अपडेटेड 13 March 2025 at 18:46 IST
UPI से लिंक इन-एक्टिव मोबाइल नंबर अब होगा अनलिंक, डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए एक्शन में NPCI
डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए UPI इन-एक्टिव मोबाइल नंबर को अनलिंक करेगा। NPCI ने UPI सेवा देने वाले बैंक और अन्य प्लेटफॉर्म को डेटाबेस अपडेट करने का आदेश दिया।
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अगर आपको भी UPI से जुड़े इनएक्टिव मोबाइल नंबर को अनलिंक करने में परेशानी हो रही थी, तो अब इस समस्या से आसानी से आपको छुटकारा मिल जाएगा। दरअसल, UPI से जुड़े सभी बैंकों तो नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने गाइडलाइंस जारी की है। एनसीपीआई के इस कदम से अगर आपका यूपीआई से जुड़े नंबर का एक्सेस नहीं है, तो आसानी से अनलिंक कर सकेंगे।
NCPI ने UPI की सेवा देने वाले सभी बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर प्लेटफॉर्मस (PSPs) को आदेश दिया है कि 31 मार्च तक सभी को अपना डेटाबेस अपडेट कर लेना होगा। इतना ही नहीं, सभी बैंकों और प्लेटफॉर्म्स को हर महीने नहीं बल्कि हर हफ्ते अपना डेटाबेस अपडेट करना होगा। इससे इनएक्टिव नंबर को UPI से हटाने में मदद मिलेगी।
ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए उठाया गया कदम
NPCI ने हफ्ते में कम से कम एक बार सभी बैंक और PSPs को अपना डेटाबेस अपडेट करने का आदेश दिया है, ताकि तुरंत ही इनएक्टिव नंबरों का पता लगाकर UPI से अनलिंक करने का ऑप्शन मिल सके। ऑनलाइन फ्रॉड से लोगों को बचाने के लिए ये कदम उठाया गया। इसे लेकर एनपीसीआई की ओर से 3 मार्च, 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। नोटिफिकेशन में कहा गया,"बैंक, पीएसपी ऐप मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची/डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म (MNRL/DIP) का उपयोग करेंगे और नियमित अंतराल पर, कम से कम साप्ताहिक आधार पर अपने डेटाबेस को अपडेट करेंगे। बैंक और PSP/TPAP डेटाबेस में रीसाइकिल या चर्न किए गए मोबाइल नंबरों की गतिविधि सही ढंग से दिखाई देगी, जिससे चर्न किए गए मोबाइल नंबरों के कारण होने वाले स्कैम की संभावना कम हो जाएगी।"
TRAI ने 90 दिनों का दिया समय
डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकॉम्युनिकेशन के अनुसार 90 दिनों से ज्यादा समय तक अगर किसी मोबाइल नंबर पर कोई SMS, कॉल या इंरटनेट एक्टिविटी नहीं हुई, तो उसे डिएक्टिवेट कर दिया जाएगा, या फिर वो नंबर किसी और व्यक्ति को दे दिया जाएगा। दरअसल, कई लोग अगर नंबर का इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं, तो बैंक से लिंक इस नंबर को अनलिंक या अपडेट नहीं करते हैं। TRAI का कहना है कि इससे सेक्योरिटी रिस्क बढ़ जाता है। जिस नए शख्स को ये इनएक्टिव नंबर मिलेगा, वो उस नंबर से लिंक सभी डिटेल्स हासिल कर गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए अपडेट डेटाबेस के आधार पर इसे रोका जा सकता है।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 13 March 2025 at 18:46 IST