अपडेटेड 31 December 2024 at 10:54 IST
अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग: ISRO की नजर एक और तकनीकी उपलब्धि पर
भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी- अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ का प्रदर्शन करने वाले इसरो के दो अंतरिक्ष यान सोमवार की देर रात सफलतापूर्वक एक दूसरे से अलग हो गए।
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भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी- अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ का प्रदर्शन करने वाले इसरो के दो अंतरिक्ष यान सोमवार की देर रात सफलतापूर्वक एक दूसरे से अलग हो गए और उन्हें वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी जानकारी दी।
मिशन के निदेशक एम. जयकुमार ने कहा…
मिशन के निदेशक एम. जयकुमार ने कहा, ‘‘पीएसएलवी - सी60 मिशन को पूरा कर लिया गया है।’’ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट ने 15 मिनट से अधिक की उड़ान के बाद उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जहां तक हमारा सवाल है, रॉकेट ने अंतरिक्ष यान को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है और ‘स्पाडेक्स’ उपग्रह एक के पीछे एक चले गए हैं, और समय के साथ, ये आगे की दूरी तय करेंगे और उनके करीब 20 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद ‘डॉकिंग’ की प्रक्रिया शुरू होगी।’’
सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में अपने संबोधन में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि डॉकिंग प्रक्रिया में एक और सप्ताह का समय लग सकता है और यह बहुत कम समय में...करीब सात जनवरी को होने जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इस मिशन में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पीओईएम-4 है, जिसमें स्टार्टअप, उद्योग, शिक्षा जगत और इसरो केंद्रों से 24 पेलोड हैं।
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सोमनाथ ने कहा कि इन्हें मंगलवार सुबह प्रक्षेपित किया जाना है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रात भर काम करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीओईएम-4 ऑपरेशन करने के लिए वांछित कक्षा स्तर तक पहुंच जाए। सोमनाथ ने बाद में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पत्रकारों से कहा कि पीएसएलवी-सी60 मिशन ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो स्पाडेक्स उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वांछित वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया है जबकि पहले 470 किलोमीटर की दूरी तय की गई थी। इस मिशन में पीओईएम-4 भी है, जिसमें अनुसंधान और विकास के लिए 24 पेलोड हैं।
अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने कहा, 'वे पेलोड हैं, उपग्रह नहीं। उन्हें अगले दो महीनों में प्रयोग करने के लिए (पीएसएलवी रॉकेट के) चौथे चरण से जोड़ा जाएगा। पीएसएलवी रॉकेट के ऊपरी चरण को 350 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाया जाएगा और यह प्रक्रिया अभी जारी है। उसके बाद हम कई और गतिविधियां करेंगे।’’
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 31 December 2024 at 10:54 IST