अपडेटेड 26 September 2025 at 20:25 IST
3199 रुपये MRP वाली शर्ट के वसूले 3370 रुपये, नहीं दिया बिल, बताया ये कारण; जानें क्या कहता है कानून?
भारत में MRP से ऊपर पैकेज्ड सामान बेचना गैरकानूनी है और GST बदलाव इस नियम को बदलते नहीं हैं। उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए।
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भारत में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जिनमें से एक प्रमुख है अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) का पालन। MRP वह अधिकतम कीमत है जिस पर कोई पैकेज्ड सामान बेचा जा सकता है और इसमें सभी कर, शुल्क और अन्य खर्च शामिल होते हैं। लेकिन क्या कोई दुकानदार MRP से ज्यादा पैसे ले सकता है? शितांशु सिंह राणा (बदला हुआ नाम) का आरोप है कि नोएडा के DLF Mall of India में स्थिति US Polo Assn के शोरूम में की गई खरीदारी पर MRP से अधिक रुपये लिए गए हैं।
शितांशु का आरोप है कि US Polo Assn ब्रांड से एक शर्ट और रुमाल खरीदा। शर्ट का MRP 3199 रुपये था, लेकिन स्टोर ने 3199 की जगह 3370 रुपये वसूले। स्टोर कर्मचारियों ने दावा किया कि नए GST बदलाव के कारण 2849 रुपये से अधिक मूल्य वाली वस्तुओं पर 6 प्रतिशत अतिरिक्त GST लगाया गया है। इससे ज्यादा हैरानी की बात यह कि खरीद के समय बिल नहीं दिया गया। ग्राहक को बताया गया कि बिल शाम तक फोन पर भेजा जाएगा, लेकिन 24 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई बिल नहीं मिला। यह घटना न केवल उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन दर्शाती है, बल्कि भारतीय कानूनों की अनदेखी को भी उजागर करती है।
MRP क्या है और इसका महत्व
सुप्रीम कोर्ट के वकील तनुज दीक्षित बताते है कि MRP पैकेज्ड सामानों पर छपी वह अधिकतम कीमत है, जो विक्रेता उपभोक्ता से ले सकता है। कानूनी मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम के अनुसार, MRP में सभी कर शामिल होते हैं, जिसमें GST भी आता है। इसका मतलब है कि MRP अंतिम कीमत है और विक्रेता अपने ग्राहक से इससे ज्यादा कीमत नहीं वसूल सकता। यदि कोई दुकानदार MRP से ऊपर चार्ज करता है, तो यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत गैरकानूनी है। इस अधिनियम के अनुसार, उपभोक्ता शिकायत दर्ज करा सकता है।
अगर किसी शर्ट का MRP 3200 रुपये है, तो दुकानदार इससे ज्यादा नहीं ले सकता, भले ही वह GST या अन्य बहाने दे। MRP में पहले से ही सभी टैक्स शामिल होते हैं, इसलिए अतिरिक्त GST जोड़ना गैरकानूनी है। रिपब्लिक भारत ने अधिक कीमत वसूले जाने पर US Polo Assn को मेल कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखें जाने तक कोई जवाब नहीं मिला।
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MRP से ऊपर बेचना गैरकानूनी क्यों है?
कानूनी मेट्रोलॉजी नियम, 2011 स्पष्ट रूप से कहते हैं कि पैकेज्ड सामानों को MRP से ऊपर नहीं बेचा जा सकता। यह नियम उपभोक्ताओं को अधिक कीमत से बचाने के लिए है। यदि कोई विक्रेता ऐसा करता है, तो वह जुर्माने का सामना कर सकता है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय (Department of Consumer Affairs) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, MRP अंतिम है। विक्रेता MRP से कम पर बेच सकता है, लेकिन ऊपर नहीं।
GST बदलाव और MRP पर उनका प्रभाव
2025 में GST 2.0 सुधार लागू हुए हैं, जो 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी हैं। इन सुधारों में GST स्लैब को सरल बनाया गया है। मुख्य रूप से 5% और 18%, जबकि पाप और लक्जरी सामानों के लिए 40% स्लैब है। कई वस्तुओं पर GST दरें कम की गई हैं, जैसे टेक्सटाइल्स, चमड़े, जूते, हैंडीक्राफ्ट्स और खिलौनों पर 5%। इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे टीवी (32 इंच से ऊपर), एसी और डिशवॉशर पर GST 28% से घटकर 18% हो गया है।
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इन बदलावों के कारण सरकार ने अनसोल्ड स्टॉक पर MRP संशोधन की अनुमति दी है। निर्माता, पैकर या आयातक पुराने स्टॉक पर नई MRP स्टिकर लगा सकते हैं, खासकर अगर GST दरें कम हुई हैं तो MRP भी कम करना जरूरी है। लेकिन यह अनुमति केवल MRP संशोधन के लिए है, न कि MRP से ऊपर चार्ज करने के लिए। अगर GST दर बढ़ती है, तो भी विक्रेता MRP से ऊपर नहीं ले सकता; उन्हें नई MRP प्रिंट करनी होगी।
MRP से ऊपर चार्ज पर क्या करें?
अगर कोई दुकानदार MRP से ज्यादा लेता है, तो आप नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (1915) पर शिकायत कर सकते हैं या उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर सकते हैं। सबूत जैसे बिल और पैकेजिंग रखें। सरकार ने हालिया सुधारों में MRP संशोधन के लिए अस्थायी छूट दी है, लेकिन यह उपभोक्ता अधिकारों को कमजोर नहीं करती।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 26 September 2025 at 19:51 IST