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Published 23:54 IST, September 23rd 2024

भले ही तीसरा पक्ष शामिल हो, फिर भी तिरुपति मंदिर के ट्रस्टी दोषी रहेंगे: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तिरुपति प्रसादम् विवाद पर तल्ख टिप्पणी करते हुए इसके लिये सम्पूर्ण मंदिर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

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Mankameshwar Temple Bans Outside Prasad Amid Tirupati Laddu Controversy
Tirupati Laddu Controversy | Image: PTI/Threads

उत्तराखंड स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को दिये जाने वाले 'प्रसादम्' में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिली होने की घटना पर तल्ख टिप्पणी करते हुए इसके लिये सम्पूर्ण मंदिर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

अपनी देशव्यापी गौरक्षा यात्रा को लेकर सोमवार को लखनऊ पहुंचे सरस्वती ने एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में तिरुपति मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिये जाने वाले लड्डू में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिली होने के बारे में पूछे गये सवाल पर इस घटना के लिये मंदिर प्रशासन को दोषी ठहराया।

उन्होंने कहा, ''इतनी बड़ी घटना हो गयी... जो तिरुपति मंदिर के ट्रस्टी हैं, पदाधिकारी हैं, नियुक्त बड़े-बड़े अधिकारी हैं, वो सब दोषी हैं। जांच में भले ही कोई तीसरा व्यक्ति निकल आये लेकिन प्रथम दृष्ट्या सब दोषी हैं। अभी उनको वक्तव्य देकर दिखावा करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके जिम्मेदार पद पर रहते हुए यह सब कुछ हुआ है।”

आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में भक्तों को वितरित किये जाने वाले प्रसाद में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिलाये जाने की बात सामने आयी है। इसे लेकर खासा विवाद उत्पन्न हो गया है। मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

उन्होंने अपनी राष्ट्रव्यापी “गौ रक्षा यात्रा” की शुरुआत रविवार को अयोध्या से की थी। सरस्वती ने अयोध्या में इसी साल जनवरी में राम मंदिर को “आधा-अधूरा” बताते हुए इसकी प्राण-प्रतिष्ठा का मुखर विरोध किया था। उन्होंने रविवार को अयोध्या में राम मंदिर में पूजा से भी परहेज किया था।

शंकराचार्य ने देश में गौहत्या पर चिंता व्यक्त की और गौहत्या रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की।

उन्होंने इस मामले में सक्रिय कदम न उठाने के लिए राजग की भी आलोचना की और कहा कि यह साबित हो गया है कि “उन्होंने हिंदुओं को धोखा दिया है।” उन्होंने कहा कि अगर देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री “असली हिंदू” होते, तो वे गोहत्या की अनुमति नहीं देते।

उन्होंने कहा कि “या तो वे उसी दिन त्यागपत्र दे देते, या फिर आदेश पारित कर देते कि अब कोई गोहत्या नहीं हो सकती।”

सस्तवती ने कहा कि वह किसी पार्टी का विरोध नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, “ चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, जो भी कसाई वाला काम करेगा, उसका विरोध किया जाएगा। देश में अब कसाइयों की सरकार नहीं चल सकती।”

इस बीच, समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल पर शंकराचार्य के बयान की एक खबर साझा करते हुए सरकार पर निशाना साधा।

पोस्ट में कहा गया, ''मुख्यमंत्री योगी (आदित्यनाथ) के कार्यकाल में सर्वाधिक बीफ उत्पादन/निर्यात हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी खुद को गौरक्षक बताते हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। मुख्यमंत्री योगी जनता से सिर्फ झूठ बोलते हैं। भाजपा बीफ निर्यात कंपनियों से चंदा वसूलती है और बदले में बीफ एक्सपोर्ट को बढ़ावा देती है।''

‘नहीं चाहिए भाजपा’ हैशटैग से की गयी पोस्ट में कहा गया है, ''भाजपा का गौरक्षा अभियान सरासर झूठ है ,गौशालाओं के बजाय सड़कों पर जानवर इंसान की जान ले रहे ,गौशालाओं के नाम पर मुख्यमंत्री योगी भ्रष्टाचार कर रहे ,पशु भूखे प्यासे मर रहे हैं।''

तिरुपति लड्डू विवाद पर शंकराचार्य की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता आलोक वर्मा ने कहा, “यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था का विषय है और सनातन धर्म के अनुयायी इस पर कभी विश्वास नहीं करेंगे। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।”

समाजवादी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों पर वर्मा ने कहा, “भाजपा गायों की सेवा करने वाली पार्टी है। राज्य में हर कोई 2017 से पहले राज्य की स्थिति जानता है। गायों पर अत्याचार किए गए थे। आज, राज्य के हर जिले में 'गौ आश्रम' बनाए गए हैं।”

Updated 23:54 IST, September 23rd 2024