अपडेटेड 20 October 2025 at 08:06 IST
Ayodhya Deepotsav: दीपोत्सव पर राम नगरी ने बनाए दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, सीएम योगी ने जलाया पहला दीप, मन मोह लेंगी जगमग करती तस्वीरें
Ayodhya Deepotsav: अयोध्या में हुए दीपोत्सव में 2128 पुरोहितों ने महाआरती की थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भव्य उत्सव का शुभारंभ किया था।
- भारत
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Ayodhya Deepotsav: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रविवार को छोटी दीपावली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कल रात अयोध्या में नौवां दीपोत्सव मनाया गया। इस मौके पर सरयू नदी के तट पर 26 लाख से अधिक दीये जलाए गए थे जिसकी वजह से कल दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स भी बने। राम मंदिर परिसर भी दिव्य प्रकाश से आलोकित हो उठा।
इस दिव्य समारोह में 2128 पुरोहितों ने महाआरती की थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भव्य उत्सव का शुभारंभ किया। इस साल दिवाली के मौके पर हुए भव्य दीपोत्सव में 26 लाख से अधिक दीयों को एक साथ जलाकर पहला विश्व रिकॉर्ड बनाया गया।
अयोध्या में 26 लाख दीये जलाए गए
अब बात करें दूसरे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की तो ये तब बना जब 2128 पुरोहितों द्वारा सरयू नदी के तट पर एक साथ महाआरती की गई। पहला दीप सीएम योगी ने जलाया था। सीएम योगी ने कहा था कि 2017 में जब हम लोगों ने पहला दीपोत्सव करने का फैसला लिया था, इसके पीछे का भाव एक ही था कि दुनिया को दीप प्रज्ज्वल कैसे और किस उपलक्ष्य में होने चाहिए।
बता दें कि अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल दीपोत्सव समारोह के दौरान बनाए गए दो नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रमाण पत्र भी लिए। एक साथ सबसे ज्यादा लोगों द्वारा 'दीये' जलाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था। साथ ही पर्यटन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन, अयोध्या द्वारा 26 लाख 17 हजार 215 तेल के दीयों का सबसे बड़ा प्रदर्शन भी किया गया था।
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लेजर लाइट शो के साथ हुआ रामलीला का मंचन
इसके अलावा, राम की पैड़ी पर लेजर लाइट शो के साथ रामलीला का भव्य मंचन भी किया गया था। दीपोत्सव के मौके पर ढेर सारे प्रोग्राम होते हैं जिनमें ड्रोन शो, लेजर लाइट शो, शोभा यात्रा आदि शामिल हैं। इसका एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें आप दीयों और रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगाते घाट देख सकते हैं।
इस ऐतिहासिक दीपोत्सव की सफलता का श्रेय स्थानीय नागरिकों, राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 32000 से ज्यादा छात्रों और जिला प्रशासन को जाता है। स्वयंसेवकों ने दिन-रात मेहनत करके लाखों मिट्टी के दीयों को इस तरह लगाया था कि वे उत्सव के अंत तक जलते रहे।
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Published By : Sakshi Bansal
पब्लिश्ड 20 October 2025 at 08:06 IST