अपडेटेड 29 April 2025 at 17:44 IST
होम बॉयर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, NCR में बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ की होगी CBI जांच; जानिए पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि CBI इस मामले में सात प्रारंभिक जांच दर्ज करे, जिनमें से एक सुपरटेक के खिलाफ होगी।
- भारत
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Big relief to home buyers from SC: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के हजारों होम बायर्स को बड़ी राहत देते हुए नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम और गाजियाबाद प्राधिकरणों के अंतर्गत आने वाली रियल एस्टेट परियोजनाओं की प्रारंभिक जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने सुपरटेक समेत उन तमाम बिल्डरों के खिलाफ भी अलग से जांच कराने का निर्देश दिया है, जिनकी परियोजनाएं दिल्ली-NCR, मुंबई, चंडीगढ़ और मोहाली में स्थित हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिल्डरों और बैंकों/हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) के बीच एक "अपवित्र सांठगांठ" की आशंका है, जिसके कारण आम खरीदारों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में सख्त रुख अपनाते हुए जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी है।
CBI को मिली बड़ी जिम्मेदारी, SIT का गठन होगा
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि CBI इस मामले में सात प्रारंभिक जांच दर्ज करे, जिनमें से एक सुपरटेक के खिलाफ होगी। CBI निदेशक को एक विशेष जांच दल (SIT) बनाने का निर्देश भी दिया गया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों (DGP) को CBI को जरूरी पुलिस अधिकारियों की तैनाती करने का आदेश दिया गया है। यूपी से 12 और हरियाणा से 5 डिप्टी एसपी, इसके अलावा राज्य पुलिस से कुल 57 अधिकारी, जिनमें इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल और महिला कांस्टेबल शामिल हैं, जांच दल में शामिल किए जाएंगे।
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सुपरटेक और 8 बैंकों के बीच सांठगांठ की जांच की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में बताया गया कि सुपरटेक के छह शहरों में 21 से अधिक प्रोजेक्ट हैं, जिनमें 19 वित्तीय संस्थानों की भागीदारी है। रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 800 होम बायर्स प्रभावित हुए हैं। कोर्ट ने सुपरटेक और 8 बैंकों के बीच वित्तीय लेन-देन की प्राथमिकता के आधार पर जांच की सिफारिश की है। साथ ही, अन्य तीन बैंकों के साथ भी संभावित सांठगांठ की CBI जांच जरूरी बताई गई है।
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हर महीने होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट करेगा निगरानी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की निगरानी खुद करने का फैसला किया है और CBI से नियमित अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट इस केस की हर महीने सुनवाई करेगा।
सिस्टम की विफलता पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि इस मामले में 170 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें 200 से अधिक होम बायर्स शामिल हैं। कोर्ट ने माना कि यह एक संगठित विफलता है, जिसमें सरकारी अधिकारियों, बिल्डरों और बैंकों ने अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया।
कोर्ट ने बताया कि बिल्डर्स ने घर खरीदने वालों को EMI या प्री-EMI का भुगतान करने की गारंटी देने वाली योजनाएं चलाईं, लेकिन परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हुईं। कई मामलों में 2013-15 में लॉन्च की गई परियोजनाएं 2018-19 में ठप हो गईं और EMI चूकने लगीं। इसके बावजूद बैंक खरीदारों से जबरन वसूली करने लगे, जबकि फ्लैट अधूरे थे।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 29 April 2025 at 17:44 IST