अपडेटेड 4 December 2024 at 16:15 IST
2 बार डिप्टी CM, केंद्रीय मंत्री और MLA..जानिए कौन हैं सुखबीर सिंह बादल; गोल्डन टेंपल में हुआ हमला
सुखबीर सिंह बादल के बारे में जानें, अरबों की संपत्ति के मालिक और पंजाब के प्रभावशाली सिख नेता हैं। जानें, क्या है तनखैया ? धार्मिक संस्था के पास कितनी शक्ति ?
- भारत
- 4 min read

Sukhbir Singh Badal News: पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता सुखबीर सिंह बादल पर आज फायरिंग की गई, गनीमत रही की इस हमले में वो बाल-बाल बच गए हैं। कहा जा रहा है कि एक शख्स ने गोल्डन टेंपल के गेट पर उन पर फायरिंग की। जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, फिलहाल पुलिस गहनता से इसका जांच कर रही है। दरअसल, सुखबीर सिंह बादल को स्वर्ण मंदिर में टॉयलेट की सफाई की सजा दी गई है। हालांकि सुखबीर सिंह बादल को चोट लगने के बाद फिलहाल वह गेट पर सेवादारी का काम कर रहे थे। इसी दौरान उन पर हमला हुआ। वहीं, सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को 'तनखैया' करार देते हुए उन्हें शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दिया था। जानें, क्या है तनखैया ? और धार्मिक संस्था अकाली दल के पास कितनी शक्ति है ? जो वो नेताओं को सजा सुना पाता है। सुखबीर सिंह बादल के बारे में भी जानें, जो अरबों की संपत्ति के मालिक हैं और पंजाब के प्रभावशाली सिख नेता हैं।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल को सोमवार को अकाल तख़्त की ओर से धार्मिक सजा सुनाई गई थी। अकाल तख्त सिख धर्म से जुड़ी सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है और उसे ये अधिकार है कि वो अपराधों के लिए किसी भी सिख को तलब करे और उसके खिलाफ धार्मिक सजा का ऐलान करे, जिसे ‘तन्खाह’ कहते हैं। सिख परम्पराओं के मुताबिक, अगर कोई सिख, सिख धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ काम करता है या सिख समुदाय की भावनाओं के विपरीत काम करता है तो उसे अकाल तख्त की ओर से धार्मिक सजा सुनाई जा सकती है।
क्यों हुई सुखबीर बादल को सजा?
2 दिसम्बर को सिख प्रतिनिधियों और सिखों के 5 प्रमुख धर्म स्थलों के मुखिया की अकाल तख्त में मीटिंग हुई थी। इसी मीटिंग में सुखबीर बादल समेत 2007 से 2017 के बीच उनके कैबिनेट में मंत्री रहे ज्यादातर लोगों को धार्मिक सजा दी गई। आरोप है कि बादल ने ईशनिंदा के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलवाने में मदद की है। इसके लिए बादल ने राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस लेने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई भी नहीं की और संगत के पैसे से राजनीतिक विज्ञापन दिलवाया था। डीजीपी सुमेध सैनी की नियुक्ति को धार्मिक रूप से गुनाह करार दिया है।
2 बार डिप्टी सीएम, केंद्रीय मंत्री और सांसद रह चुके
सुखबीर सिंह बादल 2 बार डिप्टी सीएम, केंद्रीय मंत्री और सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 11वीं और 12वीं लोकसभा में फरीदकोट संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व किया, इसके बाद 1998-99 एनडीए कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री भी रहे, बादल 2001-04 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। 14वीं लोकसभा में वो एक बार फिर फरीदकोट से सांसद बने। साल 2008 में उन्हें अकाली दल की कमान सौंपी गई। इसके अगले ही साल 2009 में उन्होंने पंजाब के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। हालांकि उस समय वो पंजाब विधानसभा के निर्वाचित सदस्य नहीं थे, और सदन का सदस्य बनने की 6 महीने की अवधि पूरी होने पर पद से इस्तीफा दे दिया। सुखबीर बादल अगस्त 2009 में एक बार फिर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बने और जलालाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता।
Advertisement
सुखबीर बादल का जन्म 9 जुलाई, 1962 को पंजाब के फरीदकोट में सुरिंदर कौर बादल (Surinder Kaur Badal) और प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) के परिवार में हुआ। चुनावी हलफनामे के मुताबिक वो पोस्ट ग्रेजुएट हैं और साल 1987 में कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, लॉस एंजेलिस से एमबीए किया है। उन्होंने 1985 में चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए ऑनर्स किया। उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) में मंत्री रही हैं और पंजाब की राजनीति में बड़ा नाम हैं।
अरबों की संपत्ति के मालिक हैं सुखबीर सिंह बादल
चुनावी हलफनामे (2019 लोकसभा) के मुताबिक सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल 2,17,99,19,870 रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। उन्होंने खुद पर 95 करोड़ रुपये की देनदारी भी बताई है। 2013-18 तक आईटीआर में उन्होंने करीब साढ़े दस करोड़ की कमाई बताई है। बादल के खिलाफ आपराधिक मामले भी हैं। लंबे समय से शिरोमणि अकाली दल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के माध्यम से सिख समुदाय और पंजाब के लोगों के मुद्दों को उठाया है। उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल को पंजाबी सिख समुदाय में एक मजबूत पहचान मिली हुई है, सुखबीर बादल का कार्यकाल कई बार विवादों से भी जुड़ा रहा, लेकिन उनका राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है।
Advertisement
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 4 December 2024 at 12:21 IST