Published 11:44 IST, October 3rd 2024
'दोषी या विचाराधीन कैदी के रजिस्टर में जाति कॉलम हटाया जाए', SC ने दिया जातिगत भेदभाव पर अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने जेल के भीतर कैदियों के साथ जातिगत आधार पर भेदभाव को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इसे अंसवैधानिक करार दिया है।
Caste-Based Discrimination: सुप्रीम कोर्ट ने जेल के भीतर कैदियों के साथ जातिगत आधार पर भेदभाव को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इसे अंसवैधानिक करार दिया है और सभी राज्यों से अपने जेल मेनुअल में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि दोषी या विचाराधीन कैदी के रजिस्टर में जाति कॉलम को हटाया जाए।
जेलों में जाति-आधारित भेदभाव और अलगाव को रोकने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मैनुअल निचली जाति को सफाई, झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति को खाना पकाने का काम सौंपकर सीधे भेदभाव करता है। ये अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं से जेलों में श्रम का अनुचित विभाजन होता है और जाति आदि के आधार पर श्रम आवंटन की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाति के आधार पर काम का बंटवारा असंवैधानिक है। इस तरह के नियम औपनिवेशिक मानसिकता का उदाहरण हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जेल मैनुअल प्रावधानों को संशोधित करने का निर्देश दिया है, जो जेल में जातिगत भेदभाव को कायम रखते हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी या विचाराधीन कैदी के रजिस्टर में जाति कॉलम को हटाया जाए। तीन महीने के बाद कोर्ट मामले की दोबारा सुनवाई करेगा। इस बीच सभी राज्यों को अपने जेल मैनुअल में बदलाव करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों के अंदर भेदभाव का स्वत: संज्ञान लिया और राज्यों से अदालत के समक्ष इस फैसले के अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
Updated 12:12 IST, October 3rd 2024