अपडेटेड 21 January 2024 at 23:17 IST

'चांद-सितारे की दो ईंट लाया, अयोध्या पहुंचे तो...',14 की उम्र में कारसेवा करने वाले पुंडीर की आपबीती

Latest Ayodhya update : कारसेवा के लिए कमल पुंडीर अयोध्या रवाना होने लेगे तो मां ने नम आंखों से उनको आशीर्वाद दिया और तिलक करके रवाना किया था।

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Ramlala Pran Pratishta update : 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishta) के पीछे हजारों कारसेवकों का बलिदान, संघर्ष और त्याग है। अयोध्या आंदोलन की हजारों कहानियां अभी भी हमसे दूर हैं। ऐसी ही एक कहानी है कारसवेक पवन पुंडीर की। 1992 में जब अपने गांव से अयोध्या के लिए रवाना हुए, तो उनकी उम्र महज 14 साल थी। उनके परिवार में रामलला के लिए ऐसा जुनून था कि पिता और पूत्र दोनों ने ही अयोध्या जाने की ठान ली थी।

कारसेवक पवन पुंडीर उत्तर प्रदेश के देवबंद थाना क्षेत्र के गांव भायला के रहने वाले हैं। रिपब्लिक भारत से खास बात करते हुए उन्होंने कहा कि 1992 में जब अयोध्या (Ayodhya) से रामभक्तों को बुलावा आया तो मेरी उम्र महज 14 साल थी। शाम के वक्त अयोध्या जाने के लिए गांव में पंचायत हुई और मैंने कारसेवा में शामिल होने की इच्छा जताई। यहां मुश्किल ये थी कि मेरे पिता भी कारसेवा में जाना चाहते थे और मैं भी, लेकिन ग्रामीण एक परिवार से एक सदस्य को ही भेजना चाहते थे।

मां ने आशीर्वाद दिया और तिलक किया- कारसेवक

रिपब्लिक भारत से बाद करते हुए अपने कारसेवा में शामिल होने पर पवन पुंडीर ने बताया कि 

'जब मेरी मां को पता चला कि मैं कारसेवा में शामिल होने अयोध्या जा रहा हूं, तो मां भावुक हो गई थी। मेरी मां ने मुझे अयोध्या जाने से एक बार भी नहीं रोका। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा धर्म का काम करने राम जन्मभूमि जा रहा है। एक क्षत्राणी के लिए ये एक गर्व का पल है।'

अयोध्या जाने से पहले पूरे गांव ने किया सम्मान

अगली सुबह जब कारसेवा के लिए पवन पुंडीर अयोध्या रवाना होने लेगे तो मां ने नम आंखों से उनको आशीर्वाद दिया और तिलक करके अयोध्या के लिए रवाना किया। भायला गांव से तीन कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। ग्रामीणों ने पूरे गांव में तीनों कारसेवकों को ढोल-नगाड़ों के साथ घुमाया था।

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अयोध्या पहुंचते ही किया सरयू स्नान

पवन पुंडीर अपने गांव के तीन कारसेवकों के साथ 4 दिसंबर को अयोध्या पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर को विवादित ढांचे पर पहुंचने से पहले उन्होंने सरयू नदी में स्नान किया। उसके बाद मंच से सभी कारसवकों के लिए विवादित ढांचे की तरफ बढ़ने का ऐलान हुआ। सबसे पहले कारसेवकों ने बैरिकेडिंग को तोड़ा और देखते ही देखते ढांचे को धवस्त कर दिया।

कारसेवक पवन पुंडीर ने दावा किया की वो अयोध्या से अपने साथ दो ईंट लेकर आए थे, जिनपर चांद और सितारा बना था। जिन्हें देखने के लिए गांव में लोगों की भीड़ लग गई थी। आसपास के ग्रामीण भी ईंटों को देखने के लिए आते थे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishta) पर पवन ने कहा कि मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। मैं प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन करने राम मंदिर (Ram Mandir) जरूर जाऊंगा।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 21 January 2024 at 16:38 IST