अपडेटेड 6 November 2024 at 01:03 IST
Sharda Sinha: छठ पर सुर बिखेरने वाली बिहार कोकिला ने तोड़ा दम, जाते-जाते दे गईं एक और सौगात
Sharda Sinha Tribute: छठ के गीतों में अपना सुर बिखेरने वाली शारदा सिन्हा ने दुनिया को 72 साल की उम्र में अलविदा कह दिया। उनके जीवन की झलकियां इस लेख में देखें।
- भारत
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Tribute to Sharda Sinha: बिहार का महापर्व छठ पूजा, जिसकी शुरुआत आज नहायखाय से हुई, उसी दिन बिहार कोकिला या फिर यूं कहें बिहारवासियों की प्रिय लता मंगेशकर का निधन हो गया। जिनके सुरों से दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में छठ की शुरुआत हुआ करती थी, आज इस महापर्व की शुरुआत पर उसी स्वरागिनी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। शारदा सिन्हा के छठ के गीतों को सुनकर श्रद्धालुओं का रोम-रोम आनंदित हो उठता था।
दुनिया के चाहे किसी भी कोने में हों, लेकिन शारदा सिन्हा के गाए हुए गीतों को सुनकर अनुभव होता था मानों मीलों दूर का सफर खत्म हो गया और हम अपने घर आ गए हों। खैर, इस दुनिया को छठ महापर्व से रूबरू कराने वाली स्वरागिनी शारदा सिन्हा अब नहीं रहीं।
शारदा सिन्हा का मिथिला की बेटी थीं। वहीं मिथिला, जहां मां सीता ने जन्म लिया, उसी मिथिला की मिट्टी पर शारदा सिन्हा का भी जन्म हुआ। बचपन से ही उन्हें गीतों में रूची थी। पिता का साथ पाकर वो लोकगीतों को गुनगुनाया करती थीं। इस दौरान उनकी शिक्षा-दीक्षा भी जारी रही। वह 8 भाईयों की लाड़ली और इकलौती बहन थीं। परिवार की लाड़ली रहीं हैं। शायद यही कारण है कि उनके होठों पर एक मुस्कान के साथ लाली हमेशा बरकार है।
भाई की शादी के दौरान लोकगीतों से संगीत जगत में रखा कदम
लोकगायिका शारदा सिन्हा ने कई इंटरव्यू में बताया है कि उन्होंने अपने भाई की शादी नेग के लिए एक लोकगीत गाया, जिसे उन्होंने तैयार किया था। इसी लोकगीत के साथ शारदा सिन्हा ने संगीत जगत में कदम रखा। बाद में उनकी शादी बेगूसराय के ब्रजकिशोर सिन्हा के साथ हो गई। ससुराल में उन्हें थोड़े से विरोध का सामना तो करना पड़ा, लेकिन पति और ससुर के भरपूर समर्थन के साथ उन्होंने संगीत का सफर बरकरार रखा। लोकगीत गाते हुए उनकी एंट्री बॉलीवुड गानों में भी हुई।
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कहे तोसे सजना… को दी अपनी आवाज
शारदा सिन्हा ने सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया का गाना कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया…को अपनी आवाज दी। आज भी इस गाने को खूब पसंद किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने 'तार बिजली' गाना भी गाया।
1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से हुईं सम्मानित
लोकगीत में बिहार कोकिला के योगदान देने के लिए 1991 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके बाद 2018 में 69वें गणतंत्र दिवस पर मोदी सरकार ने शारदा सिन्हा को 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।
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हर साल लोगों शारदा सिन्हा के नए छठ गीत का करते थे इंतजार...
शारदा सिन्हा अपने लोगों के लिए हर साल छठ का एक गीत जरूर लेकर आती थी। हर साल छठ से पहले लोग उनके नए गीत के आने का इंतजार करते थे। हमसबका ये इंतजार अब ताउम्र जारी रहेगा, लेकिन सुरीली आवाज में अब उनका नया गीत सुनने को नहीं मिलेगा।
अपनी गीतों के साथ अमर हो गई शारदा सिन्हा...
बिहार कोकिला के गीत सदियों तक हर उस घर में गूंजते रहेंगे, जहां आस्था के प्रतीक छठ पूजा को मनाया जाता है। शारीरिक तौर पर आज वो अपने अनंत सफर पर निकल पड़ी हैं, लेकिन उनकी गीतों में जो उनकी आत्मा का निवास है, वो सदा-सदा के लिए लोगों को महसूस होगा। जब भी छठ का कोई गीत किसी घर में बजेगा, मन में एक ही छवि होगी शारदा सिन्हा जी की। उनकी गीतों में उनकी आवाज की खनक पर अब होठों पर मुस्कान तो आएंगे, लेकिन आंखों में नमी भी होगी।
जाते-जाते दे गई छठ के गीत की एक और सौगात
छठ गीतों से अपनापन, आस्था और खुशियों की सौगात देने वाली शारदा सिन्हा, जिस वक्त अपनी जिंदगी की लड़ी अस्पताल में लड़ रही थीं, उस वक्त भी उन्होंने अपने चाहने वालों के लिए एक नए गीत का तोहफा दिया। जब शारदा सिन्हा दिल्ली एम्स में भर्ती थी, उस वक्त छठ का एक नया गीत उनकी सुरों में रिलीज हुआ। गीत के बोल हैं- 'दुखवा मिटाई छठी मईया'।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 6 November 2024 at 01:03 IST