अपडेटेड 5 February 2024 at 16:08 IST
ज्ञानवापी के बाद बागपत में हिंदुओं की बड़ी जीत; मिला महाभारत कालीन लाक्षागृह, 53 साल बाद आया फैसला
बागपत के एक केस में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। मामला करीब 53 साल पुराना बताया जा रहा है, जिसमें बागपत की अदालत ने आज फैसला सुनाया है।
- भारत
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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित व्यास जी तहखाना के बाद अब बागपत के एक केस में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। मामला करीब 53 साल पुराना बताया जा रहा है, जिसमें बागपत की अदालत ने आज फैसला सुनाया है।
बागपत के लाक्षागृह का मुद्दा पहली सिविल डिविजन कोर्ट में चल रहा था। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और दस्तावेजों को देखने के बाद अपना फैसला दिया है। कोर्ट का ये फैसला हिंदुओं के पक्ष में आया है। अपने फैसले में अदालत ने लाक्षागृह को हिंदू पक्ष को सौंपने का आदेश दिया है।
क्या है बागपत के लाक्षागृह का मुद्दा?
मामला बागपत के बरनावा में एक विवादित स्थल से जुड़ा है, जिसे हिंदू महाभारतकालीन लाक्षागढ़ का अवशेष बताते हैं, जबकि मुस्लिम कहते हैं कि यह बदरुद्दीन शाह की कब्र है।
महाभारत में उल्लेख है कि कौरवों ने अज्ञातवास के दौरान पांडवों को जिंदा जलाने की साजिश रची और लाक्षागृह का निर्माण किया। पांडव चतुराई से वहां से भाग निकले। हिंदुओं का मानना है कि बागपत के बरनावा में एक प्राचीन टीला लाक्षागृह का खंडहर है।
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हालांकि मुसलमान उस प्राचीन टीले को बदरुद्दीन शाह की कब्र बताते हैं, जिसके चारों ओर उनके अनुयायियों की कब्रें हैं।
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1970 में कोर्ट में पहुंचा मामला
समय के साथ ये मुद्दा बन गया और मामला कोर्ट तक पहुंच गया। मुस्लिम समुदाय के मुकीम खान ने 1970 में कोर्ट में इसके स्वामित्व की मांग उठाई थी। उन्होंने टीले पर बदरुद्दीन शाह की दरगाह होने का दावा किया था, जो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में वक्फ संपत्ति के रूप में भी दर्ज है।
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि टीले के आसपास कोई मुस्लिम आबादी नहीं थी, जिससे पता चलता है कि मुस्लिम दावों की कोई प्रामाणिकता नहीं है।
दोनों पक्षों ने अपने दावों के समर्थन में अदालत में दस्तावेज भी जमा किए थे। अभी मामले में सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने अपना फैसला दे दिया है।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 5 February 2024 at 15:34 IST