अपडेटेड 12 December 2024 at 15:47 IST

2029 में देशभर में होगा एक चुनाव? 'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल को मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी

One Nation-One Election: सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे संसद में जल्द पेश किया जा सकता है।

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 Union Cabinet has approved One Nation-One Election Bill
Union Cabinet has approved One Nation-One Election Bill | Image: Republic

One Nation-One Election: 'एक देश-एक चुनाव' की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। साथ ही सूत्रों ने बताया है कि इस विधेयक को जल्द संसद के पटल पर भी रखा जा सकता है।

वर्तमान में देश के भीतर राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जबकि लोकसभा के चुनाव भी अलग समय पर होते हैं। हालांकि सरकार का उद्देश्य 100 दिनों के भीतर शहरी निकाय और पंचायत चुनावों के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है। फिलहाल इसी से जुड़े प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। हाल ही में  पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक हाईलेवल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। सरकार सितंबर में रामनाथ कोविंद वाली कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार कर चुकी है।

जल्द संसद में पेश किया जा सकता है विधेयक

सूत्र बताते हैं कि जल्द विधेयक को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श करने को तैयार है और उसे संसदीय समिति (JPC) को भेजा जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि सरकार कमेटी के जरिए अलग-अलग राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों से भी परामर्श करने की इच्छुक है। पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने  रामनाथ कोविंद की कमेटी की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा था कि प्रस्तावित विधेयकों में से एक में नियत तारीख से संबंधित उप-खंड (1) जोड़कर अनुच्छेद 82ए में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ समाप्त करने से संबंधित अनुच्छेद 82ए में उप-खंड (2) शामिल करने का भी प्रयास किया जाएगा।

कमेटी की तरफ से क्या-क्या सिफारिशें की गईं?

सूत्र बताते हैं कि जल्द विधेयक को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श करने को तैयार है और उसे संसदीय समिति (JPC) को भेजा जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि सरकार कमेटी के जरिए अलग-अलग राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों से भी परामर्श करने की इच्छुक है। पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने  रामनाथ कोविंद की कमेटी की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा था कि प्रस्तावित विधेयकों में से एक में नियत तारीख से संबंधित उप-खंड (1) जोड़कर अनुच्छेद 82ए में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ समाप्त करने से संबंधित अनुच्छेद 82ए में उप-खंड (2) शामिल करने का भी प्रयास किया जाएगा। इसमें अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करने और लोकसभा की अवधि के साथ उसे भंग करने से संबंधित नए उप-खंड (3) और (4) सम्मिलित करने का भी प्रस्ताव है। इसमें विधानसभाओं को भंग करने और एक साथ चुनाव शब्द को शामिल करने के लिए अनुच्छेद 327 में संशोधन करने से संबंधित प्रावधान भी हैं।

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सिफारिश में कहा गया है कि इस विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं को छोड़कर स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराने के किसी भी कदम के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन की जरूरत होगी, क्योंकि ये राज्य के मामलों से संबंधित है। वहीं एक अन्य विधेयक विधानसभा युक्त केंद्र शासित प्रदेशों-पुडुचेरी, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर से संबंधित तीन कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करने वाला एक सामान्य विधेयक होगा, ताकि इन सदनों की शर्तों को अन्य विधानसभाओं और लोकसभा के साथ संरेखित किया जा सके, जैसा कि पहले संवैधानिक संशोधन विधेयक में प्रस्तावित है।

जिन कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव है, उनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम-1991, केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 शामिल हैं। कमेटी ने तीन अनुच्छेदों में संशोधन, मौजूदा अनुच्छेदों में 12 नए उप-खंडों को शामिल करने और विधानसभा युक्त केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित तीन कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव दिया था। संशोधनों और नई प्रविष्टियों की कुल संख्या 18 है। आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने 'एक देश-एक चुनाव' सिस्टम को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की थी।

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रामनाथ कोविंद ने सरकार से की थी अपील

भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार को 'एक देश-एक चुनाव' पहल पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा राजनीतिक हितों से परे है और पूरे देश की सेवा करता है। इस मुद्दे पर कमेटी की अध्यक्षता करने वाले कोविंद ने कहा, 'केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी होगी। ये मुद्दा किसी पार्टी के हित में नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में है। ये (एक राष्ट्र, एक चुनाव) गेम-चेंजर साबित होगा। ये मेरी राय नहीं, बल्कि अर्थशास्त्रियों की राय है, जो मानते हैं कि इसके लागू होने के बाद देश की जीडीपी 1-1.5 प्रतिशत बढ़ जाएगी।'

शिवराज सिंह चौहान ने भी दिया था तर्क

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव कराने का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि बार-बार चुनाव कराने से समय और सार्वजनिक धन की काफी बर्बादी होती है। चौहान ने कहा कि बार-बार चुनाव कराने से जन कल्याणकारी कार्यक्रम बाधित होते हैं और इससे सार्वजनिक धन का काफी व्यय होता है। उन्होंने कहा- ‘मैं कृषि मंत्री हूं, लेकिन चुनाव के दौरान मैंने तीन महीने प्रचार में बिताए। इससे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, अधिकारियों और कर्मचारियों का समय बर्बाद होता है। सभी विकास कार्य ठप हो जाते हैं। फिर नई घोषणाएं करनी पड़ती हैं।’

(PTI-भाषा इनपुट के साथ)

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(Note: यह एक ब्रेकिंग स्टोरी है। अधिक जानकारी के साथ अपडेट हो रही है)

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 12 December 2024 at 14:25 IST