Published 23:36 IST, August 31st 2024
जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि के खतरों से निपटने के लिए सतत विकास ही एकमात्र रास्ता : धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और संसाधनों की कमी की चुनौतियों से निपटने के लिए सतत विकास ही एकमात्र रास्ता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और संसाधनों की कमी की चुनौतियों से निपटने के लिए सतत विकास ही एकमात्र रास्ता है।
देहरादून के सीएसआईआर- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) में वैज्ञानिकों, छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि “हमारे अस्तित्व” को खतरा पैदा करने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक समाधान की आवश्यकता है।
धनखड़ ने कहा, “आज की चुनौतियों के लिए साहसिक कदम उठाने की आवश्यकता है और सीएसआईआर-आईआईपी जैसी संस्था प्रभावी प्रौद्योगिकियों पर शोध के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में काम कर सकती है, जो चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकती है।”
उपराष्ट्रपति ने “पक्षपातपूर्ण हितों की पूर्ति और राष्ट्र-विरोधी विमर्श फैलाने” के लिये उन लोगों की आलोचना की जो एक समय सत्ता और शासन के पदों पर थे।
धनखड़ ने इस टिप्पणी की भी निंदा की कि पड़ोसी देश (बांग्लादेश) में जो हो रहा है, वह भारत में भी हो सकता है।
उन्होंने कहा, “देश के जीवंत और मजबूत लोकतंत्र में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस तरह के विचार का समर्थन कैसे कर सकता है?”
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे झूठी कहानियों के बहकावे में न आएं तथा ऐसी ताकतों को बेअसर करने, उनका मुकाबला करने और उन्हें बेनकाब करने के लिए आगे आएं।
इससे पहले, उपराष्ट्रपति का उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और प्रेमचंद अग्रवाल तथा हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वागत किया। वह अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ दो दिवसीय यात्रा पर राज्य पहुंचे थे।
उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी ने सीएसआईआर-आईआईपी परिसर में अपनी माताओं कसारी देवी और भगवती देवी की स्मृति में पौधे भी लगाए।
Updated 23:36 IST, August 31st 2024