अपडेटेड 19 January 2024 at 12:25 IST
Ayodhya: प्रभु ने दिया था वरदान, आज रामलला की बलैंया लेने और बधाइयां देने पहुंचेगा किन्नर समाज
Kinnar in Ayodhya: 19 जनवरी को किन्नर अखाड़ा अपने प्रभु राम की बलैंया लेगा।

Ram Mandir News: अवधपुरी में आज किन्नर समाज श्री भगवान की बलैया लेने पहुंचेगा। उस प्रथा का निर्वहन करेगा जिसे आशीर्वाद के तौर पर भगवान श्री राम ने दिया था। युगों तक आम लोगों की खुशी में शामिल होने वाले किन्नर रामोत्सव का मान बढ़ाएंगे। दीए जलाएंगे, भजन गाएंगे, बलैंया लेंगे और बधैंया देंगे।
जैसे-जैसे श्री राम प्राण प्रतिष्ठा का दिवस समीप आ रहा है वैसे वैसे अयोध्या ही नहीं पूरा देश राममयी हो गया है। आज अवधपुरी और निखरेगी जब पूरे देश से किन्नर एकत्रित होंगे। अपने लला को आशीष देने। क्या है वो परम्परा, वो आशीष जिस वजह से किन्नर समाज का जुटान होगा?
बंदउँ किंनर रजनिचर...
तुलसीदास ने रामचरितमानस में भी किंनर समाज का वंदन किया है। बालकंड की एक चौपाई में ये भाव छुपे हैं। जो कुछ यूं है-
देव दनुज नर नाग खग प्रेत पितर गंधर्ब।
बंदउँ किंनर रजनिचर कृपा करहु अब सर्ब।।
Advertisement
यानि देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, पक्षी, प्रेत, पितर, गन्धर्व, किन्नर और निशाचर सबको मैं प्रणाम करता हूं। अब सब मुझ पर कृपा कीजिए। तुलसीदास जी रामचरित मानस की रचना करते समय शुरुआत में ही 'बंदउँ किन्नर' कहकर इस समाज की महत्ता से साक्षात्कार कराते हैं।
श्री राम आशीष
किन्नर का श्री राम के प्रति आस्था अकारण नहीं है। कहा जाता है जब प्रभु 14 साल के वनवास पर निकले थे तो अवध के जन-जन उनके पीछे जाने लगे। हर नर नारी के साथ-साथ किन्नर भी भी थे। अस तो प्रभु के निवेदन पर सभी अयोध्या लौट आये लेकिन किन्नर नहीं लौटे। तमसा नदी के समीप 14 वर्ष तक प्रभु का गुणगान और उनका पूजा-अर्चन करते रहे। वनवास से प्रभु लौटे तो उनकी भक्ति देख श्रीराम दंग रह गए। वरदान दिया। कहा- संतान होने पर किन्नर घर-घर बधाई गाकर बच्चों को आशीर्वाद देंगे तो खुशहाली बनी रहेगी।
Advertisement
उत्तरकांड में एक चौपाई है जिसमें प्रभु अपनी आसक्ति का प्रदर्शन करते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि मेरे रघुनाथ की भक्ति में लीन नारी निस्वार्थ और निश्चल भक्ति देख मेरे अन्दर भी भाव विभोर हो गए। करुणासागर के मन में तरंगें उठने लगी। तब श्रीराम ने उनको वरदान दिया कि कलयुग में तुम्हारा राज्य होगा और तुम लोग जिसको भी आशीर्वाद दोगे उसका कभी अनिष्ट नहीं होगा। रामचरित मानस में ही राम की भक्ति के सम्बन्ध में कहा गया है कि-
पुरुष नपुंसक नारि वा, जीव चराचर कोई
सर्व भाव नाज कपट तजि, मोहि परम प्रिय सोई। (उत्तरकाण्ड, 87 (क))
19 जनवरी को रामलला के सम्मान में क्या-क्या?
श्रीरामजन्म भूमि परिसर यज्ञमंडप में अग्नि देव का प्राक्ट्य अरणि मंथन 19 जनवरी को होगा। इसके साथ होम आदि अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे। वास्तु शांति पूजन संग गए ऋग्वेद - पूर्व द्वार, यजुर्वेद- दक्षिण द्वार और पश्चिम द्वार- सामवेद और अर्थवेद - उत्तर द्वार में सूक्त परायण भी होगा। रामलला का औषाधिवास, केसराधिवास, धृताधिवास किया जाएगा यानि प्रतिमा को पहले औषधि, फिर केसर फिर घी में रखा जाएगा।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 19 January 2024 at 10:42 IST