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Camlin

पब्लिश्ड 13:45 IST, January 31st 2025

7 साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने डॉक्टरों से मांगी राय

दिल्ली की एक अदालत ने गोद ली गई सात साल की लड़की के उत्पीड़न के मामले में चिकित्सकों से उसकी चोट के बारे में राय मांगी है और कहा है कि लड़की ने अपने दत्तक परिवार के सदस्यों के खिलाफ ‘पाशविक बर्ताव करने’ और यौन एवं शारीरिक उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है।

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Rape and Murder in Kanpur
बच्ची के यौन उत्पीड़न का मामला | Image: Shutterstock / x

दिल्ली की एक अदालत ने गोद ली गई सात साल की लड़की के उत्पीड़न के मामले में चिकित्सकों से उसकी चोट के बारे में राय मांगी है और कहा है कि लड़की ने अपने दत्तक परिवार के सदस्यों के खिलाफ ‘पाशविक बर्ताव करने’ और यौन एवं शारीरिक उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है।

हालांकि इस मामले में उसे ‘सिखाए’ जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गोमती मनोचा ने 27 जनवरी को निर्देश पारित करते हुए ब्रिटिश-अमेरिकी कवि डब्ल्यू. एच. ऑडेन की कविता की पंक्तियों को उद्धृत किया और कहा, ‘‘हमेशा कहानी कुछ और होती है। जो दिखता है, असल में उससे कहीं अलग होता है।’’

न्यायाधीश ने कथित पीड़िता के दत्तक भाई की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए उन चिकित्सकों को तलब किया जिन्होंने फरवरी 2023 में शिकायत के बाद लड़की की एमएलसी (मेडिको लीगल केस) की थी। पीड़िता के दत्तक भाई पर उसका यौन और शारीरिक उत्पीड़न करने का आरोप है।

न्यायाधीश ने कहा कि बाद में लड़की ने बताया कि उसे चोट दुर्घटना के कारण लगी थी, लेकिन ‘‘चोटों की प्रकृति’’ अदालत में पहले दी गई उसकी गवाही से मेल नहीं खाती। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि पीड़िता सात साल की छोटी बच्ची है (शिकायत के समय उसकी उम्र छह साल थी)।

अपनी शिकायत में कथित पीड़िता ने बताया कि उसकी दत्तक मां उसके साथ क्रूरता से पेश आती थी। वह उसे मारती पीटती थी, चाकू से उसकी जीभ काट देती थी, जलते हुए कोयले से उसकी हथेली को जला देती थी तथा उसे डंडों, तार, चार्जर, हथौड़े, बेलन, वाइपर, चम्मच या जो कुछ भी हाथ में आता था, उससे मारती थी।

शिकायत में कहा गया है कि महिला ने छह साल की बच्ची का गला घोंटने का भी प्रयास किया था, उसके सीने पर घूंसे मारे थे, उसकी जांघों और जननांगों पर चाकू से वार किए थे, उसे गर्म गैस के बर्नर और खाना पकाने के गर्म बर्तन पर बैठा दिया था, उसे दांतों से काटा था तथा उसे निर्वस्त्र कर दिया था, और उसे कड़ाके की ठंड में रात में बालकनी में रहने के लिए मजबूर किया था।

शिकायत में यह भी बताया गया है कि आरोपी ने लड़की के हाथ बांधकर उसे पंखे से लटकाकर उसकी पिटाई की और एक-दो बार उसे चूमा भी। न्यायाधीश ने बताया कि पीड़िता ने पहले भी अदालत में अपने बयान में इसी तरह के आरोप लगाए थे।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में कई गंभीर चोटों का उल्लेख है जो लड़की के प्रारंभिक आरोपों से मेल खाती हैं। न्यायाधीश ने कहा कि लड़की को उसके जैविक माता-पिता को सौंप दिया गया है। लड़की के जैविक माता-पिता पर अपराध की रिपोर्ट नहीं करने का आरोप है और यह अपराध पॉक्सो (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत दंडनीय है। वहीं, उसके दत्तक माता-पिता से संबंधित मामले में ‘‘पीड़िता को सिखाए जाने, प्रभावित करने, भयभीत और मजबूर किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है’’।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में जमानत आवेदन पर विचार करने से पहले पीड़िता के शरीर पर लगी चोटों की प्रकृति और संभावित कारणों के बारे में चिकित्सक की राय दर्ज करना उचित है।’’ न्यायाधीश ने उन चिकित्सकों को तलब किया, जिन्होंने 10 फरवरी, 2025 को कथित पीड़िता की शिकायत के बाद उसकी मेडिकल रिपोर्ट दर्ज की थी।

उन्होंने कहा कि कथित पीड़िता ने अपने दत्तक भाई की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया, लेकिन जब उससे पूछा गया कि क्या उसे जमानत दी जानी चाहिए तो वह बिना रुके सबकुछ बोलती गई ‘‘मानो जैसे वह रटी-रटाई बात कर रही हो और उसे यह सब सिखाया गया हो।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उसके व्यवहार से ऐसा लगता है कि वह किसी के प्रभाव में है।’’ बचाव पक्ष के वकील ने इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि मामले में कथित पीड़िता से पहले ही पूछताछ हो चुकी है और उसने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

अपडेटेड 13:45 IST, January 31st 2025