अपडेटेड 8 April 2024 at 21:43 IST
SC में पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा की याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा
शीर्ष अदालत ने मामले में उनकी जमानत याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
- भारत
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उच्चतम न्यायालय ने मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को राहत देते हुए सोमवार को कहा कि उन्हें 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने मामले में उनकी जमानत याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
बंबई उच्च न्यायालय के 19 मार्च के फैसले के खिलाफ शर्मा की अपील स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘यह बरी करने के फैसले को उच्च न्यायालय द्वारा पलटने का मामला है, जिसमें अपीलकर्ता द्वारा अपील दायर की गई है। वैधानिक अपील सुनवाई के लिए स्वीकार की जाती है। जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया जाता है। उच्च न्यायालय ने उन्हें तीन सप्ताह में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। सुनवाई की अगली तारीख तक उन्हें आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है।''
प्रदीप शर्मा ने हाई कोर्ट के फैसले को दी चुनौती
शर्मा ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है जिसने उन्हें 2006 में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और वकील सुभाष जाधव ने कहा कि घटना लगभग 20 साल पहले हुई थी और उनका मुवक्किल अपराध स्थल पर नहीं था। उन्होंने कहा कि केवल उनकी रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया गया।
शिकायतकर्ता ने किया जमानत याचिका का विरोध
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रामनारायण गुप्ता के भाई एवं शिकायतकर्ता रामप्रसाद गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील युग चौधरी ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि शर्मा ने बार-बार अपराध किया है। उन्होंने कहा कि शर्मा को फर्जी मुठभेड़ के एक से अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है और उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने के उदाहरण हैं।
चौधरी ने कहा कि शर्मा को एंटीलिया बम कांड मामले में जमानत दी गई थी, जिसमें दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया' के पास एक एसयूवी कार मिली थी जिसमें विस्फोटक था।
शर्मा को एक गोली के आधार दोषी ठहराया गया- रोहतगी
रोहतगी ने कहा कि शर्मा को एक गोली के आधार पर मामले में दोषी ठहराया गया था, जो मृतक के शरीर में पाई गई थी। उन्होंने कहा कि दावा किया गया है कि गोली शर्मा की सर्विस रिवॉल्वर से चली थी।
पीठ ने कहा कि फिलहाल वह केवल जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर रही है और जहां तक उच्च न्यायालय के फैसले का सवाल है, ''यह एक अच्छी तरह से तैयार किया गया फैसला है और न्यायाधीशों ने काफी परिश्रम किया है।''
जमानत याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई
पीठ ने कहा कि वह शर्मा की जमानत याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगी। उन्नीस मार्च को, उच्च न्यायालय ने मामले में 12 पूर्व पुलिसकर्मियों सहित 13 आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था, "कानून के रक्षकों/संरक्षकों को वर्दी में अपराधियों के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अगर इसकी अनुमति दी गई तो इससे अराजकता फैल जाएगी।’’
उच्च न्यायालय ने हालांकि सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को रद्द कर दिया। उसने शर्मा को तीन सप्ताह में संबंधित सत्र अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। ग्यारह नवंबर 2006 को, पुलिस के एक दल ने नवी मुंबई के वाशी इलाके से रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया और उनके दोस्त अनिल भेड़ा को हिरासत में लिया था और उसी शाम रामनारायण गुप्ता को पश्चिमी मुंबई के वर्सोवा के पास एक फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया था।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 8 April 2024 at 21:43 IST