अपडेटेड 14 December 2024 at 15:08 IST
तेदेपा ने एक देश, एक चुनाव में स्थानीय निकाय के चुनावों को शामिल करने की मांग की
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने शनिवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ संबंधी प्रस्ताव में संशोधन की मांग करते हुए इसमें सभी स्थानीय निकाय के चुनावों को शामिल करने की मांग की
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तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने शनिवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ संबंधी प्रस्ताव में संशोधन की मांग करते हुए इसमें सभी स्थानीय निकाय के चुनावों को शामिल करने की मांग की।इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस से यह सवाल भी किया कि बार-बार संविधान की दुहाई देने वाली प्रमुख विपक्षी पार्टी को यह भी बताना चाहिए कि जब आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को संसद से पारित किया गया था तब देश का लोकतंत्र और संविधान कहां था।
संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा पर लोकसभा में जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए तेदेपा के लवू श्री कृष्ण देवरायलू ने यह सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘आंध्र प्रदेश के बंटवारे को लेकर जब विधायक लाया गया था तब राज्य विधानसभा में इसे खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद यह विधेयक संसद में लाया गया।’’ उन्होंने कहा कि विधेयक पर चर्चा के दौरान आंध्र प्रदेश के अधिकतर तत्कालीन सांसदों ने इसका पुरजोर विरोध किया था लेकिन उनके द्वारा मांगे गए संशोधनों को खारिज करते हुए यह विधेयक पारित किया गया और यहां तक कि राज्य के अधिकतर सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया गया।
तेदेपा का कांग्रेस से बड़ा सवाल
उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि ये कैसा संविधान और कैसा लोकतंत्र है कि राज्य के बंटवारे को लेकर संसद में लाए गए विधेयक के लिए हुए मतदान में किसने पक्ष में और किसने विरोध में मतदान किया, इसके आंकड़े आज भी उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश की एन टी रामाराव के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार को गिराने का मुद्दा भी उठाया और कांग्रेस से सवाल किया कि संविधान और लोकतंत्र को खतरा बताने वाली पार्टी के लिए उस समय संविधान कहां था।
एक देश, एक चुनाव पर चर्चा
‘एक देश, एक चुनाव’ संबंधी विधेयक को मंत्रिमंडल की ओर से पारित किए जाने का जिक्र करते हुए देवरायलू ने इसमें संशोधन की मांग उठाते हुए इसमें सभी स्थानीय निकाय के चुनावों को भी शामिल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन चुनावों में बड़े स्तर पर पैसे और संसाधन खर्च होते हैं। उन्होंने शिक्षा के अधिकार कानून में संशोधन कर उसमें गुणवत्ता पर जोर देने की वकालत की।
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राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने संविधान के विभिन्न गुणों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले एक दशक में इसे लागू करने में हुआ ‘बदलाव’ परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि साल 2014 से वर्तमान सरकार के अधीन संवैधानिक मूल्यों का क्षरण हुआ है जो राष्ट्र की आधारशिला को कमजोर करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अनेक उदाहरण हुआ है जो संविधान के अनुसार दिए गए पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांत से समझौता करने वाला है।
चुनावी बांड का भी मुद्दा उठाया
उन्होंने चुनावी बांड का भी मुद्दा उठाया और कहा कि इससे देश की चुनावी अखंडता कमजोर हुई है। युवाजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के गुरुमूर्ति मड्डीला ने संविधान के विभिन्न मूल्यों को याद करते हुए इसके निर्माण में शामिल तेलुगु भाषी सदस्यों के योगदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल में कई परिवर्तनकारी योजनाएं चलाई गई जो पिछले वर्गों के उत्थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि रेड्डी ने संविधान के मूल्यों के अनुरूप समाज के सभी वर्गो के उत्थान पर ध्यान केंद्रित किया।
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निर्दलीय सदस्य पप्पू यादव ने संविधान को गीता, कुरान और बाइबिल बताया और कहा कि यह ‘सर्वधर्म समभाव’ और सर्वभौमिता के भाव पर जोर देता है लेकिन मौजूदा सरकार के अधीन इसकी अहमियत को चोट पहुंची है। उन्होंने एक कविता के माध्यम से सरकार पर हमले भी किए। उन्होंने निजीकरण के मुद्दे पर भी सरकार पर कई सवाल उठाए और आरक्षण की सीमा को 67 प्रतिशत किए जाने की मांग की। उन्होंने निजी नौकरियों में भी आरक्षण को लागू करने की मांग की।
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 14 December 2024 at 15:08 IST