाड़े आदमखोर भेड़िए का हमला, अब बच्चे और बुजुर्ग को बनाया शिकार
आदमखोर भेड़िए ने शुक्रवार की सुबह 9 बजे हमला बोल दिया इस हमले में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए स्थानीय CHC एंबुलेंस से भेजा गया है।
Wolf Attack in Bahraich: बहराइच में आदमखोर भेड़िए (Wolf Attack) का आतंक थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अभी रात को एक 10 वर्षीय बच्चे को निशाना बनाने के बाद वो अस्पताल (Hospital) से घर भी नहीं लौटा होगा कि यादवपुर ग्राम सभा (Yadavpur Village) के ही लोधन पुरवा मजरा (Lodhan Purwa Majara) में एक और 3 साल के बच्चे और 60 वर्षीय बुजुर्ग को शिकार बनाया है। आदमखोर भेड़िए (man-eating wolves) ने शुक्रवार (6 सितंबर) की सुबह 9 बजे ही हमला बोला है। इस हमले में घायल (Wounded) हुए लोगों को इलाज (Treatment) के लिए स्थानीय CHC एंबुलेंस से भेजा गया है।
इसके पहले गुरुवार (5 सितंबर) की रात 7 बजे से 8 बजे के बीच देहात कोतवाली क्षेत्र के गोलवा मौजा यादवपुर के10 वर्षीय संगम पर भेड़िए ने फिर हमला करके उसे घायल कर दिया। बताया जा रहा है कि जब बच्चा अपने घर के दरवाजे पर खड़ा था तभी भेड़िए ने जानलेवा हमला कर दिया। भेड़िए के हमला करते ही बच्चा डर के मारे जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने लगा। उसकी आवाज सुनकर परिजन दौड़ पड़े। लोगों के चिल्लाने की आवाज सुनकर भेड़िया भाग निकला। बच्चे के गाल पर भेड़िए के नाखूनों के निशान है। हमले के बाद आनन-फानन में बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अभी इस हमले को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि नरभक्षी भेड़िए ने एक और वारदात को अंजाम देते हुए एक 3 वर्षीय बच्चे और 60 वर्षीय बुजुर्ग को अपना शिकार बना लिया।
भेड़िए के हमले में 10 से ज्यादा लोगों की मौत
उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब तक ये खूंखार भेड़िए 10 से भी ज्यादा लोगों को अपना निवाला बना चुके हैं। वन विभाग की टीम इन्हें पकड़ने के लिए लगातार अपनी रणनीति बदल रही है, इसके बावजूद भेड़िए पकड़ से बाहर हैं। हालांकि कुछ भेड़ियों को पकड़ा जरूर गया है, लेकिन बचे बाकी भेड़ियों ने पूरे इलाके में दहशत मचा रखी है। ऐसा कहा जाता है कि भेड़िए अपने परिवार के सदस्यों की मौत का बदला जरूर लेते हैं। ये बात हम बहराइच में साफ तौर पर देख सकते हैं।
भेड़िए ले रहे हैं बदला? एक्सपर्ट ने बताई वजह
भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी और बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वन अधिकारी रह चुके ज्ञान प्रकाश सिंह जो कि रिटायर होने के बाद 'वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया' के सलाहकार के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं उन्होंने बताया, 'बहराइच की महसी तहसील के गांवों में हो रहे हमलों का पैटर्न भी कुछ ऐसा ही एहसास दिला रहा है। इसी साल जनवरी-फरवरी माह में बहराइच में भेड़ियों के दो बच्चे किसी ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए थे। तब उग्र हुए भेड़ियों ने हमले शुरू किए तो हमलावर भेड़ियों को पकड़कर 40-50 किलोमीटर दूर बहराइच के ही चकिया जंगल में छोड़ दिया गया। संभवतः यहीं थोड़ी गलती हुई।' सिंह ने बताया, 'चकिया जंगल में भेड़ियों के लिए प्राकृतिक वास नहीं है। ज्यादा संभावना यही है कि यही भेड़िये चकिया से वापस घाघरा नदी के किनारे अपनी मांद के पास लौट आए हों और बदला लेने के लिए हमलों को अंजाम दे रहे हों।'
Updated 12:03 IST, September 6th 2024