अपडेटेड 15 August 2023 at 11:32 IST
वीर बाजी राउत की कहानी, जिसने 12 साल की उम्र में उठाई क्रांति की मशाल, घुटने टेकने की बजाय खाई गोली
महज 12 साल की छोटी उम्र में देश के लिए जान देने वाले बाजी राउत को इतिहास में सबसे छोटे शहीद के नाम से जाना जाता है।
- भारत
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दशकों तक आजादी के लिए संघर्ष और हजारों वीर सपूतों की शहादत के बाद भारत को 15 अगस्त, 1947 में आजादी मिली। देश को आजादी की सांस दिलाने में कितने ही ऐसे गुनाम नायक हैं, जिन्होंने देश को आज का दिन दिखाने के लिए अपने प्राण कुर्बान कर दिए। ऐसा ही एक नाम है शहीद बाजी राउत। महज 12 साल की छोटी उम्र में देश के लिए जान देने वाले बाजी राउत को इतिहास में सबसे छोटे शहीद के नाम से जाना जाता है।
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- वानर सेना का हिस्सा थे बाजी राउत
- 12 साल की उम्र में नहीं माना अंग्रेजों का आदेश
- पहले बंदूक की बट से वार और फिर मारी गोली
12 साल की उम्र में बुलंद हौसला रखने वाले बाजी राउत ने अंग्रेजों का प्रतिकार किया। उनके हौसलों को अंग्रेजों की गोलियां भी डिगा न सकीं। बाजी राउत 5 अक्टूबर, 1926 को ओडिशा के ढेंकनाल में जन्मे थे। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में सबसे कम उम्र के शहीद को ब्रिटिश सेना ने ओडिशा के ढेंकनाल में मार डाला था।
10 अक्टूबर, 1938
अंग्रेजों के उत्पीड़न से बाजी राउत का गांव त्रस्त था। जिसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रजामंडल नाम का एक संगठन बना। जिसकी एक शाखा थी वानर सेना। जिसमें बच्चों को शामिल किया जाता था। इसी वानर सेना का हिस्सा थे बाजी राउत। वानर सेना का काम अंग्रेजों की सूचनाएं पहुंचाना था। 10 अक्टूबर, 1938 को प्रजामंडल के कार्यकर्ताओं ने उत्पीड़न के खिलाफ भुबन पुलिस स्टेशन को घेर लिया था, थाने के बाहर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
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ग्रामीणों ने पुलिस को दौड़ाया
जिसके बाद पुलिस और ग्रामीणों की झड़प हो गई और ग्रामीणों ने पुलिस को खदेड़ लिया। इसके बाद अंग्रेजों ने हथियारों से लैस पुलिस की 250 टुकड़ी भेजी। गांव में पहुंची पुलिस लोगों को गिरफ्तार कर भुवनेश्वर ले गई। ग्रामीणों की रिहाई के लिए प्रदर्शन होने लगा, इसी बीच घबराई अंग्रेजी पुलिस ने फायरिंग शुरू करदी। जिसमें गोली लगने से दो लोगों की मौत हो गई। इसके बाद गुस्साएं ग्रामीणों ने पुलिस को गांव छोड़ने की योजना बना ली।
पुलिस की मदद से किया इनकार
ग्रामीणों से घबराई पुलिस भाग खड़ी हुई। वो ब्राह्मणी नदी को पार कर ढेंकनाल जाने की कोशिश करने लगी। बाजी राउत वानर सेना की तरह से घाट पर पहरा दे रहे थे। घाट पर पहुंची अंग्रेजी पुलिस ने बाजी राउत से नाव के सहारे नदी पार कराने को कहा, लेकिन 12 साल के इस सहासी बालक ने नदी पार कराने से इनकार कर दिया। क्रूर अंग्रेजी सिपाहियों को 12 साल के बालक का इनकार करना अच्छा नहीं लगा। अंग्रेजी पुलिस ने पहले बाजी के सिर पर बंदूक की बट से वार किया और फिर गोली मार दी।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 15 August 2023 at 11:32 IST