अपडेटेड 13 October 2024 at 13:04 IST

पार्श्व पद्मावती सिद्ध पीठ धाम की स्थापना, जानिए वसंत विजय जी महाराज की दिव्‍य यात्रा

तमिलनाडु के शांतिपूर्ण नगर कृष्णगिरि में स्थित पार्श्व पद्मावती सिद्ध पीठ धाम की स्थापना, राष्ट्रीय संत वसंत विजय जी महाराज की दिव्य यात्रा और समर्पण का प्रतीक

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shree parshwa padmavathi shaktipeet thirth dham
shree parshwa padmavathi shaktipeet thirth dham | Image: PTI

तमिलनाडु के शांतिपूर्ण नगर कृष्णगिरि में स्थित पार्श्व पद्मावती सिद्ध पीठ धाम की स्थापना, राष्ट्रीय संत वसंत विजय जी महाराज की दिव्य यात्रा और समर्पण का प्रतीक है। जो एक आध्यात्मिक आह्वान के रूप में शुरू हुआ, वह आज एक पवित्र तीर्थ स्थल बन चुका है, जिसे दुनिया भर के भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक पूजा जाता है।

वसंत विजय जी महाराज का जन्म राजस्थान के एक साधारण परिवार में हुआ था। प्रारंभिक जीवन में उन्हें बड़े पारिवारिक दुःखों का सामना करना पड़ा। बचपन में ही अपनी माता और भाइयों को खो देने और पिता के गंभीर दुर्घटना में घायल होने के बाद, महाराज ने जीवन, कर्म और पीड़ा की गहन सच्चाइयों पर विचार करना शुरू किया। इन घटनाओं ने उनके जीवन में आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

महाराज के जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब चेन्नई की तीर्थयात्रा के दौरान उनकी मुलाकात काशी शंकराचार्य और एक जैन संत से हुई। उनके आशीर्वाद ने वसंत विजय जी में वैराग्य का भाव उत्पन्न किया और उन्होंने सांसारिक जीवन से विरक्ति की ओर कदम बढ़ाया। इसी दौरान उन्हें कई दिव्य अनुभव प्राप्त हुए, जिन्होंने उनके आध्यात्मिक भविष्य को आकार दिया।

पवित्र भूमि की खोज

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महाराज को ध्यान और साधना के दौरान कई दिव्य दृष्टांत प्राप्त हुए। इनमें दो नागों के दर्शन शामिल थे, जो उन्हें कृष्णगिरि के पास स्थित एक बंजर भूमि पर एक पवित्र मंदिर बनाने के लिए प्रेरित करते थे। यह वही भूमि थी, जहां प्राचीन ऋषियों ने साधना की थी। इस भूमि का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में भी किया गया है, और यह भूमि देवी मां पद्मावती की प्राचीन तपस्थली थी।

यह भूमि एक समय में भूकंप के कारण ध्वस्त हो चुकी थी और लंबे समय से उपेक्षित थी। महाराज को देवी पद्मावती से आदेश प्राप्त हुआ कि इस पवित्र स्थान की पुनः स्थापना होनी चाहिए, और वहां एक मंदिर बनाया जाए जो धर्म और अध्यात्म का केंद्र बने।

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मंदिर निर्माण के लिए तप और समर्पण

वसंत विजय जी महाराज ने इस मिशन को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उन्होंने संसारिक जीवन से पूरी तरह से संन्यास ले लिया और 340 दिनों तक मौन साधना की। इसके बाद, उन्होंने 120 दिनों तक गहन ध्यान और तप किया, जिसमें उन्होंने देवी पद्मावती को प्रसन्न करने के लिए 6 लाख कमल पुष्प और 60,000 आहुति अर्पित की।

देवी की कृपा से, वसंत विजय जी को देवी पद्मावती के 23 रूपों के दर्शन प्राप्त हुए, और देवी ने उन्हें मंदिर निर्माण का आदेश दिया। महाराज ने पार्श्व पद्मावती सिद्ध पीठ धाम की स्थापना की, जिसे 2 करोड़ से अधिक कांच के टुकड़ों और शुद्ध स्वर्ण से सजाया गया। इस मंदिर का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हुआ है।

दुनिया भर के भक्तों के लिए आध्यात्मिक केंद्र

आज, पार्श्व  पद्मावती सिद्ध पीठ धाम दुनिया भर के आध्यात्मिक साधकों के लिए एक पवित्र स्थल बन चुका है। प्रतिदिन हजारों भक्त यहां आकर मां पद्मावती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहां महालक्ष्मी कार्यसिद्धि महायज्ञ और सामूहिक आरती जैसे धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जो भक्तों को दिव्य ऊर्जा से जोड़ते हैं।
यह मंदिर केवल आध्यात्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का भी प्रतीक है। वसंत विजय जी महाराज की संतान धर्म के प्रति प्रतिबद्धता के अनुसार, यहां नियमित रूप से भोजन वितरण और चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है, जिससे यह मंदिर समाज सेवा का भी महत्वपूर्ण स्थल बन गया है।
यह मंदिर इस बात का प्रतीक है कि आस्था, भक्ति, और दृढ़ संकल्प कैसे एक दिव्य उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं। वसंत विजय जी महाराज की मंदिर स्थापना की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों को शांति, उपचार, और दिव्यता से जुड़ने का मार्ग दिखाती रहेगी

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 13 October 2024 at 13:04 IST