अपडेटेड 17 December 2024 at 23:41 IST

संभल, वाराणसी के बाद मुजफ्फरनगर के मुस्लिम इलाके में मिला 54 साल पुराना मंदिर, जानें पूरा मामला

यूपी के संभल और वाराणसी के बाद मुजफ्फरनगर के मुस्लिम इलाके में एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में मिलने का दावा किया गया है।

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Muzaffarnagar
Muzaffarnagar | Image: Republic

Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले में मंदिरों के मिलने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में अब संभल और वाराणसी के बाद मुजफ्फरनगर के मुस्लिम इलाके में एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में मिलने का दावा किया गया है। दावे के मुताबिक मुजफ्फरनगर के लद्धावाला में 54 साल पहले बने शिव मंदिर की हालत खस्ता हो गई है। यह मंदिर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में होने के कारण अब खंडहर में तब्दील हो गया है।

हाल ही में संभल में 400 साल पुराना भगवान शिव-हनुमान मंदिर के मामले ने इस वक्त तूल पकड़ा हुआ है। इसके बाद काशी और फिर अब इन दोनों के बाद बिल्कुल ऐसा ही मामला मुजफ्फरनगर से भी सामने आ गया है।

54 साल पहले शिव मंदिर की हुई स्थापना

मामला मुजफ्फरनगर के लद्धावाला का है। दावा किया गया है कि यहां 54 साल पहले 1970 में भगवान शिव शंकर के मंदिर की स्थापना की गई थी। यह मंदिर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में होने के कारण अब खंडहर में तब्दील हो गया है। पहले यहां हिंदू समाज के लोग रहते थे, लेकिन मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद वे यहां से पलायन कर गए। पलायन करते समय वह मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्ति को भी अपने साथ ले गए थे।

क्यों हिंदुओं ने पूजा-अर्चना की बंद?

बताया जाता है कि यह मंदिर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में होने की वजह से अब इस मंदिर में न तो कोई हिंदू पूजा अर्चना करने के लिए आता है और न ही यहां किसी भगवान की मूर्ति स्थापित है। राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों के दौरान यहां रहने वाले हिंदू समाज के लोग इस मोहल्ले को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर गए थे। इसके बाद से इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई और यह मंदिर खंडहर हालत में तब्दील हो गया। ऐसे में आज हालात ऐसे हैं कि यह मंदिर यहां पर स्थापित तो है लेकिन न तो इस मंदिर में कोई भगवान की मूर्ति है और न ही यहां कोई पूजा-अर्चना करने आता है। स्थानीय हिंदू निवासी का कहना है कि मंदिर के रास्ते में मुस्लिम आबादी होने के साथ-साथ कई नॉनवेज की दुकान खुली हुई है, जिस कारण भी लोग यहां जाने से कतराने लगे हैं।

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राम मंदिर का मुद्दा उठने लगा और…

स्थानीय निवासी सुधीर खटीक का कहना है कि वह भी पलायन करने वाले लोगों में शामिल थे। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी। इस मंदिर में पूजा-अर्चना हुआ करती थी। हालांकि बाद में राम मंदिर का मुद्दा उठने लगा। इस दौरान हिंदू पलायन करने लगे और मुस्लिमों की आबादी बड़ी संख्या में बढ़ने लगी। इसके बाद वहां मीट की दुकान खुलने लगी। इस वजह से मंदिर में पूजा-अर्चना करने से लोग बचने लगे। इसी के बाद हिंदू समाज के कुछ लोग मंदिर से मूर्तियां विस्थापित कर ले गए। हालांकि वहां किसी तरह के विवाद की जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है।

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 17 December 2024 at 23:41 IST