अपडेटेड 13 September 2024 at 22:14 IST

CBI पर जस्टिस भुइयां का तंज, बोले- 'पिंजरे में बंद तोते' की धारणा से बाहर निकलना चाहिए

न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'सीबीआई की ओर से इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी के समय पर, बल्कि गिरफ्तारी पर ही गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।

Follow : Google News Icon  
supreme court judgement on kejriwal bail on today
CBI पर जस्टिस भुइयां का तंज, बोले- 'पिंजरे में बंद तोते' की धारणा से बाहर निकलना चाहिए | Image: ANI/PTI

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश उज्ज्वल भुइयां ने आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को शुक्रवार को अनुचित करार दिया तथा जांच एजेंसी से कहा कि उसे 'पिंजरे में बंद तोते' की धारणा से निश्चित रूप से बाहर निकलना चाहिए। आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक केजरीवाल को जमानत देने को लेकर न्यायमूर्ति सूर्यकांत के निर्णय से सहमति जताने वाले, परंतु अलग से लिखे अपने फैसले में न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल किया। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि एजेंसी का उद्देश्य प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले में केजरीवाल को मिली जमानत में बाधा डालना था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत को हालांकि सीबीआई की गिरफ्तारी में कुछ अनुचित नहीं लगा। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'सीबीआई देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह जनहित में है कि सीबीआई को निश्चित रूप से न सिर्फ निष्पक्ष होना होगा, बल्कि उसे ऐसा करके दिखाना भी होगा। ऐसी धारणा को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए कि जांच निष्पक्ष रूप से नहीं की गई थी और गिरफ्तारी दमनात्मक एवं पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई थी।'


जस्टिस भुइयां ने की सीबीआई की आलोचना

जस्टिस भुइयां ने आगे कहा, 'कानून के शासन द्वारा संचालित एक क्रियाशील लोकतंत्र में धारणा मायने रखती है। एक जांच एजेंसी को ईमानदार होना चाहिए। कुछ समय पहले, इस अदालत ने सीबीआई की आलोचना करते हुए इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से की थी। यह जरूरी है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करे। धारणा यह होनी चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं बल्कि स्वतंत्र है।' शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि जब केजरीवाल को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के बेहद सख्त प्रावधानों के तहत जमानत मिल जाती है तो उसी अपराध के संदर्भ में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी समझ के परे है।

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सीबीआई पर उठाए सवाल

न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि सीबीआई का मामला 17 अगस्त 2022 को दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि 21 मार्च को ईडी द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी तक सीबीआई को केजरीवाल को गिरफ्तार करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई, हालांकि उसने लगभग एक साल पहले 16 अप्रैल 2023 को उनसे पूछताछ की थी। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'जब सीबीआई को 17 अगस्त, 2022 से 26 जून, 2024 तक यानी पिछले 22 महीने से याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई तो मुझे याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने की सीबीआई की जल्दबाजी समझ नहीं आती, जबकि वह ईडी मामले में रिहाई के कगार पर थे।'

Advertisement


CBI ने ED की जमानत में बाधा डालने के लिए की गिरफ्तारी

न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'सीबीआई की ओर से इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी के समय पर, बल्कि गिरफ्तारी पर ही गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। बाइस महीने तक सीबीआई अपीलकर्ता को गिरफ्तार नहीं करती, लेकिन ईडी मामले में विशेष न्यायाधीश द्वारा अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिये जाने के बाद सीबीआई उनकी हिरासत मांगती है।' उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में यह विचार किया जा सकता है कि सीबीआई द्वारा की गई यह गिरफ्तारी शायद केवल ईडी मामले में केजरीवाल को दी गई जमानत में बाधा डालने के लिए की गई थी।


जस्टिस भुइयां ने CBI को कहा 'पिंजरे का तोता'

जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल को इस आधार पर गिरफ्तार करना निश्चित रूप से गलत है कि वह जवाब देने में टालमटोल कर रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए, यह दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है।' न्यायाधीश ने कहा कि जब केजरीवाल को ईडी मामले में इसी आधार पर जमानत मिल गई है तो उन्हें हिरासत में रखना न्याय की दृष्टि से ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें ईडी मामले में केजरीवाल पर लगाई गई शर्तों पर गंभीर आपत्ति है, जिनके तहत उनके मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने और फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर रोक है।

Advertisement


सीबीआई देश के एक प्रमुख जांच एजेंसीः जस्टिस भुइयां

जस्टिस भुइयां ने कहा, 'मैं न्यायिक अनुशासन के कारण, केजरीवाल पर लगाई गई शर्तों पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं।' न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि सीबीआई देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है और यह लोगों के हित में है कि वह न केवल पारदर्शी हो, बल्कि ऐसा (पारदर्शी) प्रतीत भी हो। उन्होंने कहा, 'कानून का शासन हमारे संवैधानिक गणराज्य की एक बुनियादी विशेषता है, जो यह अनिवार्य बनाता है कि जांच निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत होनी चाहिए। इस अदालत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि निष्पक्ष जांच भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 और 21 के तहत आरोपी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।' न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि जांच न केवल निष्पक्ष होनी चाहिए, बल्कि निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए।


जमानत में शर्तों के बाद केजरीवाल कार्यालय नहीं जा सकते

आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई के भ्रष्टाचार मामले में रिहा करते समय उच्चतम न्यायालय द्वारा जमानत शर्तों में छूट दिए जाने के बावजूद, केजरीवाल अभी भी सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में नहीं जा सकते हैं और किसी भी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति भुइयां की पीठ ने जमानत की केवल दो शर्तें बरकरार रखीं कि वह सुनवाई की प्रत्येक तारीख को निचली अदालत के समक्ष उपस्थित रहेंगे, जब तक कि उन्हें छूट न दी जाए और मुकदमे को शीघ्र पूरा करने में पूरा सहयोग करेंगे।


सुप्रीम कोर्ट ने 10 के बांड पर दी जमानत

उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि केजरीवाल को 10 लाख रुपये के जमानत बांड और इतनी ही राशि की दो जमानतें दाखिल करने पर रिहा किया जाए। पीठ ने कहा, ‘अपीलकर्ता सीबीआई मामले के गुण-दोष पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे, क्योंकि यह मामला निचली अदालत के समक्ष विचाराधीन है।’यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इन कथित अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद इस नीति को बाद में निरस्त कर दिया गया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

यह भी पढ़ेंः CM की रिहाई पर राघव चड्ढा बोले- 'केजरीवाल हरियाणा में करेंगे प्रचार'

Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 13 September 2024 at 22:14 IST